jackfruit benefits in hindi | kathal ki sabji in hindi
कटहल या फनस (वानस्पतिक नाम : औनतिआरिस टोक्सिकारीआ (Antiaris Toxicaria)) का वृक्ष शाखायुक्त, सपुष्पक तथा बहुवर्षीय वृक्ष है। यह दक्षिण एशिया तथा दक्षिण-पूर्व एशिया का देशज वृक्ष है। पेड़ पर होने वाले फलों में इसका फल विश्व में सबसे बड़ा होता है। फल के बाहरी सतह पर छोटे-छोटे काँटे पाए जाते हैं। इस प्रकार के संग्रन्थित फल को सोरोसिस कहते हैं। कटहल बांग्लादेश और श्रीलंका का राष्ट्रीय फल है, जबकि भारतीय राज्यों केरल और तमिलनाडु में भी इसे राज्य फल का दर्जा दिया गया है। यह भारत की मूल उपज है, विशेषकर महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल राज्य में, जहां इसकी खेती 3,000 से 6,000 साल पहले से की जा रही है। यह भारतवर्ष के लगभग सभी क्षेत्रों में पाया जाता है।
कटहल | jackfruit
Table of Contents
- 1 कटहल | jackfruit
- 1.1 अन्य भाषा में कटहल के नाम
- 1.2 आयुर्वेद के अनुसार कटहल के गुण
- 1.3 यूनानी चिकित्सा के अनुसार कटहल के गुण
- 1.4 कटहल खाने के बाद कभी न खाएं ये चीजें | कटहल कब नहीं खाना चाहिए
- 1.5 हैजे में उपयोगी है कटहल
- 1.6 पेट का मैल साफ करता है कटहल
- 1.7 रक्तातिसार में कटहल उपयोगी है
- 1.8 कटहल की तासीर क्या है?
- 1.9 कटहल में कौन से विटामिन होते हैं?
- 1.10 कैसे खाएं कटहल | How To Eat Jackfruit
- 1.11 क्या प्रेगनेंसी में कटहल खा सकते हैं?
कटहल का पेड़ सघन होता है। इसके पत्ते बरगद के पत्ते जैसे होते हैं लेकिन उससे छोटे होते हैं। इसमें फल तने एवं डालियों के पत्तों को फाड़ कर निकलते हैं। इसके फल 1 फुट से लेकर 3 फुट तक लंबे और मोटे अंडाकार होते हैं, जिनमें कांटे की भांति छिलका होता है। यह मिट्टी के नीचे जड़ में भी फलता है। कटहल के पत्ते १० सेमी से लेकर २० सेमी लम्बे कुछ चौड़े , किंचित अंडाकार और किंचित कालापनयुक्त हरे रंग के होते हैं। कटहल में पुष्प स्तम्भ और मोटी शाखाओं पर लगते हैं। पुष्प ५ सेमी से लेकर १५ सेमी तक लम्बे , २-५ सेमी गोल अंडाकार और किंचित पीले रंग के होते हैं। इसके फल बहुत बड़े-बड़े लम्बाई युक्त गोल होते हैं। उसके उपर कोमल कांटे होते हैं। फल लगभग २० किलो भार तक हो सकता है।
अन्य भाषा में कटहल के नाम
हिंदी में कटहर, कटहल ; संस्कृत में पणस, कंटकी फल, वृहतफल; गुजराती में पणस; बंगाली में कांटोल; तेलुगु में फणसचह; तमिल में बला आदि नामों से जाना जाता है। कटहल या फनस (वानस्पतिक नाम : औनतिआरिस टोक्सिकारीआ (Antiaris Toxicaria)) का वृक्ष शाखायुक्त, सपुष्पक तथा बहुवर्षीय वृक्ष है। यह दक्षिण एशिया तथा दक्षिण-पूर्व एशिया का देशज वृक्ष है। पेड़ पर होने वाले फलों में इसका फल विश्व में सबसे बड़ा होता है।
आयुर्वेद के अनुसार कटहल के गुण
- कटहल का कच्चा फल ग्राही, कसैला, त्रिदोष कारी, बल बढ़ाने वाला और भारी होता है।
- इसका फल शीतल, स्निग्ध, तृप्ति कारक, कामोद्दीपक, मांस बढ़ाने वाला और वात रोग में उपयोगी है।
- कटहल कुष्ठ रोग और व्रण रोग में उपयोगी है।
- इसके बीज मीठे, मूत्रल, कामोद्दीपक और कब्ज करने वाले होते हैं।
- इसके फूल भारी, कड़वे और मुंह को साफ करने वाले होते हैं।
- कटहल के बीज बीज की मींगी वीर्यवर्धक , वात , पित्त तथा कफ नाशक होती है।
यूनानी चिकित्सा के अनुसार कटहल के गुण
- यह दूसरे दर्जे का गर्म और पहले दर्जे में खुश्क है।
