Saturday, December 2, 2023
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Masturbation side effects in hindi | हस्तमैथुन के  दुष्प्रभाव

हस्तमैथुन  कामुकता की चरम सीमा को प्रदर्शित करने वाली स्थिति है। इसमें क्षणिक सुख की प्राप्ति के लिए व्यक्ति अपने बहुमूल्य द्रव्य को बर्बाद करता है। देसी भाषा में इसको मठ्ठ क्रिया या मठ्ठ मारना भी कहा जाता है। आजकल के युवक और युवतियां इस क्रिया में अधिकतर संलग्न है क्योंकि वह सोशल प्लेटफॉर्म पर कई सारे अश्लील सामग्री देखते हैं जिससे उनके मन में कामुकता चरम सीमा तक पहुंच जाती है। इंटरनेट पर लगभग 70 परसेंट अश्लील सामग्री है जो एक दुर्भाग्य की स्थिति है। इतना अधिक प्रतिशत कामुकता की बीमारी को जन्म दे रहा है।आज जब भी किसी युवा या युवती से मिलो तो उसके मन में अश्लील विचार अश्लील भाषा सामान्य सी हो गई है। उनके संबोधन में ही अश्लील शब्द इस्तेमाल होते हैं क्योंकि कई सारे चैनल मनोरंजन के नाम पर हमें अश्लीलता की ओर घसीट रहे हैं।

संकेत बिंदु:-

1- Masturbation side effects  (हस्तमैथुन के  दुष्प्रभाव)

2- क्या हस्तमैथुन करना ठीक है या नहीं?

3- अश्लीलता का गरम बाजार,

4- हस्तमैथुन के विद्यार्थियों पर दुष्प्रभाव,

5- कामुकता एक मानसिक बीमारी के रूप में,

6- अश्लीलता से बढ़ते यौन अपराध,

7- हस्तमैथुन से बचने के उपाय,

8- ब्रह्मचर्य,

9- निष्कर्ष,

10- आधुनिक तकनीकी युग

Masturbation side effects  (हस्तमैथुन के  दुष्प्रभाव)

हस्तमैथुन  कामुकता की चरम सीमा को प्रदर्शित करने वाली स्थिति है। व्यक्ति के अंदर कामुकता होना प्राकृतिक है क्योंकि इसका इस्तेमाल मनुष्य या कोई भी प्राणी अपने वंश वृद्धि के लिए करता है। प्राकृतिक रूप से इसकी ओर हमारा झुकाव होता ही है इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन अति किसी भी चीज की पतन की ओर ले जाती है। इस स्थिति से अपने आप को किस प्रकार से बचाएं और इसके क्या दुष्परिणाम हैं इसके विषय में आगे चर्चा करते हैं।

मास्टरबेशन की सलाह कई सेक्स एक्सपर्ट देते हैं, लेकिन इसकी आदत पड़ जाना न सिर्फ आपकी मेंटल हेल्थ पर असर डालता है बल्कि रिलेशनशिप को भी बिगाड़ सकता है। इतना ही नहीं यह आपकी सोशल लाइफ में भी दखल डाल देता है। चलिए जानते हैं मास्टरबेशन से जुड़े ऐसे ही कुछ नुकसान के बारे में- 

ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत आना

मास्टरबेशन (हस्तमैथुन) की लत लग जाने पर किसी भी काम पर ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होने लगेगी। आपका शरीर बार-बार आपको मास्टरबेट करने के लिए उत्तेजित करेगा, जिससे जब तक आप बॉडी टेंशन रिलीज नहीं करेंगे तब तक काम नहीं कर पाएंगे। मास्टरबेट करने के लिए आपको काम बीच में छोड़ना पड़ेगा, जो परफॉर्मेंस पर असर डालेगा।

बेड में परफॉर्मेंस

मास्टरबेट करने के दौरान आपकी जो इमेजिनेशन होता है या आप जो स्पीड कैरी करते हैं वैसा यौन संबंध बनाने के दौरान मेनटेन करना मुश्किल है, ऐसे में पार्टनर के साथ सेक्स के दौरान आप अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाते जो आपके साथ ही उसे भी असंतुष्टी देगा और रिश्ते पर असर डालेगा। आप जल्दी थक जाएंगे और साथी को संतुष्ट नहीं कर पाएंगे।

