ganna ke fayde in hindi | गन्ने का जूस कब पीना चाहिए
गन्ना पूरे भारतवर्ष में उगाया जाता है। यह एक जाना पहचाना पौधा है। आयुर्वेदिक में इसकी पौण्ड्रक, भीरूक, वंशक, शतपीरक, कांतार, तापसेक्षु, काण्डेक्षु, सूचिपत्र, नैपाल, दीर्घपत्र, नीलपोर, कोशकृत् इत्यादि कई जातियां बताई गई हैं। गन्ना, भारत की महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों में से एक है और इसका नकदी फसल के रूप में एक प्रमुख स्थान है। चीनी का मुख्य स्रोत गन्ना है। भारत दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
गन्ना | sugarcane
Table of Contents
गन्ना पूरे भारतवर्ष में उगाया जाता है। यह एक जाना पहचाना पौधा है। आयुर्वेदिक में इसकी पौण्ड्रक, भीरूक, वंशक, शतपीरक, कांतार, तापसेक्षु, काण्डेक्षु, सूचिपत्र, नैपाल, दीर्घपत्र, नीलपोर, कोशकृत् इत्यादि कई जातियां बताई गई हैं। गन्ना, भारत की महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों में से एक है और इसका नकदी फसल के रूप में एक प्रमुख स्थान है। चीनी का मुख्य स्रोत गन्ना है। भारत दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। गन्ने की खेती बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देती है और विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
अन्य भाषाओं में गन्ने के नाम
हिंदी में ईंख एवं गन्ना; संस्कृत में इच्छु, दीर्घच्छद, भूरीरस; गुजराती में शेरड़ी; बंगाली में कुशिर; मैथिली में कुशियार; तेलुगू में चिरक्कू; फारसी में नेशकर; अरबी में कसउसशकर इत्यादि नामों से जाना जाता है।
गन्ने की अनुमोदित किस्में
शीघ्र (9 से 10 माह) में पकने वाली वाली – को. 7314 (उपज प्रति एकड़ – 320-360 क्विं.), को. 64 (उपज प्रति एकड़ – 320-360 क्विं.) को.सी. 671 (उपज प्रति एकड़ – 320-360 क्विं.) ।
मध्य से देर से (12-14 माह) में पकने वाली – को. 6304 (उपज प्रति एकड़ – 380-400 क्विं.), को.7318 (उपज प्रति एकड़ – 400-440 क्विं.), को. 6217 (उपज प्रति एकड़ – 360-400 क्विं.) ।
नई उन्नत किस्में
शीघ्र (9 -10 माह ) में पकने वाली – को. 8209 (उपज प्रति एकड़ -360-400 क्विं.), को. 7704 (उपज प्रति एकड़ -320-360 क्विं.), को. 87008 (उपज प्रति एकड़ -320-360 क्विं.), को. 87010 (उपज प्रति एकड़ -320-360 क्विं.), को. जवाहर 86-141 (उपज प्रति एकड़ -360-400 क्विं.), को. जवाहर 86-572 (उपज प्रति एकड़ -360-400 क्विं.) ।
मध्यम से देर (12-14 माह ) में पकने वाली – को. जवाहर 94-141 (उपज प्रति एकड़ -400-600 क्विं.), को. जवाहर 86-600 (उपज प्रति एकड़ -400-600 क्विं.), को.जवाहर 86-2087 (उपज प्रति एकड़ -400-600 क्विं.) ।
गन्ना बोने का समय
गन्ने की अधिक पैदावार लेने के लिए सर्वोत्तम समय अक्टूबर – नवम्बर है । बसंत कालीन गन्ना फरवरी-मार्च में लगाना चाहिए ।
भूमि का चुनाव एवं तैयारी :
गन्ने के लिए काली भारी मिट्टी, पीली मिट्टी, तथा रेतेली मिट्टी जिसमें पानी का अच्छा निकास हो गन्ने हेतु सर्वोत्तम होती है।
खेत की तैयारी
गन्ना बहुवर्षीय फसल है, इसके लिए खेत की गहरी जुताई के पश्चात् 2 बार कल्टीवेटर व आवश्यकता अनुसार रोटावेटर व पाटा चलाकर खेत तैयार करें, मिट्टी भुरभुरी होना चाहिए इससे गन्ने की जड़े गहराई तक जाएगी और पौधे को आवश्यक पोषक तत्व मिलेंगे।
गन्ना बीज का चुनाव
