what is success | what is success definition in hindi
आमतौर पर किसी कार्य के सिद्ध होने को सफलता कहा जाता है। लेकिन सफलता केवल कार्य सिद्धि मात्र नहीं है। सफलता जीवन की वह अवस्था है जो हमेशा जीवन को संतुलित बनाए रखती है। सफलता केवल बाहरी कामों में कामयाब होना नहीं है अपितु इस बाह्य संसार से काम ले कर आत्मज्ञान तक का सफर है।
सफलता क्या है? | what is success essay
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आमतौर पर किसी कार्य के सिद्ध होने को सफलता कहा जाता है। लेकिन सफलता केवल कार्य सिद्धि मात्र नहीं है। सफलता जीवन की वह अवस्था है जो हमेशा जीवन को संतुलित बनाए रखती है। सफलता केवल बाहरी कामों में कामयाब होना नहीं है अपितु इस बाह्य संसार से काम ले कर आत्मज्ञान तक का सफर है। सफलता प्रत्येक व्यक्ति का जन्म सिद्ध अधिकार है। जीवन में हर कोई सफल होना चाहता है। दुर्भाग्यवश उसे सफलता का सही मतलब पता नहीं होता। इसलिए वह इस भवसागर में गोते खाते रहता है।
क्या सफलता केवल दुनियावी कामों में सफल होना है या इससे भी कुछ परे है, इसके बारे में आगे चर्चा करते हैं-
सफलता के प्रति हमारा दृष्टिकोण | attitude for success
इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सफलता का एक सुनहरा अवसर संजोए रहता है। उसमें से कोई सफल होता है तो कोई असफल। सफल होने वालों के संदर्भ में कभी ऐसी परिस्थितियां देखने को मिलती हैं जिनके कारण अल्प योग्यता वाले साधन से भी व्यक्ति बड़े-बड़े लाभ प्राप्त कर लेते हैं। किसी के सामने अनायास ही कोई ऐसा अवसर आ जाता है जिसमें मानो सफलता ने स्वयं ही उसका वरण कर लिया हो।
इसके अतिरिक्त सफलता के मूल में पक्षपात और भाई भतीजावाद जैसी स्थितियां भी दिखाई देती हैं। जोर जबरदस्ती के हाथों में सफलता को बिकता हुआ देखा जा रहा है। इन सब से हटकर एक और स्थिति है जिसमें मनुष्य अपने प्रयत्न और प्रबल प्रसार से अवरोधों और कठिनाइयों से जूझ कर परिस्थितियों को चीरता हुआ सफलता के उच्च शिखर पर पहुंच जाता है। इन तीनों में सफलता के प्रथम दो कारण ऐसे हैं जिनमें अवसर तो है पर श्रेष्ठ साधन नहीं है।
हमारा दृष्टिकोण , हमारा सोचने का तरीका बहुत मायने रखता है किसी भी कार्य के सिद्धि के लिए। हम जो सोचते हैं वही करते हैं। वैसी ही हमारी कार्यप्रणाली बन जाती है। हम अगर दृढ़ता से मन में कुछ ठान लेते हैं तो उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। यदि हम किसी कार्य के परिणाम के डर से उसे प्रारंभ नहीं करते हैं तो हम सफलता के उच्चतम शिखर को कभी प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिए कोई भी कार्य हो उस पर सोच विचार करके यदि उसे प्रारंभ किया है, तो उसे पूर्ण करने का साहस हमारे अंदर होना चाहिए। किसी भी कार्य को करते समय बाधाएं अवश्य आती हैं। बाधाएं हमें मजबूत बनाने के लिए आती हैं। बाधाओं को सहर्ष स्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिए।
सफलता से भटकाती है द्वैत प्रकृति | dilemma
द्वैत प्रकृति को सामान्यतः दुविधा कहा जाता है। दुविधा का मतलब हर सकारात्मकता के पीछे नकारात्मक होना। मन में हमेशा विपरीत चिंतन का होना ही दुविधा है। जैसे किसी कार्य को करने से पहले मन में विचार आना कि इसमें सफलता मिलेगी या नहीं। इस काम को करूं या नहीं। इसे करके क्या होगा। इसे और कौन कर रहा है। इत्यादि प्रश्न ही दुविधा के प्रतीक हैं। यह दुविधा ही हमें सफलता के रास्ते से भटकाती है। जीवन में सफल होने के लिए दुविधा रहित होना परम आवश्यक है।
