jatamansi ke fayde | जटामांसी क्या है?
जटामांसी कड़वी, कसैली, मेधाजनक, कांतिकारक, पौष्टिक, रुचि वर्धक, शीतल, त्रिदोष नाशक और रक्त विकार, जलन, चर्म रोग, गले की बीमारी में लाभकारी है। यह शरीर के सौंदर्य को भी बढ़ाता है। इसकी जड़ें सुगंधित होती हैं। इसका उपयोग मिर्गी की बीमारी में भी किया जाता है। पेट की गैस में यह लाभकारी है। हृदय की धड़कन को यह नियमित करता है।
जटामांसी (Jatamansi)
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बाल काले, घने और खूबसूरत हों ये ख्वाहिश सिर्फ महिलाओं की ही नहीं पुरुषों की भी होती है, जिनकी खातिर अब पुरुष भी सेल्फ ग्रूमिंग पर ध्यान देने लगे हैं और इससे जुड़े प्रोडक्ट्स की तलाश में भी रहते हैं। आप महंगे और केमिकल से भरपूर प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करके हार चुके हों तो आयुर्वेद आजमाएं। पुराने आयुर्वेदिक खजाने में मजबूत और हेल्दी बालों का राज छुपा है, जो न सिर्फ महिलाओं के बल्कि पुरुषों के बालों पर भी कारगर है। जटामांसी (Jatamansi) एक ऐसी जड़ी बूटी है जो बालों में नई जान डाल देती है।
प्राप्तिस्थान और अन्य भाषाओं में नाम
जटामांसी केदारनाथ से लेकर कुमाऊं और सिक्किम तथा नेपाल और भूटान में पैदा होती है। हिंदी, बंगाली, मराठी, तेलुगू में जटामांसी; संस्कृत में जटामांसी, जटिला, लोमशा, तपस्विनी, भूतजटा; गुजराती में बालछड़; पहाड़ी में भूतकेश; यूनानी में सुबुल हिंदी आदि नामों से जाना जाता है।
जटामांसी की पहचान
जटामांसी के पत्ते 15 से 20 सेंटीमीटर तक लंबे तथा 2 से 5 सेंटीमीटर तक चौड़े होते हैं। इसके फूल गुलाबी होते हैं जो को गुच्छों में लगते हैं। इसका फल बड़ा और रोयेंदार होता है। इसकी जड़ें रोयें से ढकी रहती हैं। बाजार में अधिकतर जटामांसी नकली मिलती है। इसलिए लेते समय जांच कर लेनी चाहिए। जटामांसी दो प्रकार की होती है। एक को आकाशमांसी और दूसरे को गंधमांसी कहते हैं। यह खुशबूदार होती है।
जटामांसी के उपयोग
जटामांसी विभिन्न प्रकार के रोगों में औषधि के रूप में उपयोग की जाती है। जैसे भूख बढ़ाने, पाचन क्रिया और काले बालों के लिए बहुत लाभकारी है। अब हम जटामांसी के विभिन्न उपयोगों के बारे में चर्चा करते हैं-
- जटामांसी भूख बढ़ाने, पाचन क्रिया को दुरुस्त करने वाली और कब्जियत से बचाने वाली होती है।
- मस्तिष्क और मज्जा तंतुओं के रोगों में जटामांसी बहुत लाभकारी है।
- बच्चों के पेट में दर्द और पेट फूलने, बदहजमी में जटामांसी लाभकारी है।
- चर्म रोगों में भी यह लाभकारी है।
- फोड़ा या जख्म के ऊपर लेप करने से लाभ होता है।
- पीरियड्स में होने वाले दर्द को कम करके पीरियड्स को नियमित करता है।
- जटामांसी का शरबत बनाकर पीने से हृदय और कफ के रोग दूर होते हैं।
- जटामांसी के चूर्ण का मंजन करने से दांत का दर्द ठीक होता है।
बालों के लिए जटामांसी
जटामांसी एक तरह की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसका तेल बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। जटामांसी की जड़ों से उसका तेल तैयार होता है। जटामांसी चाहें तो अकेले उपयोग करें या फिर भृंगराज, ब्राह्मी, आंवला के साथ भी मिलाकर जटामांसी का उपयोग हो सकता है। आयुर्वेद में माना गया है कि पित्त दोष की वजह से बालों की परेशानी होती है। जटामासी इसी दोष को कम कर बाल झड़ने से से रोकती है।जटामांसी का तेल बनाना या मंगवाना मुश्किल हो तो जटामांसी का पाउडर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे नारियल तेल या नीम तेल के साथ मिलाकर सिर पर लगाने से बालों को फायदा होता है।
जटामांसी के फायदे
- ये बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है।
- हेयर ग्रोथ यानी बालों को बढ़ाने में लगने वाले समय को कम करता है।
- बालों को मजबूती देता है।
- बालों के काले रंग को बनाए रखता है।
सीबम का संतुलन
हमारे बालों की त्वचा या यूं कहे कि सिर की सतह सीबम को प्रोड्यूस करती है। ये बालों की ग्रोथ के लिए जरूरी है, लेकिन ज्यादा धूप, केमिकल या प्रदूषण की वजह से सीबम या तो कम बनता है या फिर बहुत ज्यादा बन जाता है। जटामांसी के उपयोग से सीबम संतुलित मात्रा में बनता है।
कमजोर बालों को नई जान
जटामांसी के नियमित इस्तेमाल से कमजोर बालों को नई जान मिलती है। एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर जटामांसी बालों को मजबूत बनाए रखता है।
जल्दी सफेद नहीं होंगे बाल
जटामांसी के तेल में बालों का रंग बरकरार रखने के गुण होते हैं जिसकी वजह से बालों का समय से पहले सफेद होने का डर खत्म हो जाता है।
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