health tips in hindi for all | स्वस्थ रहने के 4 सरल उपाय
चार नियम जो हमेशा आनंदमय और सुखी जीवन का अनुभव कराते हैं। वो चार नियम इस प्रकार हैं- उषा पान, निर्धारित समय पर भोजन, पानी पीने का सही तरीका और योग-प्राणायाम। हमारे जीवन में नियमित दिनचर्या का बहुत महत्व है। इसके लिए हम कुछ नियमों का पालन करते हैं तो हमारा जीवन आनंद से भर जाता है। जीवन को आनंदमय बनाने के लिए आज हम आपके लिए लाए हैं चार नियम जिनको अपनाकर आप हमेशा स्वस्थ और आनंदित होंगे।
नियमित दिनचर्या (regular routine)
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हमारे जीवन में नियमित दिनचर्या का बहुत महत्व है। इसके लिए हम कुछ नियमों का पालन करते हैं तो हमारा जीवन आनंद से भर जाता है। जीवन को आनंदमय बनाने के लिए आज हम आपके लिए लाए हैं चार नियम जिनको अपनाकर आप हमेशा स्वस्थ और आनंदित होंगे।
1-ऊषा पान:
आयुर्वेद में ऊषा पान का बहुत महत्व बताया गया है। सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर रात का रखा पानी पीना ही ऊषा पान कहलाता है। उषा पान किसी चमत्कार से कम नहीं है।
उषा पान से हमारे मुंह में रात भर जो लार जमी रहती है वह पेट में पहुंचकर आंतें साफ करती है। जो भी फंसा हुआ भोजन/मल होता है उसे साफ करके पाचन तंत्र को मजबूत करता है। गुर्दों में फंसा हुआ उत्सर्जी पदार्थ भी इससे पूर्णतया साफ हो जाते हैं और गुर्दे भी स्वस्थ रहते हैं।
नोट:- ऊषा पान हमेशा रात के रखे पानी से ही करना चाहिए। ताजे पानी से पेट दर्द तथा अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए रात का रखा हुआ बासी पानी ही उषा पान के समय पीना चाहिए।
2-भोजन करने का ठीक समय क्या है ? ( What is the right time to have lunch?)
प्रातः कालीन भोजन हमेशा सूर्योदय से ढाई घंटे बाद करना सबसे उत्तम माना जाता है। सबसे जरूरी यह है कि प्रातः कालीन भोजन हमेशा अधिक मात्रा में करना चाहिए। उसमें वसा की मात्रा अधिक होनी चाहिए । फलों का रस प्रातः कालीन भोजन के बाद सबसे उत्तम पदार्थ माना गया है। प्रातः कालीन भोजन में अधिक पोषक पदार्थ लेनी चाहिए।
दोपहर भोजन हमेशा प्रातः कालीन भोजन से आधा करना चाहिए। यदि हमने प्रातः काल 8 रोटियां खाई हैं तो दोपहर में 4 ही खाएं। दोपहर भोजन प्रातः कालीन भोजन से लगभग 4 घंटे के बाद ही करना चाहिए। दोपहर भोजन के बाद मट्ठा पीना सर्वोत्तम बताया गया है। फलों का रस भी दोपहर भोजन के बाद पी सकते हैं।
आयुर्वेद में रात्रि भोजन के विषय में वर्णन नहीं है बल्कि सायंकालीन भोजन के रूप में उसे बताया गया है। हम समझ सकते हैं कि रात्रि में भोजन करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक कम हानिकारक ज्यादा है।सायंकालीन भोजन हमेशा सूर्यास्त से पूर्व कर लेना चाहिए। इसको हम कुछ उदाहरणों के द्वारा भी समझ सकते हैं जैसे पशु पक्षी अधिकतर रात में आराम करते हैं। रात्रि में उनको भोजन की आवश्यकता नहीं पड़ती है शाम तक अपने भोजन का प्रबंध कर लेते हैं इसका मतलब प्रकृति से ही उनको यह सीख मिली हुई है कि रात्रि भोजन निषेध है।
मोटापे की समस्या क्यों होती है ? | Why is obesity a problem?
- आजकल अधिकतर लोग देर रात्रि में भोजन करते हैं, उनको सबसे ज्यादा मोटापे की समस्या हो रही है।
- मोटापे का मुख्य कारण देर रात्रि में भोजन करना और अधिक मात्रा में भोजन करना है।
- रात्रि में भोजन करने से नींद अच्छी नहीं आती है नींद टूटती रहती है।
- इसलिए रात्रि में सोने से कम से कम 3 घंटे पहले भोजन कर लेना चाहिए।
- रात्रि में भोजन के उपरांत दूध पीना सर्वोत्तम माना गया है।
- दूध में हल्दी डालकर पीने से कई कफ रोग दूर होते हैं नींद अच्छे और जल्दी आती है।
- दूध में शहद डालकर पीने से रात्रि में बहुत अच्छी नींद आती है।
- सोते ही तुरंत नींद आती है।
- दूध पीने के बाद तुरंत सोना नहीं चाहिए आधा घंटा कम से कम रुकना चाहिए और कुल्ला करके मंजन करके ही सोना चाहिए।
- इससे दंत छय की समस्या से बच सकते हैं।
- रात्रि में सोने से पहले दातुन करना बहुत ही आवश्यक है इससे दांत में फंसे भोजन के कण बाहर निकल जाते हैं और उसके सड़ने से दांतों को नुकसान होने से बचा जा सकता है।
3- पानी पीने का सही तरीका क्या है ? ( What is the right way to drink water?)
