giloy ke fayde in hindi | giloy juice ke fayde
गिलोय एक बेजोड़ किस्म का औषधि पौधा है । जिसका तना, पत्ती और जड़ तीनों औषधि बनाने में काम आते हैं। आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि। ‘बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने से इसका नाम अमृता है। यह बेल वृक्षों के आश्रय से वनों में पनपती है। इसको गुरीच आदि नामों से जाना जाता है। इसके पत्ते हृदय की आकृति के और लंबे डंठल वाले होते हैं। इसके फूल बारीक, पीले रंग के और गुच्छे में लगते हैं। इसके फल लाल रंग के होते हैं। इस लता का तना अंगूठे के बराबर मोटा होता है। इस बेल का तना औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसका स्वाद कड़वा होता है। इस बेल को इकट्ठा करने से यह ज्यादा गुणकारी होती है।
‘गिलोय’ एक औषधीय पौधा | giloy ke fayde
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गिलोय एक बेजोड़ किस्म का औषधि पौधा है । जिसका तना, पत्ती और जड़ तीनों औषधि बनाने में काम आते हैं। आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि। ‘बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने से इसका नाम अमृता है।
‘ आयुर्वेद साहित्य में इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका नाम दिया गया है।गिलोय सांस संबंधी रोग जैसे दमा और खांसी में अधिक लाभकारी है। इसको यदि नीम और आंवले के साथ मिलाकर उपयोग किया जाता है तो यह त्वचा संबंधी रोग जैसे एक्जिमा और सोरायसिस को दूर करता है।
गिलोय कभी न सूखने वाली एक बड़ी बेल है। इसका तना रस्सी जैसा लगता है। इसका कोमल तना तथा शाखाओं से जड़ें निकलती हैं। इस पर पीले और हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं।
गिलोय जिस पेड़ पर चढ़ती है उसी पेड़ के गुण इस पर आ जाते हैं। इसीलिए इसको नीम के पेड़ पर चढ़ाना सबसे अच्छा माना जाता है। जिससे इसमें नीम के गुण आ जाते हैं और जो सर्वरोग निवारक का काम करता है।
गिलोय के फायदे-
- डायबिटीज में जो टाइप- 2 डायबिटीज की समस्या है उन्हें गिलोय के सेवन से काफी लाभ मिलता है। गिलोय में अधिक मात्रा में हाइपोग्लाइकेमिक एजेंट पाए जाते हैं। जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है।
- गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। गिलोय के नियमित सेवन करने से प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ती है।
- गिलोय के साथ काली मिर्च और शहद लेने से खांसी और सर्दी – जुकाम में जल्दी आराम मिलता है
- सुबह खाली पेट गिलोय का रस पीने से हमारे चेहरे पर चमक आती है।
- रात्रि में सोते समय गिलोय का काढ़ा पीने से पेट संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। कब्ज नहीं बनता है कब्जियत से निजात मिलता है।
- गिलोय के रस का नियमित सेवन करने से बालों के झड़ने से संबंधित समस्याएं भी दूर होती हैं।
- यदि गिलोय को गाय, भैंस को खिलाया जाए तो दूध की मात्रा बढ़ती है और दूध में पोषक तत्वों की मात्रा संतुलित होती है।
- गिलोय का नियमित सेवन करने वाले व्यक्ति को बुढ़ापा कभी नहीं सताता। चेहरे पर हमेशा तेज झलकता है।
- यदि किसी व्यक्ति के वीर्य में शुक्राणु की संख्या कम या शुक्राणु मृत हो गए हैं तो नियमित गिलोय का सेवन करने से शुक्राणु की संख्या बढ़ती है और शुक्राणु अधिक सक्रिय होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार गिलोय के गुण
