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ritucharya in ayurveda | ritucharya diet

मौसम के अनुसार भोजन में परिवर्तन कर आहार लेने वाले लोग सर्वथा स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रहते हैं, उन्हें बीमार होने का भय नहीं रहता। वात, पित्त और कफ का संतुलन बनाए रखने के लिए रितुओं के अनुसार आहार में परिवर्तन करना आवश्यक है। हम यहाँ ऋतुओं अनुसार आहार बता रहे हैं, साथ ही यह भी कि किस ऋतु में क्या खाएँ व क्या ना खाएँ –

ritucharya in ayurveda

शिशिर ऋतु (जनवरी से मार्च) क्या खाएं क्या ना खाएं

जनवरी माह में कड़ाके की ठंड पड़ती है इसलिए गर्म प्रकृति वाला आहार लेना चाहिए। इस मौसम में घी, सेंधा नमक, मूँग की दाल की खिचड़ी, अदरक व कुछ गरम प्रकृति का भोजन करना चाहिए। मार्च आते-आते  मौसम गर्म होने लगता है तो ऐसे में आहार परिवर्तन करते रहना चाहिए।इस मौसम में मौसम ठंडा और हवा वाला रहता है। लोग सुस्त और कम ऊर्जावान हो जाते हैं। कफ दोष का जमाव शरीर में होता है और अग्नि उच्च अवस्था में रहती है।
आहार दिनचर्या:- आंवला जैसे भोजन में गेहूं/चने के आटे की चीजें, अनाज और दालें पसंद की जाती हैं, मकई का भी सुझाव दिया जाता है। अदरक, लहसुन, पिप्पली (पाइपर लोंगम का उत्पाद), गन्ने की वस्तुएँ, दूध और दुग्ध उत्पाद भी आहार में शामिल किए जाते हैं।
कड़वे, कटु, तीखे, कषाय प्रधान वाले भोजन से परहेज करना चाहिए। शिता (ठंडा), लगु (हल्का) खाद्य पदार्थों से भी बचना चाहिए।
शरीर को संतुलित रखने के लिए कुछ चीजें आवश्यक हैं जैसे तेल या लेप से मालिश। गुनगुने पानी से स्नान करें, धूप में निकलें और गर्म कपड़े पहनें।
कड़वे, तिक्त, चटपटे, ठंडी प्रकृति के व बादीकारक भोजन से परहेज रखें।

बसंत ऋतु (मार्च से मई) क्या खाएं क्या ना खाएं

बसंत ऋतु में मौसम अधिक गर्म होता है ना ही अधिक ठंडा। इस ऋतु में मौसम सम रहता है।
यह नए पत्तों और फूलों की उत्पत्ति का मौसम है। इस मौसम के दौरान महाभूत और रस कषाय (कसैले) और पृथ्वी और वायु हैं। इस ऋतु में व्यक्ति की शक्ति मध्यम रहती है, कफ दोष खराब होता है और अग्नि यानि (पाचन शक्ति) कम रहती है।
आहार नियम :– इस ऋतु में आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए जिसमें गेहूँ, चावल, पुराना जौ, अनाज की सलाह दी जाती है। दाल में मसूर, मुग्दा ले सकते हैं। कड़वे, कटु (तीखे), कषाय (कसैले) स्वाद वाली चीजें लेनी चाहिए। शहद भी मिला सकते हैं।
ठंडे, भारी और चिपचिपे भोजन से बचना चाहिए।
इस  मौसम में एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है। चंदन, केसर, आगरू से मालिश और गुनगुने पानी से स्नान करना उत्तम माना गया है। अंजना (ओलिरियम), और वामन और नस्य जैसे निकासी उपचारों की सिफारिश की जाती है। दिन के समय सोने से बचना चाहिए।

इस मौसम में जौ, चना, ज्वार, गेहूँ, चावल, मूँग, अरहर, मसूर की दाल, बैंगन, मूली, बथुआ, परवल, करेला, तोरई, अदरक, सब्जियाँ, केला, खीरा, संतरा, शहतूत, हींग, मेथी, जीरा, हल्दी आँवला आदि कफनाशक पदार्थों का सेवन करें।

गन्ना, आलू, भैंस का दूध, उड़द, सिंघाड़ा, खिचड़ी व बहुत ठंडे पदार्थ, खट्टे, मीठे, चिकने, पदार्थों का सेवन हानिकारक है। ये कफ में वृद्धि करते हैं।

ग्रीष्म ऋतु (जून से जुलाई) क्या खाएं क्या ना खाएं

जून के महीने में सूखी गर्मी पड़ती है। इस मौसम में पुराना गेहूँ, जौ, सत्तू, भात, खीर, दूध ठंडे पदार्थ, कच्चे आम का पना, बथुआ, करेला, परवल, ककड़ी, तरबूज आदि का सेवन वाँछनीय है। तिक्त, नमकीन, चटपटे, गरम व रूखे पदार्थों का सेवन न करें।

वर्षा ऋतु (अगस्त से सिम्बर) क्या खाएं क्या ना खाएं

बरसात के मौसम में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है इसलिए सुपाच्य आहार ही लेना चाहिए। पुराने चावल, पुराना गेहूँ, खीर, दही, खिचड़ी, व हल्के पदार्थों का सेवन करना चाहिए। अतः कम मात्रा में भोजन करने से शरीर स्वस्थ रहता है।आयुर्वेदिक डॉक्टर की मानें तो बारिश के मौसम में ज्यादा दही खाने से सर्दी-जुकाम, जोड़ों में दर्द और अपच की समस्या हो सकती है। लंबे समय तक दही खाने से गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती है।

आयुर्वेद के अनुसार बारिश के मौसम में दही के अलावा कहटल, अरबी, बैंगन, छोले, राजमा और सभी प्रकार के नॉन-वेज पदार्थों से दूरी बना लेनी चाहिए। बरसात में ज्यादा मसालेदार और जंक फूड भी नहीं खाना चाहिए। जंक फूड हर सीजन में सेहत के लिए खतरनाक होता है, लेकिन बरसात में यह स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इस मौसम में ताजा खाना सबसे अच्छा माना जाता है।

शरद ऋतु (अक्टूबर से नवम्बर) क्या खाएं क्या ना खाएं

शीत ऋतु में जठराग्नि प्रबल होती है, खाया हुआ आसानी से पच जाता है, गरिष्ठ भोजन भी पचकर शरीर को शक्ति प्रदान करते हैं। भरपेट भोजन करना चाहिए।

गर्म दूध, घी, गुड़, मिश्री, चीनी, खीर, जलेबी, आँवला, नीबू, जामुन, अनार, नारियल, मुनक्का, गोभी तथा शक्ति प्रदान करने वाले पदार्थों का सेवन करें।

कफ बढ़ाने वाले पदार्थों का सेवन ना करें।

हेमंत ऋतु ( दिसम्बर से जनवरी) क्या खाएं क्या ना खाएं

सभी प्रकार के आयुर्वेदिक रसायन, बाजीकारक पदार्थ, दूध, खोए से बने पदार्थ, आलू, जलेबी, नया चावल, छाछ, अनार, तिल, जमीकंद, बथुआ तथा जो भी सेहत बनाने वाले पदार्थ हों, ले सकते हैं। वैसे भी शीत ऋतु सेहत बनाने हेतु सर्वोत्तम मानी गई है। पौष्टिक व विटामिन्स से भरपूर पदार्थ लेना चाहिए।  का काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है।

पुराना अन्न, मोठ, कटु, रूखे, शीतल प्रकृति के पदार्थ न लें। भोजन अल्प मात्रा में न करें।

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