ishwar mool plant in hindi | aristolochia indica uses
ईश्वर मूल की जड़ कड़वी, कसैली, कृमि नाशक,विषनिवारक, मासिक धर्म नियमित करने वाली तथा श्वास, खांसी और हृदय रोग में लाभकारी है। यह त्रिदोष , जोड़ों का दर्द और बच्चों की आंतों की समस्याओं में लाभकारी है। इसकी जड़ को औटाकर पिलाने से जोड़ों का सूजन उतर जाता है। इसको घिसकर लगाने से बिच्छू के डंक में लाभ होता है। इसकी जड़ गुड़ के साथ उबालकर पिलाने से शिशु प्रसव के समय दर्द कम होता है।
ईश्वरमूल | Aristolochia
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यह औषधि विशेषकर बंगाल, कोंकण, त्रावणकोर, सिलोन और समुद्र के पश्चिमी किनारे में मिलती है। यह एक प्रकार का झाड़ीनुमा वृक्ष होता है। इसका तना प्रारंभ में बड़ा नाजुक होता है। इसकी छाल मीठी होती है। इसके पत्ते अलग-अलग आकार के होते हैं। इसके पत्तों की नोक तीखी और किनारे सीधे होते हैं। इसमें फूल बहुत कम आते हैं। इसके फूल छोटे और गोलाकार होते हैं। इसके बीज चपटे कुछ गोल और तीखी नोक वाले होते हैं। इस औषधि की जड़ सुगंधित और कड़वी होती है।
अन्य भाषाओं में ईश्वर मूल के नाम
हिंदी में ईश्वर मूल, इसरमूल; संस्कृत में अहिगंध, अर्कमूल, सुन्नदा, अर्कपत्रा, विषापहा; गुजराती में अर्कमूल, नोलबेल; अरबी में जरवन्दहिंदी ; बंगाली में ईश्वरमूल, ईश्वरी; मराठी में सापसन; तेलुगु में गोबिंद; फ़ारसी में जराबंदे हिंदी आदि नामों से जाना जाता है।
आयुर्वेद में ईश्वरमूल के गुण
ईश्वर मूल की जड़ कड़वी, कसैली, कृमि नाशक,विषनिवारक, मासिक धर्म नियमित करने वाली तथा श्वास, खांसी और हृदय रोग में लाभकारी है। यह त्रिदोष , जोड़ों का दर्द और बच्चों की आंतों की समस्याओं में लाभकारी है। इसकी जड़ को औटाकर पिलाने से जोड़ों का सूजन उतर जाता है। इसको घिसकर लगाने से बिच्छू के डंक में लाभ होता है। इसकी जड़ गुड़ के साथ उबालकर पिलाने से शिशु प्रसव के समय दर्द कम होता है। इसकी जड़ ताकत बढ़ाती है। ईश्वरमूल ज्वर का नाश करता है। सर्पदंश में यह दवा खाने और लगाने में उपयोग की जाती है। इसके पत्तों का रस पिलाने से जलोदर रोग में लाभ होता है।
यूनानी चिकित्सा में ईश्वरमूल के गुण
यह औषधीय पित्तप्रदाह, सूखी खांसी और जोड़ों के दर्द में लाभकारी है। यह एक प्रकार का विरेचक है। उत्तेजक, पौष्टिक और मासिक धर्म को नियमित करने के गुण के कारण यह औषधि बहुत उपयोगी है।
ईश्वर मूल के उपयोग
यह औषधि विभिन्न रोगों में उपयोगी है। कई गंभीर समस्याओं में इसका उपयोग किया जाता है। आइए कुछ ऐसे ही उपयोग आगे जानते हैं-
सांप का विष उतारने में ईश्वर मूल का सेवन
सर्प के काटे वाली जगह पर पांच पत्ते, 10 काली मिर्च के साथ बारीक पीसकर खिलाने से सर्प का विष दूर हो जाता है। यदि रोगी बेहोश हो तो इसका मिश्रण निकाल कर उसके मुंह और नाक में टपकाना चाहिए।
प्रसूता महिलाओं के लिए उपयोगी है ईश्वरमूल
प्रसूता के समय महिलाओं को बहुत कष्ट होता है। इस कष्ट में पीपलामूल के साथ ईश्वरमूल देने पर लाभ मिलता है।
पेट की समस्याओं में लाभकारी है ईश्वरमूल
अजीर्ण, वमन, हैजा, अतिसार, संग्रहणी एवं पुराना अजीर्ण में इसके पत्तों का रस काली मिर्च के साथ देने से बहुत लाभ होता है। यह आंतों के दर्द को दूर करता है।
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