karpur ras uses in hindi | karpur ras ke fayde
यह एक अद्भुत रस है, जो तुरंत लाभकारी है। आंव रहित दस्त और खूनी दस्त में इसका सेवन लाभकारी है। यह रसायन कपूर, हिंगुल और अफीम के मिश्रण से बनाया जाता है। अतिसार में लाभकारी है। पेचिश में दही के साथ देने से लाभ होता है। इसे देने से पहले एरंड तेल से पेट का आंव निकालते हैं।
contents :- 1- कर्पूर रस | कर्पूरादि बटी | karpur ras 2- कर्पूर रस बनाने की विधि और आवश्यक औषधियां | karpur ras ingredients 3- संग्रहणी रोग में कर्पूर रस का सेवन | karpur ras uses
Table of Contents
कर्पूर रस | कर्पूरादि बटी | karpur ras
रस रसायन प्रकरण में कर्पूर रस का वर्णन कर रहे हैं। यह एक अद्भुत रस है, जो तुरंत लाभकारी है। आंव रहित दस्त और खूनी दस्त में इसका सेवन लाभकारी है। यह रसायन कपूर, हिंगुल और अफीम के मिश्रण से बनाया जाता है। अतिसार में लाभकारी है। पेचिश में दही के साथ देने से लाभ होता है। इसे देने से पहले एरंड तेल से पेट का आंव निकालते हैं।
संग्रहणी में कपूर का रस बहुत ही उत्तम माना गया है। हैजा में भी इसका सेवन लाभकारी होता है। कपूर और अफीम के मिश्रण होने की वजह से दस्त और उल्टी दोनों में लाभकारी है। पित्त विकार के कारण उत्पन्न अतिसार में यह विशेष लाभदायक होता है। एक से दो गोली जल अथवा शहद या अनार के रस के साथ सेवन करना चाहिए।
1- कर्पूर रस बनाने की विधि और आवश्यक औषधियां | karpur ras ingredients
कर्पूर रस बनाने के लिए शुद्ध हिंगुल, कपूर, शुद्ध अफीम, नागर मोथा, जायफल, इन्द्रजव, शुद्ध सुहागा प्रत्येक को समान भाग में लें। सबसे पहले कपूर और अफीम को जल के साथ घोंटें। अच्छी तरह मिल जाने के बाद इसमें अन्य चूर्ण मिलाएं। अन्य औषधियों का सूक्ष्म चूर्ण को कपड़े में छानकर इसमें मिलाएं। मिलाकर जल के साथ मर्दन करें। एक एक रत्ती की गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर रख लें।
2- संग्रहणी रोग में कर्पूर रस का सेवन | karpur ras uses
- वात और पित्त विकार से उत्पन्न संग्रहणी में इसका विशेष लाभ होता है।
- वात विकार से उत्पन्न संग्रहणी में वात प्रकुपित होकर जठराग्नि को मंद कर देता है। जिस कारण अपच और खट्टी डकार आना, मुंह और गले में जलन होती है।
- शरीर में कमजोरी और आंखों के सामने अंधकार दिखता है।
- पेट में दर्द, जोड़ों में दर्द, हृदय कमजोर पड़ जाना, अरुचि, मुंह का स्वाद फीका हो जाता है।
- खाना थोड़ा सा भी खाने के बाद पेट में दर्द और पतले दस्त होने लगते हैं।
- दस्त बार-बार आते हैं। टट्टी करने देर तक बैठे रहना पड़ता है।
- दस्त बराबर बना रहता है। ऐसी हालत में कपूर रस के सेवन से जल्दी लाभ होता है।
- अफीम दर्द को दूर करता है और जायफल आंतों में ग्राहक शक्ति उत्पन्न करके दस्त को रोक देता है।
- धीरे-धीरे रोग से निजात मिलता है। इसी प्रकार पित्त विकार से उत्पन्न संग्रहणी में भी इसका सेवन लाभकारी है।
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