- यह औषधि कामोद्दीपक, ताकत बढ़ाने वाली, उत्तेजक और वीर्य बढ़ाने वाली है।
- वीर्य स्तंभन में यह अपना बहुत प्रभाव डालती है।
- यह खून को दूषित करने वाली है।
- इसके नए पत्ते फोड़ों और घाव को सुखाने के लिए काम आते हैं।
- सांप के काटे हुए स्थान पर कटहल लगाने से विष शांत होता है।
कटहल खाने के बाद कभी न खाएं ये चीजें | कटहल कब नहीं खाना चाहिए
- अगर खाने से एक घंटे पहले दूध पिया है, तो कटहल का सेवन न करें।
- वहीं, इसे खाने के बाद भी दूध से दूरी बनाकर रखें।
- दूध और कटहल मिलकर रिएक्शन कर सकते हैं और इससे कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं।
- कटहल के ज्यादा सेवन से चर्मरोग जैसे, दाद, खाज, खुजली, एग्जिमा और सोरायसिस वगैरह का भी खतरा रहता है।
- इसमें खुजली, सफेद दाग, मुंहासे आदि की समस्या शामिल है।
- इसके अलावे पाचन से जुड़ी बीमारी का खतरा भी हो सकता हो सकता है।
- कई लोग कटहल खाने के बाद शहद का सेवन कर लेते हैं, जो सेहत के लिए ठीक नहीं है।
- माना जाता है कि ये सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है।
- मंदाग्नि रोग वालों को कटहल नहीं खाना चाहिए।
हैजे में उपयोगी है कटहल
कटहल के फूल को पानी में पीसकर पीने से हैजा की बीमारी में लाभ मिलता है।
पेट का मैल साफ करता है कटहल
जड़ से पैदा हुआ कटहल वादी और पित्त को दूर करता है। कटहल दस्त साफ करता है। बलगम और पेट का मैल साफ करता है। जड़ से पैदा हुआ कटहल शरीर और हृदय को ताकत देता है।
रक्तातिसार में कटहल उपयोगी है
कटहल के पेड़ का रस ग्रंथियों की सूजन और फोड़ों के ऊपर मवाद पैदा करने के लिए लगाया जाता है। इसकी जड़ रक्तातिसार में उपयोगी है। इसकी गांठें यदि कमर के ऊपर बांधी दी जाए तो जलार्बुद को दूर करती हैं। इसके छोटे पत्ते चर्म रोग में काम आते हैं।
कटहल की तासीर क्या है?
यह दिल के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है। कटहल में पोटैशियम पाया जाता है, जो कि दिल की हर समस्या को दूर करता है क्योंकि यह ब्लड प्रेशर को कम कर देता है। कटहल काफी रेशेदार होता है और इसमें भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है। यह एनीमिया दूर करता है।
कटहल में कौन से विटामिन होते हैं?
कटहल के अंदर कई पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जैसे, विटामिन ए, सी, थाइमिन, पोटैशियम, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, आयरन, नियासिन और जिंक आदि। इसमें खूब सारा फाइबर पाया जाता है। इसमें कैलोरी बिल्कुल भी नहीं होती है।
कैसे खाएं कटहल | How To Eat Jackfruit
जब कटहल कच्चा होता है तो इसे सब्जी बनाकर खा सकते हैं। कटहल से कोफ्ता भी बनता है और कई लोग इससे त्योहार पर कटलेट या पकौड़ी के रूप में भी उपयोग करते हैं। जब कटहल पक जाता है तो इसके बीच के भाग, जिसे कोवा कहा जाता है, को फल के रूप में खाया जाता है।
क्या प्रेगनेंसी में कटहल खा सकते हैं?
जी हां, गर्भवती महिलाओं के लिए कटहल खाना सुरक्षित होता है, लेकिन आपको इसे सही मात्रा में ही खाना होगा। इसे ज्यादा पका कर न खाएं क्योंकि यह गर्मी पैदा करने वाली सब्जी है। कटहल विटामिन बी6 और पोटैशियम जैसे कई पोषक तत्वों से युक्त होती है। इसमें आसानी से पचने वाला गूदा होता है जो एंटीऑक्सीडेंट से युक्त होता है।
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