आयुर्वेद में कहा गया है भोजन को पीयें और पानी को खाएं अर्थात भोजन को इतना चबाएं कि वह पानी की तरह हो जाए और निकल जाए। पानी हमेशा घूट घूट कर पीना चाहिए। पूरे मुंह में घुमा कर उससे लार मिलता है जो क्षारीय होता है। इससे एसिडिटी या अति अम्लता की समस्या दूर होती है। पाचन की क्रिया अच्छी होती है। लार में उपस्थित एंजाइम भोजन को पोषक बनाते हैं। भोजन के बाद पानी हमेशा 1 से 2 घंटे बाद ही पीना चाहिए क्योंकि भोजन करते समय हमारे पेट में जठराग्नि उत्पन्न होती है जिससे भोजन का पाचन होता है। यदि हम भोजन के तुरंत बाद पानी पीते हैं तो यह जठराग्नि को बुझा देगा जिससे भोजन पचेगा नहीं बल्कि अब भोजन सड़ेगा। भोजन के सड़ने से कई विकार उत्पन्न होंगे-जैसे, पेट में गैस बनेगी, जिससे पेट में दर्द होगा और कब्जियत हो जाएगी। इससे कई रोग उत्पन्न होते हैं इसलिए पानी हमेशा भोजन के 1 घंटे के बाद ही पीना चाहिए। अन्यथा इससे कई बीमारियां उत्पन्न होती हैं।
यदि भोजन से पहले पानी पीना हो तो 40 मिनट से 1 घंटे पूर्व पी लेना चाहिए भरपूर मात्रा में। इससे भोजन के तुरंत बाद प्यास नहीं लगेगी जिससे पाचन अच्छा होगा। बिना प्यास के पानी नहीं पीना चाहिए। और आजकल कई लोग पानी की बोतल अपने साथ में रखते हैं और थोड़ा थोड़ा मात्रा में पानी पीते रहते हैं ऐसा करना बहुत नुकसान कर सकता है। प्यास लगने पर पानी भरपूर मात्रा में पीना चाहिए। बार-बार और थोड़ा-थोड़ा पानी पीने से हमारे शरीर में जल का अवशोषण अधिक मात्रा में होता है जिससे हमारे मस्तिष्क में सूजन आ सकती है जो ब्रेन हेमरेज का कारण बन सकता है। इसलिए पानी हमेशा प्यास लगने पर और एक साथ भरपूर मात्रा में पीना चाहिए।
4-योग और प्राणायाम (Yoga and Pranayama)
पहले तीन नियमों पर ही यह नियम निर्भर है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यह 4 नियम एक चारपाई के खुटे की तरह हैं अगर एक भी कमजोर है तो हम उस पर सो नहीं सकते। योग- प्राणायाम का अगर हम सामान्य अभ्यास 20 से 30 मिनट भी प्रतिदिन करें तो स्वस्थ रह सकते हैं। योग शास्त्र बहुत विस्तृत है हम उस विस्तृत में न जाकर केवल कुछ आसन और कुछ प्राणायाम नियमित करते हैं तो स्वस्थ रह सकते हैं।
जैसे भोजन के बाद वज्रासन में बैठ सकते हैं। प्रातः काल नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर प्राणायाम में भस्त्रिका प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम, अनुलोम विलोम प्राणायाम और ओंकार जप इत्यादि प्राणायाम किए जा सकते हैं। योगासन और प्राणायाम का अभ्यास योग शिक्षकों से मार्गदर्शन प्राप्त करने के बाद ही करना चाहिए।
नोट :- बिना शिक्षकों के मार्गदर्शन के कभी-कभी कुछ अनहोनी घटित हो सकती है इसलिए बिना जानकारी के अभ्यास करना उचित नहीं होता है।
निवेदन:-
हमें आशा है आप इन 4 नियमों का पालन करके अपने जीवन में आनंद और खुशियों से भरपूर होंगे ऐसी हमारी आशा है। हमें आप अपने सुझाव दे सकते हैं। हमसे जुड़ने के लिए वेबसाइट में संपर्क कर सकते हैं। किसी भी आयुर्वेदिक दवा का सेवन करने से पहले वैद्य या चिकित्सक की सलाह लेना बहुत जरूरी है। हमें आशा है आप इस लेख से लाभान्वित होंगे।
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