tel khane ke fayde in hindi | तेल खाने के 10 फायदे

शुद्ध तेल वात को संतुलित करता है। कच्ची घानी से निकला हुआ तेल वात को संतुलित करता है। वह शुद्ध तेल है। सुबह के भोजन में शुद्ध तेल में तली हुई चीजें अधिक इस्तेमाल करें। जैसे पराठे, पूरियां, पकोड़े इत्यादि अधिक तेल वाली चीजें सुबह खाएं। रात्रि में ज्यादा तेल वाली चीजें ना खाएं। लकड़ी के कोल्हू से निकाले तेल को खाने से वात रोग कभी नहीं होते हैं।

 

खाने वाला तेल

तेल के बिना भोजन की कल्पना मुश्किल है। स्वाद की चाहत तो घी-तेल के बिना अधूरी ही रहती है। लेकिन तेल कौन-सा खाया जाए और कितनी मात्रा में, इसे लेकर दुविधा होती है। सेहत के लिहाज से कौन-सा तेल  अच्छा है। रिफाइंड, डबल रिफाइंड जैसे तेल जहर माने गए हैं। 

इसके बारे में विस्तार से आगे चर्चा करते हैं। 

tel khane ke fayde

शुद्ध तेल की पहचान

  • शुद्ध तेल चिकनाई युक्त होता है।
  • इसमें बास बहुत आती है।
  • जिस तेल में से चिकनाई निकाल देते हैं वह रिफाइंड है।
  • चिकनाई निकालने के बाद तेल पानी हो जाता है।
  • इसमें से सारे पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।
  • कच्ची घानी से निकाला हुआ तेल अच्छा होता है।
  • शुद्ध तेल चिपचिपा होता है।
  • तेल का चिपचिपापन सबसे महत्वपूर्ण घटक है।
  • इसमें कुल 5 तरह के प्रोटीन होते हैं।
  • तेल से आने वाली बास तेल का ऑर्गेनिक घटक है।

वात को संतुलित करता है तेल

शुद्ध तेल वात को संतुलित करता है। कच्ची घानी से निकला हुआ तेल वात को संतुलित करता है। वह शुद्ध तेल है। सुबह के भोजन में शुद्ध तेल में तली हुई चीजें अधिक इस्तेमाल करें। जैसे पराठे, पूरियां, पकोड़े इत्यादि अधिक तेल वाली चीजें सुबह खाएं। रात्रि में ज्यादा तेल वाली चीजें ना खाएं। लकड़ी के कोल्हू से निकाले तेल को खाने से वात रोग कभी नहीं होते हैं।

अशुद्ध या रिफाइंड तेल

जिस तेल में से चिकनाई को निकाल दिया जाता है वही अशुद्ध तेल है। रिफाइंड तेल कुछ अलग ही चिपचिपा होता है। ऐसा चिपचिपा शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है। इससे कैंसर कारक तत्व शरीर में उत्पन्न हो जाते हैं। कई प्रकार के अशुद्ध तेल बाजार में उपलब्ध हैं। जैसे- रिफाइंड तेल, डबल रिफाइंड तेल, ट्रिपल रिफाइंड तेल, डालडा, वेजिटेबल तेल इत्यादि। इनको कभी नहीं खाएंगे तो रोगों से बचे रहेंगे।

कैसे बनता है रिफाइंड तेल

किसी भी तेल को रिफाइंड करने के लिए लगभग 6-7 केमिकल इस्तेमाल होते हैं। डबल रिफाइंड करने के लिए 10 से 15 केमिकल प्रयोग होते हैं। यह सभी केमिकल कृत्रिम हैं। जो मनुष्य के लिए जहर बनाते हैं। इसी कारण आजकल हर दूसरा व्यक्ति बीमार है। जल्दी थक जाना, काम में मन न लगना, एलर्जी ये सभी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

जलवायु के अनुसार तेलों का उपयोग

बर्फीले इलाकों तथा पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोग तिल का तेल खाएं। सबसे अच्छा है उनके लिए तिल का तेल। मैदानी इलाकों में रहने वाले लोग सरसों के तेल का इस्तेमाल करें। उनके लिए सरसों का तेल सबसे अच्छा है। समुद्र के किनारे रहने वाले लोग नारियल का तेल उपयोग करें। उनके लिए नारियल का तेल सबसे अच्छा है। शुद्ध तेल से वात के रोग नहीं होते हैं। वात के कुल 80 लोग हैं जैसे-घुटनों का दर्द, कमर का दर्द, गर्दन का दर्द, जोड़ों का दर्द आदि।

शुद्ध तेलों के औषधीय गुण

तेल में प्रोटीन बहुत है। इसमें पांच प्रकार के प्रोटीन हैं। मूंगफली और तिल का तेल एचडीएल बढ़ाता है। यह शरीर के लिए जरूरी है। वात को नाश करता है। मोटापा संतुलित करता है।

सरसों के तेल खाने के फायदे

  • सरसों का तेल सेहत और सुंदरता दोनों के ही लिए बहुत फायदेमंद है।
  • सरसों के तेल में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो दर्दनाशक का काम करते हैं।
  • सरसों के तेल को बहुत पौष्टिक माना जाता है, इसलिए इसका प्रयोग खाना बनाने के लिए भी किया जाता है।
  • इसकी तासीर गर्म होने से सर्दियों में यह अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
  • सरसों के तेल की मालिश करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और रक्त संचार भी बेहतर होता है।
  • यह शरीर में गर्माहट पैदा करने में भी मददगार होता है। 
  • दांतों की तकलीफ में सरसों के तेल में नमक मिलाकर रगड़ने से फायदा होता है, साथ ही दांत पहले से अधिक मजबूत हो जाते हैं। 
  • त्वचा संबंधी समस्याओं में भी बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर के किसी भी भाग में फंगस को बढ़ने से रोकता है और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है। 
  •  यह बालों की जड़ों को पोषण देकर रक्तसंचार बढ़ाता है, जिससे बालों का झड़ना बंद हो जाता है।
  • इसमें ओलिक एसिड और लीनोलिक एसिड पाया जाता है, जो बालों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए अच्छे होते हैं।  
  • सरसों तेल को कई लोग एक टॉनिक के रूप में भी प्रयोग करते हैं।
  • यह शरीर की कार्य क्षमता बढ़ा कर शरीर की कमजोरी को दूर करने में सहायता करता है।
  • इस तेल की मालिश के बाद स्नान करने से शरीर और त्वचा दोनों स्वस्थ रहते हैं। 
  • ठंड के दिनों में सरसों का तेल गर्माहट के लिए रामबाण इलाज है, हल्के गर्म तेल की मसाज से रूखी-सूखी त्वचा भी नर्म, मुलायम व चिकनी हो जाती है।
  • सरसों के तेल की मालिश से गठिया रोग और जोड़ो का दर्द भी ठीक हो जाता है।
  • इसमें विटामिन ई भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो त्वचा को अल्‍ट्रावाइलेट किरणों और पल्‍यूशन से बचाता है। साथ ही यह झाइयों और झुर्रियों से भी काफी हद तक राहत दिलाने में मदद करता है।
  • भूख नहीं लगने पर भी सरसों का तेल आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।
  • अगर भूख न लगे, तो खाना बनाने में सरसों के तेल का उपयोग करना लाभप्रद होता है।
  • शरीर में पाचन तंत्र को दुरूस्त करने में भी लाभदायक होता है।
  • सरसों के तेल का प्रयोग करने से  हार्ट डिसीज का खतरा भी कम होता है। इसलिए सरसों के तेल को अपने खाने में जरुर शामिल करें।

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