रिलेशनशिप पर असर, ब्रेकअप का कारण हस्तमैथुन

मास्टरबेशन के कारण व्यक्ति खुद को संतुष्ट कर लेता है, ऐसा बार-बार होने पर पार्टनर और उसके बीच के सेक्स रिलेशन पर असर पड़ने लगता है। मास्टरबेट करने पर पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाने की इच्छा में भी कमी हो जाती है जो रिलेशनशिप पर दबाव बढ़ा देता है। रिश्ता खत्म होने में समय नहीं लगेगा क्योंकि आपकी मनोवृति यौन संबंध बनाने से बचेगी। जिससे साथी को संतुष्टि नहीं मिलेगी और वह आपसे ब्रेकअप कर सकती है।

पीनस या शिश्न के लिए नहीं सही है हस्तमैथुन

एक दिन में कई बार मास्टरबेट करने पर पीनस पर भी बुरा असर पड़ता है। एक अध्ययन के मुताबिक, ऐसा होने पर पीनस की मसल्स पर प्रेशर बढ़ जाता है जिससे उसे इरेक्शन में दिक्कत होने लगती है। बार बार हस्तमैथुन करने से पीनस की नशें फूल जाती हैं। बार बार हस्तमैथुन करने से पीनस के अगले हिस्से में कैंसर भी हो सकता है।

सोशल सर्कल से कटाव 

एक स्टडी में सामने आया था जो लोग रोजाना मास्टरबेट करते हैं उनका सोशल लाइफ से कटाव ज्यादा होता है। इसकी प्रमुख वजह उनकी कभी भी मास्टरबेट करने की इच्छा हो जाना है, जो लोगों के बीच रहते हुए करना संभव नहीं है। इसका असर धीरे-धीरे व्यक्ति की मेंटल हेल्थ पर भी पड़ने लगता है।

एक्सपर्ट्स की मानें तो मास्टरबेट करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इसे सीमित मात्रा में करें और सैटिस्फैक्शन के लिए इस पर निर्भरता न बढ़ाएं। अगर लत लग जाए तो किसी फिजिकल ऐक्टिविटी को जॉइन करें जिससे दिमाग को डिस्ट्रैक्ट होने में मदद मिलेगी। अधिक से अधिक व्यायाम करें। दौड़ना सबसे अच्छा व्यायाम है।

1-क्या हस्तमैथुन करना ठीक है या नहीं ? | Is it okay to masturbate or not? ,

इस प्रश्न के संबंध में सबके अलग-अलग मत हो सकते हैं लेकिन हमने कुछ व्यक्तियों से सवाल जवाब किए  जिससे पता चला है की हस्तमैथुन करना किसी भी स्थिति में ठीक नहीं है। इसमें नैतिकता का कोई प्रश्न नहीं है बल्कि इसका संबंध हमारी मन: स्थिति से है। प्रश्न पूछे गए लोगों में से कई ने असमर्थता जताते हुए यह कहा कि उनका मन किसी भी कार्य में नहीं लगता। आलस बहुत आता है। प्रश्न किए गए लोगों में से कई विद्यार्थी भी शामिल थे जिसमें विद्यार्थियों की प्रमुख समस्या उनका पढ़ाई में मन न लगना था।कई विद्यार्थियों का स्वभाव चिड़चिड़ा पाया गया। छोटी-छोटी बातों में गुस्सा अधिक आता है। उसमें से अधिक विद्यार्थी प्रत्येक दिन हस्तमैथुन करते पाए गए हैं।

एक विद्यार्थी के व्यवहार में अचानक अधिक परिवर्तन देखा गया पूछने पर पता चला कि वो दिन में एक या दो बार हस्तमैथुन करता है।  वो अपनी एक नई दोस्त के साथ भी संबंध में था। जिससे उसके व्यवहार में अधिक परिवर्तन पाया गया । इन सभी परिवर्तनों से स्पष्ट होता है कि हस्तमैथुन किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।  हम अपने आप को केवल एक शरीर मात्र समझने लगे हैं तभी हम हस्तमैथुन करते हैं जिससे हम क्षणिक आनंद भी प्राप्त करते हैं। हस्तमैथुन से हमारी मन: स्थिति पर गहरा असर पड़ता है। हमारा सोचने विचारने का नजरिया बदल जाता है। मन में हमेशा अश्लील विचार ही आते रहते हैं। अंत में यही कहेंगे कि हस्तमैथुन करना किसी भी स्थिति में उचित नहीं है।

 

