shahad ke fayde aur nuksan | honey benefits for skin

  शहद मधुमक्खियों द्वारा संग्रह किया हुआ फूलों का रस होता है। मधुमक्खियां फूलों से रस इकट्ठा करके छत्ता बनाती हैं जिसमें से शहद निकाला जाता है। शहद चिपचिपा और खाने में मीठा होता है। शहद में फैट, फाइबर और प्रोटीन बिल्कुल भी नहीं होता है। शहद की तासीर (प्रकृति) गर्म होती है। अंग्रेजी में शहद को ‘Honey’ कहते हैं। यह कई रोगों में लाभकारी है। 

 

शहद के औषधीय गुण ( shahad ke fayde aur nuksan)

  शहद मधुमक्खियों द्वारा संग्रह किया हुआ फूलों का रस होता है। मधुमक्खियां फूलों से रस इकट्ठा करके छत्ता बनाती हैं जिसमें से शहद निकाला जाता है। शहद चिपचिपा और खाने में मीठा होता है। शहद में फैट, फाइबर और प्रोटीन बिल्कुल भी नहीं होता है। शहद की तासीर (प्रकृति) गर्म होती है। अंग्रेजी में शहद को ‘Honey’ कहते हैं। यह कई रोगों में लाभकारी है। शहद के औषधीय गुणों की बात करें तो यह अनगिनत बीमारियों के इलाज में उपयोगी मानी जाती है। यही कारण है कि प्राचीन काल से ही शहद को औषधि माना गया है। आज के समय में मुख्य रुप से लोग त्वचा में निखार लाने, पाचन ठीक रखने, इम्युनिटी पॉवर बढ़ाने, वजन कम करने आदि के लिए शहद का उपयोग करते हैं। इसके अलावा शहद (honey in hindi) में एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से घाव को भरने में या चोट से जल्दी आराम दिलाने में भी यह बहुत कारगर है।

आइए अब हम शहद के लाभकारी गुणों पर चर्चा करते हैं।

  • खांसी, सर्दी, जुकाम इत्यादि रोगों में शहद रामबाण दवा है।
  • आयुर्वेद में शहद का प्रयोग दिन में लगभग 30 से 35 ग्राम और रात में 25 से 30 ग्राम लेना उत्तम माना गया है। अधिक मात्रा में शहद का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • शहद कफ संबंधी रोगों में अधिक लाभकारी है। जैसे अस्थमा, टीवी आदि में इसका सेवन किया जा सकता है।
  • गुनगुने दूध में शहद डालकर पीने से अच्छी नींद आती है।
  • शहद में बहुत अधिक ऊर्जा होती है जो दिमाग को स्वस्थ रखता है।

किस समय का शहद सबसे अच्छा होता है

आयुर्वेद में कहा गया है कि बसंत ऋतु के समय का शहद सबसे उत्तम है। इसे अमृत की संज्ञा दी है। लगभग मार्च महीने (चैत्र माह) के समय जो शहद निकाला जाता है सबसे श्रेष्ठ और औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है।अप्रैल, मई, जून शहद निकालने का समय है। यदि छत्ते के बीच के हिस्से चाकू से चीर दिया जाए, तो 15 दिन में शहद फिर तैयार हो जाता है।

असली शहद की पहचान

असली शहद  जमता नहीं  है। अगर पानी से जांच नहीं कर पा रहे हैं तो आग से शहद की शुद्धता की जांच कर सकते हैं। इसके लिए एक मोमबत्‍ती जलाएं और एक लकड़ी में रूई लपेट कर उस पर शहद लगा लें। फिर इस शहद लगी रूई को आंच पर रखें, अगर रुई जलने लगे तो शहद शुद्ध है।
इसे लंबे समय तक रख सकते हैं। शहद जितना पुराना होता है उतना ही गुणकारी होता है। शहद की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती है जितना पुराना शहद होगा उतना ही औषधीय गुणों से भरपूर होता है।

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किन चीजों के साथ शहद विष बन जाता है?  

  • घी और शहद कभी एक साथ नहीं खाना चाहिए यह विष बनाते हैं।
  • शराब, व्हिस्की तथा तेलों के साथ शहद को कभी नहीं खाना चाहिए यह विष बन जाता है।
  • मांस, मछली के साथ  शहद का सेवन करना जहर के समान माना गया है। जो लोग मांस मदिरा का पान करते हैं उनको शहद का सेवन नहीं करना चाहिए बहुत विषाक्तता उत्पन्न हो सकती है।
  • शहद की तासीर गर्म होती है इसलिए गरम चाय, गरम दूध के साथ इसको नहीं लेना चाहिए।
  • शहद को बारिश के पानी, गर्म और मसालेदार भोजन के साथ कभी नहीं खाना चाहिए। अगर आपने अत्यधिक मसालेदार भोजन किया है और गर्म भोजन किया है तो तुरंत शहद नहीं खाना चाहिए इससे छोटी आंत में प्रभाव पड़ता है। छोटी आंत की पोषक तत्वों का अवशोषण करने वाली परत नष्ट होने लगती है। और अधिक मात्रा में शहद के सेवन से भी छोटी आंत को क्षति पहुंच सकती है।
  • अगर हम गर्मी के दिनों में बाहर धूप से आए हैं तो तुरंत शहद कभी नहीं खाना चाहिए इससे आंतों में छाले और मुंह में भी छाले हो सकते हैं।

 

हमें आशा है आप उपरोक्त जानकारी से लाभान्वित होंगे और सही तरीके से शहद का औषधीय लाभ प्राप्त करेंगे।

अगर आपको किसी भी प्रकार का संशय होता है तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं। अपना सुझाव कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं।

 

लेख- हेम जोशी

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