urad dal benefits hindi | उड़द की दाल गर्म होती है या ठंडी
उरद या उड़द एक दलहन होता है। उड़द का उपयोग दाल के रूप में किया जाता है। यह पूरे भारतवर्ष में उगाया जाता है। इसके बीज मीठे और तेल युक्त होते हैं। उड़द हृदय के लिए उत्तम माना जाता है। यह थकान दूर करके ताकत देता है। उरद को संस्कृत में ‘माष’ या ‘बलाढ्य’; बँगला’ में माष या कलाई; गुजराती में अड़द; मराठी में उड़ीद; पंजाबी में माँह, अंग्रेज़ी, स्पेनिश और इटालियन में विगना मुंगों; जर्मन में उर्डबोहने; फ्रेंच में हरीकोट उर्ड; पोलिश में फासोला मुंगों; पुर्तगाली में फेजों-द-इण्डिया तथा लैटिन में ‘फ़ेसिओलस रेडिएटस’, कहते हैं।
उड़द (urad )
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उड़द का उपयोग दाल के रूप में किया जाता है। यह पूरे भारतवर्ष में उगाया जाता है। इसके बीज मीठे और तेल युक्त होते हैं। उड़द हृदय के लिए उत्तम माना जाता है। यह थकान दूर करके ताकत देता है।
अन्य भाषा में उड़द के नाम
हिंदी में उड़द, उरिद, टिकिरि; संस्कृत में बीज रत्न, धान्यवीर, माष, कुरूविन्द, गुषांकुर, मांसल, बलाढ्च; गुजराती में अरद्, उड़द; बंगाली में माष , कलई; मराठी में उड़िद; तेलुगु में मिनुमुल; कन्नड़ में उददू; तमिल में पट्चैप्यरी; फारसी में माष; अरबी में माषा आदि नामों से जाना जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार उड़द के गुण
उड़द स्निग्ध, बल कारक, वीर्य वर्धक, पित्त कारक, भारी, स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। यह मलभेदक और दूध पैदा करने वाली है। उड़द मांस वर्धक, श्वांस और बवासीर को दूर करती है। उड़द प्यास, कफ और रक्त रोग उत्पन्न करती है। इसके बीज मीठे और तेल युक्त होते हैं। यह मृदु विरेचक, कामोद्दीपक, पौष्टिक, भूख बढ़ाने वाले और दुग्ध वर्धक होते हैं।
यूनानी चिकित्सा में उड़द के गुण
उड़द के बीज कामोद्दीपक होते हैं। उड़द पौष्टिक, दूध बढ़ाने वाली और रक्त स्राव रोधक होती है। यह दाद, खाज, खुजली, धवल रोग, सुजाक और नकसीर में लाभदायक है। पक्षाघात, आमवात, स्नायुमंडल के रोग, बवासीर और लीवर की तकलीफों में उड़द उपयोगी है। उड़द की जड़ निंद्रा कारक और हड्डियों के दर्द में लाभदायक है। उड़द के बीज सिर दर्द और पेट की जलन में लाभकारी हैं। उड़द के बीज सर्प और बिच्छू के जहर में उपयोगी हैं। उड़द स्निग्ध, शीतल और कामशक्तिवर्धक को बढ़ाने वाली है। उड़द की दाल को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें हींग मिलाना चाहिए।
आमाशय से पैदा होने वाले जुकाम, अतिसार, लकवा, बवासीर औ लीवर की बीमारियों में उड़द उपयोगी है। उड़द की दाल शरद ऋतु में शीत के आक्रमण से रक्षा करती है। इसकी दाल दूध बढ़ाती है।
उड़द के 10 फायदे
- उड़द को सोंठ के साथ औटाकर पिलाने से लकवा में लाभ होता है।
- अरंडी की जड़ की छाल के साथ उड़द को उबालकर पिलाने से गठिया रोग में लाभ होता है।
- पीव वाले फोड़े में पुल्टिस बांधने से लाभ होता है।
- उड़द के आटे का तालु के ऊपर लेप करने से नकसीर बंद होती है।
- हल्दी, सन की छाल और उड़द के आटे को हुक्के में रखकर तंबाकू की तरह पीने से हिचकी दूर होती है।
- उड़द के काटे पर एक रत्ती सफेद चिरमी का चूर्ण भुरभुरा कर पिलाने से स्नायु जाल की शक्ति बढ़ती है।
- उड़द को उबालकर पित्त की सूजन पर बांधने से पित्त की सूजन तुरंत दूर होती है।
- उड़द के आटे के बड़े बनाकर मक्खन के साथ खाने से मुंह का लकवा मिटता है।
- उड़द के बीज कामोद्दीपक होते हैं।
- यह दाद, खाज, खुजली, धवल रोग, सुजाक और नकसीर में लाभदायक है ।
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