Saturday, December 2, 2023
Meditation and Mindfulness

successful age gap relationships | age gap between couples

शादी कब और क्यों? | best age gap for marriage

भारतीय परंपरा के अनुसार स्त्री और पुरुष के लिए शादी की निश्चित आयु निर्धारित की गई है। हिंदू विवाह कानून, 1955 की धारा 5(3) के अनुसार शादी के समय लड़की की उम्र 18 वर्ष और लड़के की 21 वर्ष होनी चाहिए। दरअसल, शादी की न्यूनतम उम्र तो तय कर दी गई है लेकिन बाल विवाह तब तक अवैध नहीं है, जब तक कि दोनों में से कोई एक पक्ष उसे खत्म करने के लिए कानून का सहारा न ले।

रिश्ता | रिलेशनशिप या दोस्ती | गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड | boyfriend and girlfriend relationship

हम जब  पैदा हुए और जब से हमारी आंख खुली तो हम  रिश्ता जोड़ते आ रहे हैं। सबसे पहले हमने मां से रिश्ता जोड़ा क्योंकि बचपन में मां के अलावा हमारा कोई सहारा नहीं था। बचपन में हमारे पास मां के दूध के अलावा दूसरा कोई भोजन नहीं था। कोई चॉकलेट, टॉफी इत्यादि नहीं खा सकते थे, इसलिए मां से बहुत लगाव था। बिना मां के एक पल भी रहना हमारे लिए गवारा था। धीरे धीरे आसपास से परिचय हुआ तो पिताजी और भाई बहनों एवं अन्य रिश्तेदारों से लगाव हो गया। और बड़े हुए तो स्कूलों और कॉलेजों में गए। वहां जाकर नए नए दोस्त बने। अब मां-बाप से लगाव थोड़ा कम होने लगा।

आगे चलते चलते हम रिश्ते बनाते रहते हैं लेकिन यह रिश्ते बदलते रहते हैं। इस संसार में हमारे दोस्ती केवल मतलब की है। हर रिश्ते के पीछे स्वार्थ छिपा है। स्वार्थ खत्म तो रिश्ता खत्म। यही सच्चाई है सांसारिक रिश्तों की। बिना मतलब के यह संसार चल ही नहीं सकता है, इसलिए रिश्ता भले ही स्वार्थ के कारण बने या निस्वार्थ लेकिन है जरूरी। इस संसार को चलाने के लिए एक दूसरे पर निर्भरता बनाई हुई है। इस संसार में कोई आत्मनिर्भर नहीं हो सकता। सांसारिक जीवन चर्या चलाने के लिए हम किसी न किसी रूप में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं‌। 100% आत्मनिर्भरता संभव नहीं है।

गर्लफ्रेंड | बॉयफ्रेंड  मिथक और भ्रामक बातें | पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव | boyfriend and girlfriend  meaning

हम बचपन से ही एक दूसरे के दोस्त रहे हैं। हमारी कई लड़कियां दोस्त थी और कई लड़के। अंग्रेजी में लड़की को गर्ल कहते हैं और लड़के को बॉय कहते हैं। इसका मतलब हम एक दूसरे के गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड थे। सब सामान्य चल रहा था। लेकिन कुछ भ्रामक प्रचार के कारण हमारे दिमाग में पश्चिमी देशों की संस्कृति का प्रभाव होने लगा। जैसे रिश्ता या रिलेशनशिप का मतलब शारीरिक रिश्तों से जोड़ दिया। पश्चिमी सभ्यता में रिश्ते का मतलब शारीरिक संबंध से है जबकि भारतीय संस्कृति में रिश्ते का मतलब शारीरिक संबंध नहीं है। भारतीय संस्कृति में रिश्ते या रिलेशनशिप एक पवित्र बंधन है। जैसे गुरु और शिष्य का रिश्ता, बहुत ऊंचा रिश्ता है। भाई बहन का, मां बाप का और पति पत्नी का रिश्ता। सभी रिश्ते एक दूसरे के साझीदार बनकर निभाने के लिए बने हैं ना कि केवल शारीरिक संबंध के लिए। पति पत्नी का रिश्ता बहुत ऊंचा है हमारी संस्कृति में। एक दूसरे के साझीदार बनकर निभाने का रिश्ता है।