2-अश्लीलता का गरम बाजार | obscenity hot market

सुबह से लेकर शाम तक टेलीविजन पर , यूट्यूब चैनल पर , इंटरनेट के सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अश्लीलता भरे विज्ञापन दिखाए जाते हैं। जिससे लोगों के मन पर गहरा असर पड़ता दिखाई दे रहा है। उनके विचार उनकी सोच और व्यवहार में अचानक परिवर्तन सा आ गया है बुजुर्ग भी इससे अछूते नहीं हैं। जहां भी देखो ,न्यूज़ चैनल देखो वहां भी अश्लीलता भरे विज्ञापन ,कुछ भी देखने से पहले आपको इन अश्लीलता के विज्ञापनों को देखना ही पड़ेगा। लेकिन यह अश्लीलता किसी को नजर नहीं आती है क्योंकि आजकल समाज में एक तरह से ट्रेंड चल गया है अगर कोई इनके खिलाफ बोलता है तो उसे रूढ़िवादी करार दिया जाता है। जबकि इसमें रूढ़िवादिता जैसा कुछ भी नहीं है। इससे हमारी मन: स्थिति प्रभावित हो रही है लेकिन हम मानने को तैयार नहीं हैं।

बलात्कार जैसी घटनाएं भी इन्हीं अश्लीलता के प्रभाव से उत्पन्न होती हैं। कई युवा आजकल दिनभर पॉर्नोग्राफी देखते रहते हैं उसे देखते देखते हैं उनके मन में महिलाओं के प्रति एक अलग सोच बैठ गई है। उनको महिलाएं केवल एक भोग की वस्तु दिखाई देने लगी हैं जिससे वो ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। कई महिलाएं और लड़कियां भी पोर्नोग्राफी की तरफ अग्रसर हो रही हैं। कम से कम 70 से 80% अश्लील सामग्री इंटरनेट पर उपलब्ध है। तभी इसके दुष्परिणाम हमें झेलने पड़ रहे हैं। समय रहते अगर इन पर अंकुश नहीं लगाया गया तो इसके गंभीर परिणाम झेलने पड़ेंगे।

 

3-हस्तमैथुन के विद्यार्थियों पर दुष्प्रभाव | side effects of masturbation on students

उपरोक्त विवरण से हमें ज्ञात हुआ कि किस प्रकार चारों तरफ अश्लीलता फैली हुई है। हस्तमैथुन करने की शुरुआत किशोरावस्था के प्रारंभ से लगभग 13 वर्ष की उम्र से हो जाती है। क्योंकि इस उम्र में शरीर में वीर्य बनना प्रारंभ होता है। और जननांगों का विकास बहुत तेजी से होता है। परिणाम स्वरूप विद्यार्थी इस पर  लिप्त हो जाते हैं। इसके लिए कहीं कहीं-न-कहीं हमारे चारों ओर का वातावरण जिम्मेदार होता है।

अधिकतर विद्यार्थी कामुकता के प्रभाव में आकर पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं। कुछ विद्यार्थी माता पिता के दबाव के कारण विद्यालय तक पहुंच तो जाते हैं लेकिन कामुकता के प्रभाव के कारण विधिवत अध्ययन नहीं कर पाते हैं। उनके मन में हमेशा दुविधा रहती है। मन कभी भी पढ़ाई की ओर नहीं जाता। बार-बार मन में अश्लील विचार आते रहते हैं जिससे वे हस्तमैथुन की लत से ऊपर नहीं उठ पाते। वह जब भी किसी खूबसूरत लड़के या लड़की को देखते हैं तो उनके ऊपर एक मानसिक असंतुलन सा हो जाता है। इनमें से अधिकांश विद्यार्थी मन से बहुत कमजोर हो जाते हैं उनका आत्मविश्वास शून्य हो जाता है। यदि उनको परिवार के सदस्य या उनके अध्यापक डांट फटकार लगाते हैं तो वे आत्महत्या की तरफ अग्रसर हो जाते हैं। उनके मन की स्थिति कुछ इस प्रकार की बन जाती है कि वे किसी की भी बात सुनने को तैयार नहीं होते। इसमें लड़के और लड़कियां दोनों ही शामिल हैं।