गिलोय कसैला, कड़वा, उष्ण वीर्य, मलरोधक, बलकारक है। यह हृदय के लिए लाभकारी है। यह उल्टी, ज्वर, रक्त दोष, वात , पित्त,कफ और पांडु रोग आदि में गुणकारी है। कृमि नाशक, खूनी बवासीर में और कोढ़ में लाभकारी है। यह घी के साथ वात को, शक्कर के साथ पित्त को, शहद के साथ कफ को और सोंठ के साथ आमवात को दूर करता है।
यूनानी चिकित्सा में गिलोय के गुण
यह पहले दर्जे में गर्म और तर है। जो गिलोय नमी के ऊपर चढ़ती है वह पुराने बुखार के लिए बहुत लाभकारी है। तपेदिक या क्षय रोग में भी यह बहुत लाभकारी है। हर किस्म के ताप को नष्ट करती है। गिलोय दिल, जिगर और मैदे की जलन को दूर करती है। खांसी, पीलिया और बेहोशी में फायदा पहुंचाती है। कफ को छांटती है और भूख बढ़ाती है। वीर्य को बढ़ाकर गाढ़ा करती है। मिश्री के साथ सेवन करने से पित्त की जलन को दूर करती है। शहद के साथ सेवन करने से कफ के प्रकोप को दूर करती है।
गिलोय के 20 उपयोग गुण
- ज्वर में इसका उपयोग विभिन्न रूपों में किया जाता है।
- पित्त ज्वर में नीम, गिलोय का सत्व शहद के साथ देने से लाभ होता है।
- पुराने ज्वर और खांसी में इसका काढ़ा या ताजा रस पीपल और शहद के साथ देने से लाभ होता है।
- बार बार आने वाले बुखार में इसका रस लाभकारी है।
- पीलिया की बीमारी में इसका रस प्रातः काल शहद के साथ देने से लाभ होता है।
- पित्त से होने वाली उल्टियों में इसका काढ़ा लाभदायक होता है।
- सुजाक, प्रमेह, पेशाब की जलन इत्यादि मूत्र रोगों में यह लाभकारी है।
- अरंडी के तेल के साथ इसका सेवन करने से संधिवात दूर होता है।
- मंजिष्ठादि क्वाथ के साथ गिलोय का सेवन करने से रक्त विकार में लाभ होता है।
- इसका काढ़ा बनाकर पिलाने से सांप के विष में लाभ होता है।
- गिलोय का काढ़ा पीने से गर्मी से पैदा होने वाले फोड़े फुंसी दूर होते हैं।
- इसका काढ़ा पिलाने से महिलाओं का श्वेत प्रदर रोग दूर होता है।
- ब्राह्मी के साथ इसका काढ़ा बनाकर पिलाने से दिल की धड़कन और पागलपन दूर होता है।
- गिलोय के रस में पीपल का चूर्ण और शहद मिलाकर पिलाने से तिल्ली के रोग दूर होते हैं।
- भूख बढ़ती है और खांसी में लाभ होता है।
- गिलोय के पत्तों को मट्ठे के साथ पीसकर पिलाने से पीलिया दूर होता है।
- इसके काढ़े में अरंडी का तेल और गूगल मिलाकर नियमित सेवन करने से वात रक्त मिटता है।
- गिलोय और सोंठ के चूर्ण को मिलाकर सुंघाने से हिचकी बंद हो जाती है।
- गिलोय का सेवन गुड़ के साथ करने से कब्जियत दूर होती है।
- गिलोय का सेवन गोमूत्र के साथ करने से श्लीपद की बीमारी दूर होती है।
100 से अधिक बीमारियों को ठीक करता है गिलोय
गिलोय 100 से अधिक बीमारियों को ठीक कर सकता है। गिलोय का प्रयोग नीम के साथ कीटनाशक के रूप में भी किया जा सकता है। गिलोय में जबरदस्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की शक्ति होती है। इसलिए इसे ज्वर निवारक माना गया है। किसी भी प्रकार का ज्वर अगर आपको है तो गिलोय का काढ़ा पीने से तुरंत लाभ मिलता है। हफ्ते में दो बार भी यदि हम गिलोय का सेवन करते हैं तो हमें वायरसों का प्रभाव प्रभावित नहीं करेगा ।
लेख- हेम जोशी
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