सांसारिक जीवन की सफलता | what is worldly success
इस पृथ्वी पर रहने वाले हर प्राणी को भोजन की आवश्यकता होती है। लेकिन मनुष्य सबसे उत्तम जन्म है। इसे महापुरुषों ने और धर्म शास्त्रों में अवतार की श्रेणी में रखा गया है। हम केवल शरीर मात्र नहीं हैं। मगर इस शरीर में रहते हुए ही हम इस सच्चाई को जान सकते हैं। इस शरीर को जिंदा रखने के लिए भोजन की आवश्यकता है। इसमें रोग आते हैं। प्रतिपग इसमें बाधाएं आती रहती हैं।
अब प्रश्न यह उठता है कि जीवन चर्या को चलाने के लिए क्या किया जाए? इसी जीवन चर्या को चलाने के लिए हम कुछ काम सीखते हैं और करते हैं। जिससे हमारा जीवन सुचारू हो सके। इसलिए यह बहुत ही जरूरी है। दूसरे पर निर्भर रहकर हम अपना जीवन सुचारु रूप से नहीं बिता सकते। इसके लिए हमें सांसारिक कामों जैसे नौकरी पेशा इत्यादि से जीविकापार्जन करना है। इसमें भी सफल वही व्यक्ति है जिसने समय रहते अपनी क्षमताओं का उपयोग करके दक्षता हासिल कर ली हो। अन्यथा दो वक्त की रोटी मिलना भी मुश्किल हो जाता है।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में रहना पसंद करता है। अब समाज के साथ उसे सामंजस्य बनाए रखने के लिए धन संपदा होना भी जरूरी है। नहीं तो व्यक्ति कुंठा का शिकार हो जाता है। हमेशा अपने को यह दृष्टि से देखने लगता है।
सांसारिक जीवन में सफल होने के लिए हमें अपनी प्राथमिकताओं को ध्यान में रखना चाहिए। उसके अनुसार ही काम करना चाहिए। देखा देखी में व्यक्ति उलझ जाता है। अपनी क्षमताओं के अनुकूल ही हमें व्यवसाय चुनना चाहिए। लोगों के दबाव में आकर कभी भी कोई कार्य नहीं करना चाहिए। क्योंकि जिस कार्य में हमारी रुचि नहीं होगी, उसमें हम कभी सफल नहीं हो सकते। ईर्ष्या राग देश से रहित होकर हमें कार्य करना चाहिए। अपने काम से हमेशा संतुष्ट रहना चाहिए। संतुष्टि सांसारिक जीवन की सफलता का उत्तम लक्षण है।
हमने जाना कि जीवन चर्या को सुचारू चलाने के लिए हमें सांसारिक रूप से सफल होना जरूरी है। क्योंकि हमें खाने के लिए दो वक्त की रोटी चाहिए। पहनने के लिए कपड़े चाहिए और रहने के लिए छत चाहिए। यह सभी अर्थ (धन) पर आधारित हैं। अतः धन कमाना भी आवश्यक है। लेकिन ध्यान रहे धन हमेशा सही स्रोत से अर्जित करना चाहिए। जिसमें हमारा हक हो वही धन हमारे लिए फलित होता है। दूसरे का हक मारकर कमाया हुआ धन बहुत बड़ा पाप है।
सांसारिक जीवन में सफल होने के बाद अब वास्तविक सफलता की ओर बढ़ते हैं-
सफलता का वास्तविक अर्थ? | true meaning of success
- जब मनुष्य को आत्मसाक्षात्कार हो जाता है, यही वास्तविक सफलता है।
- यहां पहुंच कर न लाभ रहा न हानि, ना जय ना पराजय। सब एक हो गया।
- सुख- दुख , लाभ- हानि से ऊपर उठ गया। फिर इसे दुनिया का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- अब कोई इसकी बुराई करें या अच्छाई इसे कोई फर्क नहीं पड़ता।
- जब तक हम दुनिया के प्रभाव में थे तो, हम लोगों के हिसाब से खाते-पीते, पहनते थे। लेकिन जब हम इस लेवल से ऊपर उठे तो समझ में आया की संसार की वास्तविकता क्या है।
- फिर हमें समझ में आया कपड़ा तन ढकने के लिए, भोजन जीने के लिए, घर रहने के लिए जरूरी है।
- धीरे-धीरे हमारा मन दुनिया की लाग लपेट से दूर होता गया। अब हम एक दृष्टि हो गए।
- दुविधा खत्म हो गई। पूरा संसार उस परमात्मा का रचाया हुआ खेल नजर आने लगा।
- अपनी हस्ती खत्म हो गई। यही वास्तविक सफलता है।
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