आधुनिक तकनीकी युग का दुष्प्रभाव | side effects of modern technology

आधुनिक तकनीकी युग में मोबाइल फोन का प्रयोग भी इन चीजों के लिए जिम्मेदार है। अधिकतर माता पिता अपने बच्चों को मोबाइल फोन दे देते हैं उन्हें पता नहीं होता कि छोटे से उपकरण में पूरी दुनिया समाहित है। अधिकतर माता पिता आज भी मोबाइल का इस्तेमाल करना नहीं जानते जिस कारण से बच्चे जो कुछ भी इंटरनेट पर उपलब्ध होता है उसे आसानी से खोज लेते हैं। पूर्व में ही कहा गया है कि लगभग 70 से 80% अश्लील सामग्री उपलब्ध है। अब लाजमी है की कुछ भी खोजने पर अश्लील चीजें उसके इर्द-गिर्द अवश्य घूमेगी। इसलिए किशोरावस्था में विद्यार्थीयों में कामुकता का अधिक प्रभाव होता है जिससे वे गलत रास्ते का अनुसरण कर लेते हैं।इस क्षणिक सुख के लिए वे अपनी जीवनी शक्ति रूपी वीर्य को यूं ही पानी की तरह बहा देते हैं।

वीर्य हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक तत्व है जो शरीर का लगभग 50% ऊर्जा के बराबर होता है। इसकी कमी से हमारा पाचन तंत्र बहुत प्रभावित होता है। पेट दर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं लीवर पर बहुत प्रभाव पड़ता है। वीर्य पतला हो जाता है। स्वप्नदोष की समस्या उत्पन्न होती है। जननांग में दर्द भी होता है। कब्जियत की समस्या हमेशा बनी रहती है। स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है। जल्दी गुस्सा आ जाता है। छोटी सी समस्या से भी डर लगने लगता है। ऐसे विद्यार्थियों को परीक्षा से बहुत डर लगता है। कई विद्यार्थी तो परीक्षा के डर से आत्महत्या तक कर लेते हैं। 

 

4- कामुकता एक मानसिक बीमारी के रूप में | Sexuality as a Mental Illness

कामुकता के विषय में अभी भी समाज में  कई भ्रांतियां व्याप्त हैं। जिस कारण कोई भी इस विषय पर बोलने बचता है। यह सत्य है कि कामुकता सब के अंदर है परंतु इसकी  अति एक मानसिक बीमारी के रूप में प्रदर्शित होने लगी है। ऐसे कई लोग हैं जो केवल कामुकता को ही परम आनंद समझने लगे हैं। वे हमेशा रति क्रियाओं में संलग्न  रहते हैं। उनका मानना है की कामुकता ही परमानंद है इसे नियंत्रित नहीं करना चाहिए। हम कामुकता को नियंत्रित करने की बात नहीं कर रहे हैं क्योंकि इसको नियंत्रित करने से इसका निदान नहीं है। बल्कि अपने मन के ऊपर ऐसे प्रभाव को हावी करें जो कामुकता की भावना से ही हमारे को ऊपर उठा दे। हम शरीर को केवल इंद्रियों का संजाल समझने लगे जबकि इसके अंदर कई आनंद की अनंत अवस्थाएं हैं। जिन तक पहुंचकर हम उस परम आनंद की प्राप्ति कर सकते हैं जो कामुकता से लाख गुना श्रेष्ठ है।

कामुकता मानसिक बीमारी के रूप में कई रूपों में दिखाई देती है जैसे ऐसा व्यक्ति हमेशा अश्लील बातें ही करेगा। वह हर चीज के अश्लील मतलब निकालेगा।उसे किसी  भी स्त्री या पुरुष को देखकर केवल कामुकता की भावना ही उत्तेजित करेगी। ऐसा व्यक्ति शरीर से भी जर्जर होने लगता है। धीरे धीरे ऐसे व्यक्ति को कई रोग घेर लेते हैं। जैसे खुजली, एलर्जी, गोनेरिया, सिफलिस तथा एचआईवी एड्स जैसे संक्रमण हो सकते हैं।

 

5-अश्लीलता से बढ़ते यौन अपराध:-

इसमें कोई शक नहीं है कि अश्लीलता से यौन अपराध बढ़े हैं लेकिन फिर भी इंटरनेट अश्लीलता का अड्डा बनता जा रहा है। पिछले दशक में जैसे-जैसे इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ा है उसी के साथ अश्लीलता भी बड़ी है और यौन अपराध भी बढ़े हैं। कई आंकड़ों से पता चला है की इंटरनेट पर बढ़ती अश्लीलता के कारण यौन अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। आए दिन हम बलात्कार जैसी घटनाओं को देखते रहते हैं। कहीं ना कहीं इसमें इंटरनेट पर बढ़ती अश्लीलता का ही दुष्परिणाम है।