आज कल इस कदर समाज में भ्रम फैला हुआ है कि हम रिश्ता शब्द का प्रयोग तक करने में संकोच करते हैं। क्योंकि अगर मैं कहता हूं कि आपका और मेरा रिश्ता बहुत गहरा है तो लोग समझते हैं कि शारीरिक रिश्ता होगा। जबकि हमारा रिश्ता शरीर से बहुत परे है। हमारी संस्कृति में रिश्ते का मतलब ऐसा नहीं है। यह रिश्ता बहुत ऊंचे दर्जे का है। यह रिश्ता हमारी अनंत ऊर्जाओं से है। अमेरिका और यूरोपीय देशों में लिव इन रिलेशनशिप, बिना शादी के शारीरिक संबंध बनाना आम बात है। यह उनकी संस्कृति का हिस्सा हो सकता है। उनके पर्यावरणीय दशाओं के कारण हो सकता है। लेकिन भारतीय संस्कृति में ऐसा नहीं है। यहां सब कुछ निर्धारित है। हमारे यहां रिश्तो में जितने भी बदलाव आए हैं केवल पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण करके ही आए हैं।

किस उम्र में बने रिश्ते जल्दी टूटते हैं? | breakup

किशोरावस्था जीवन का सबसे खूबसूरत पड़ाव माना गया है। 13 वर्ष से 19 वर्ष तक की उम्र  को किशोरावस्था माना जाता है। इस उम्र में शरीर में बहुत ऊर्जा होती है। शरीर के अंगों का विकास हो रहा होता है। इस उम्र में ही रिश्ता बनाने की जिज्ञासा मन में होती है। और नित नए रिश्ते बनते जाते हैं। कभी-कभी रिश्ते काफी गहरे  हो जाते हैं। मन में चंचलता बहुत होती है। स्वभाव से किशोर और किशोरियां सर्मीले बहुत होते हैं। इसलिए इस उम्र में किशोर और किशोरियां अपने रिश्ते के बारे में किसी को बताते नहीं हैं। कुछ ही होते हैं जो अपने शुभचिंतकों को बताते हैं। अधिकतर नहीं बताते हैं। इस उम्र में शरीर में बहुत उमंग होती है। चेहरे में चमक भी होती है। खूबसूरती तो इस उम्र की निशानी है। इसलिए हर कोई बेहतर से बेहतर रिश्ता बनाना चाहता है। लेकिन सबसे बड़ी विडंबना इस उमर में रिश्ते ज्यादा समय टिकते नहीं हैं। क्योंकि इस उम्र में समझ इतनी विकसित नहीं होती है। मन में उतावलापन बहुत होता है। शक बहुत जल्दी होता है। भ्रम की स्थिति पैदा होती है। इसलिए किशोरावस्था के रिश्ते ज्यादा समय तक बने नहीं रह पाते। इस उम्र के रिश्ते शरीर के अंगों के विकास के साथ-साथ बदलते रहते हैं। रिश्तों में बहुत जल्दी खटास आ जाती है। कभी-कभी रिश्तों की खटास इतनी गहरी हो जाती है कि आत्महत्या तक के लिए कदम उठा लेते हैं।

 

किशोरावस्था में बच्चों का मार्गदर्शन

किशोरावस्था में बच्चों का मार्गदर्शन बहुत जरूरी है। उनको सही चीज  से अवगत कराना चाहिए। इसमें उनके शिक्षकों और अभिभावकों का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। अक्सर आजकल विद्यार्थी जीवन में बच्चे रिश्ते बनाते हैं। कोई विरला ही मिलता है जिसका कोई प्रेमी या प्रेमिका ना हो। लेकिन उम्र के इस पड़ाव में इन रिश्तो को निभाना बड़ा मुश्किल होता है। किशोरावस्था में हर पल कुछ न कुछ बदलता है, इसलिए रिश्ते मजबूत हो ही नहीं सकते। इस उम्र में हमेशा कुछ नया और अलग पाने की इच्छा होती है। इस उम्र को हम रेस के घोड़े से समझ सकते हैं, जो दौड़ते समय रास्ते में अच्छे से अच्छे घास के मैदान छोड़ सकता है, लेकिन थक जाने के बाद रेगिस्तान में भी मुंह मारता है। इस उम्र में रिश्ते केवल शरीर तक सीमित होते हैं। शरीर की भूख मिटाने की इच्छा ज्यादा होती है। जिस्म की भूख खत्म तो रिश्ता खत्म। ज्यादातर किशोर और किशोरियां रिश्ता टूटने पर गलत कदम उठाते हैं। इसलिए इनसे प्यार से समझा बुझा कर ही काम लेना चाहिए।

आगे अब हम समझते हैं कि किस उम्र में रिश्ते बनाना सही होता है या रिश्तो में मजबूती होती है ।

लिव इन रिलेशनशिप | live-in relationship meaning in hindi

successful age gap relationships

जब बच्चे 13 से  19 वर्ष की उम्र के पड़ाव होते हैं, तब हमेशा शादी से इनकार करते हैं। इस समय इनको स्वतंत्र रिश्ते ज्यादा अच्छे लगते हैं। बंधन में बंधना अजीब लगता है। जिसको पश्चिमी सभ्यता में लिव इन रिलेशनशिप कहते हैं। मतलब बिना शादी के शारीरिक संबंध बनाना और एक साथ रहना। इस उम्र में अक्सर जिम्मेदारी से भागना सामान्य सी बात है। इसलिए इस उम्र में बच्चे हमेशा शादी के खिलाफ होते हैं। इस उम्र में की गई शादियां बहुत दुखदाई हो सकती हैं। मतलब पति पत्नी में काफी झगड़ा हो सकता है, क्योंकि दोनों ही अभी नए हैं। सामाजिक जीवन का अनुभव नहीं है। केवल शरीर की खूबसूरती पर ही नजर टिकती है। जिम्मेदारी का कोई एहसास नहीं है।

जब व्यक्ति 20 की उम्र का होता है तो उसका अपना एक दृष्टिकोण बन जाता है। वह अपनी बात को लोगों के सामने रखना चाहता है। अब उसके अंदर समझदारी का विकास होता है। धीरे धीरे 20 से 30 वर्ष के बीच उसे जिम्मेदारी का अहसास होने लगता है। अब वो अनावश्यक रिश्ते रखना पसंद नहीं करेगा। अब वो जिसे चुनेगा उसके साथ हमेशा रहने की योजना बनाएगा। यह रिश्ता काफी मजबूत और टिकाऊ बनेगा क्योंकि अब उसे रिश्ते का मतलब समझ आने लगा है। अब रिश्ता उसके लिए केवल शारीरिक भोग विलास नहीं रहा बल्कि एक साझीदार जीवन बन गया।

वर्तमान परिपेक्ष में शादी 25 से 30 के बीच ही करना काफी अच्छा है। क्योंकि 25 से 30 वर्ष के बीच तक व्यक्ति कुछ न कुछ अपना व्यवसाय या नौकरी पेशा करने लगता है। जिससे वह पारिवारिक जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा सके। पति पत्नी की उम्र में लगभग न्यूनतम 1 वर्ष और अधिकतम 3 वर्ष का अंतर होना चाहिए। इससे ज्यादा का अंतर अच्छा नहीं माना जाता है । ज्यादा अंतर में विचारों में भिन्नता जाती है। 30 वर्ष बाद शरीर में काफी परिवर्तन आ जाता है। मानसिक चिंतन भी काफी बदल जाता है। 30 वर्ष के बाद की शादी में भी रिश्तो में मिठास फीकी हो जाती है। 30 वर्ष के बाद हुई सादियां कम ही सफल हो पाती हैं।

शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी शादी बहुत जरूरी है। शादी के बिना भी कई बीमारियां शरीर में हो सकती हैं। जैसे स्वप्नदोष जैसी समस्याएं, अकेलापन, ज्यादा आकर्षण इत्यादि।

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