 

6-हस्तमैथुन से बचने के उपाय:

यह हमारे दृढ़ संकल्प पर निर्भर है कि हम अपने मन को कितना नियंत्रित कर सकते हैं। अपने मन में दृढ़ संकल्प होकर यह सोचें की हस्तमैथुन जैसी तुच्छ चीज के लिए मैं अपनी जीवनी शक्ति बर्बाद कर रहा हूं। इस विचार को दृढ़ कीजिए और धीरे धीरे मन में इसका प्रभाव पड़ेगा और हमारा हस्तमैथुन के प्रति नजरिया बदल जाएगा। हम इसे तुच्छ समझने लगेंगे और हमें खुद पर शर्म आने लगेगी कि हम इतनी मामूली चीज के लिए अपने को बर्बाद कर रहे थे। संकल्प शक्ति ही हमारे जीवन में बहुत बड़े परिवर्तन ला सकती है हस्तमैथुन क्या चीज है।

किसी भी कार्य को तन्मयता से करने के लिए दृढ़ संकल्प होना अनिवार्य होता है। मन में सुबह शाम एक ही संकल्प धारण कर लें की  इस तुच्छ चीज के लिए मेरे पास समय नहीं है मुझे बहुत बड़ा काम करना है मन को पक्का कर लें। बार-बार मन को याद दिलाएं कि हस्तमैथुन से मेरे जीवन की अमूल्य निधि रूपी वीर्य बर्बाद हो रहा है मुझे अपनी अमूल्य निधि बचाने चाहिए।

जब हमको अपने वीर्य की चिंता होने लगेगी तब हम अपने आप हस्तमैथुन से घृणा करने लगेंगे। निश्चित रूप से इसे छोड़ने में कामयाब नहीं होंगे। इसके लिए बाजार कोई  दवा उपलब्ध नहीं है यह केवल और केवल हमारे दृढ़ संकल्प पर निर्भर है। संकल्प शक्ति ही हमें हस्तमैथुन से बचा सकती है। अपने संकल्प को मजबूत कीजिए और मन में ठान लीजिए कि इस तुच्छ चीज को आज से नहीं करूंगा।

 

7-ब्रह्मचर्य:

ब्रह्मचर्य“का अर्थ है ब्रह्म अर्थात परमात्म तत्व में विचरण करना। दूसरे शब्दों में अपने संयम और सदाचार द्वारा परमात्मा की ओर मन, वचन और कर्म से अग्रसर होना। यह जीवन की उच्च भूमिका है। सामान्य जन इस भूमिका में नहीं पहुंच पाता। इसके लिए दीर्घकालीन अभ्यास की आवश्यकता है। ब्रह्मचर्य का दूसरा अर्थ है जननेंद्रिय का संयम। वस्तुतः ब्रह्मचर्य एक प्रकार का व्रत और तप है, गीत के द्वारा मनुष्य को जीवन साधना में निरत रहना पड़ता है। ब्रह्मचर्य से बुद्धि प्रखर होती है। इंद्रियों की उछल कूद बंद होती है। स्मरण शक्ति तीव्र होती है। मनन शक्ति का विकास होता है। चित्र में एकाग्रता आती है। स्वास्थ्य, दीर्घायु, तेज, विद्या एवं शक्ति सामर्थ्य सब ब्रह्मचर्य पर ही आश्रित है।

 

8-निष्कर्ष:

अंत में हम यही कहेंगे की इंटरनेट पर इतनी अधिक मात्रा में अश्लीलता का होना (लगभग 70 से 80%) उचित नहीं है जो केवल हमारे मन: स्थिति को कामुकता की ओर प्रेरित कर रहा है। आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है। इस पर तुरंत निजात पाने के लिए कदम उठाने चाहिए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पोर्नोग्राफी पर प्रतिबंध लगने चाहिए। इसके लिए सभ्य समाज को आगे आना चाहिए वास्तविकता से लोगों को परिचित कराना चाहिए दकियानूसी से दूर रहना चाहिए। इसमें नैतिकता का कोई प्रश्न नहीं है यह हमारी जीवनी शक्ति को प्रभावित करने वाला एक मनोरोग के रूप में सामने आया है। इस पर नियंत्रण करने के लिए अवश्य ही कदम उठाने चाहिए।

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