गन्ना बीज 9 से 10 माह के उम्र का गन्ना बीज के लिए उपयोग करे, गन्ना बीज उन्नत जाति, मोटा, ठोस, शुद्ध व रोग रहित होना चाहिए. जिस गन्ने की छोटी पोर हो फूल आ गये हो, ऑंखे अंकुरित हो या जड़े निकल आई हो ऐसा गन्ना बीज के लिये उपयोग न करें।
बीज की मात्रा
एक ऑख का टुकड़ा लगाने पर प्रति एकड़ 10 क्विंटल बीज लगेगा, 2 ऑख के टुकड़े लगाने पर 20 क्विंटल बीज लगेगा, पॉली बैग, पॉली ट्रे के उपयोग से बीज की बचत होगी तथा अधिक उत्पादन प्राप्त होगा।
बीज की कटाई
तेज धार वाले ओजार से गन्ना की कटाई करते समय ध्यान रखें कि ऑख के ऊपर वाला भाग 1/3 तथा निचला हिस्सा 2/3 भाग रहे।
नाली से नाली की दूरी (घार की दूरी)
नालियों के बीच की दुरी 4 से 4.5 या 5 फिट रखें इसके निम्न लाभ होगे-
- सूर्य का प्रकाश , हवा अधिक मिलने से गन्ना अधिक होता हे, तथा अधिक गन्ना उत्पादन प्राप्त होता हे बीज की मात्रा कम लगती है।
- अन्तरवर्तीय फसल या यंत्रीकरण हेतु सुलभ।
- हार्वेस्टर द्वारा गन्ना कटाई में सुविधा।
बुवाई विधि
- माध्यम से भारी मिट्टी में सुखी बुवाई करें नालियों में गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद, डाले।
- नालियों में गन्ने के टुकड़े को कातार में जमा दें।
- गन्ने की आंखे आजू-बाजू में हो ऐसा रखें (दोनों आंखे नाली की बगल की तरफ हो) इसके बाद 2-3 इंच मिट्टी से टुकडो को दबा दे।
- इसकी उपज कम प्राप्त होती है ।
- यदि पेड़ी फसल में भी योजनाबध्द तरीके से कृषि कार्य किये जावें तो इसकी उपज भी मुख्य फसल के बराबर प्राप्त की जा सकती है ।
- मुख्य गन्ना फसल के बाद बीज टुकड़ों से ही पुन: पौधे विकसित होते हैं, जिससे दूसरे वर्ष फसल प्राप्त होती है ।
- इसी प्रकार तीसरे साल भी फसल ली जा सकती है ।
- इसके बाद पेड़ी फसल लेना लाभप्रद नहीं होता ।
- यहां यह उल्लेखनीय है कि रोग कीट रहित मुख्य फसल से ही भविष्य की पेड़ी फसल से अधिक उपज ली जा सकती है ।
- चूंकि पेड़ी फसल बिना बीज की व्यवस्था तथा बिना विशेष खेत की तैयारी के ही प्राप्त होती है, इसलिए इसमें लागत कम लगती है ।
- साथ ही पेड़ी की फसल मुख्य फसल अपेक्षा जल्द पक कर तैयार हो जाती है ।
- इसके गन्ने के रस में मिठास भी अधिक होती है।
गन्ने के गुण और उपयोग
गन्ना गुणों से भरपूर है। इसका विभिन्न बीमारियों में उपयोग किया जाता है। आइए कुछ गुण और उपयोग के बारे में समझते हैं-
बवासीर में लाभकारी है गन्ने का रस
गन्ने के दो तोला पत्ते लेकर उसके छोटे टुकड़े करके उसे लौंग और घी के साथ तलकर खाने से बवासीर में गिरने वाला खून बंद हो जाता है। इस प्रयोग को 10 से 15 दिन तक करने से खूनी बवासीर में गिरने वाला खून बंद हो जाता है।
धातु वृद्धि करता है गन्ना
गन्ना धातु वृद्धि करने वाला और हृदय के लिए लाभकारी है। इसे गर्म करके पारे के साथ बांधने से इसका बहुत लाभ मिलता है।
कफ और सांस रोग में लाभकारी है गन्ना
गन्ना कफ निकलता है। इसके पत्ते कफ के रोगों में लाभकारी हैं। उल्टी और श्वास रोग में यह बहुत लाभकारी है। इस औषधि में एक प्रकार का कड़वा ग्लूकोसाइड रहता है। इससे सांप का जहर कम होता है। गन्ने के पत्तों के रस को 5 रत्ती से 10 रत्ती तक की मात्रा लेने से स्वांस और खांसी में तुरंत फायदा होता है।
पेट रोगों में लाभकारी है गन्ना
इसके पत्तों का काढ़ा पिलाने से बच्चों के पेट के कृमि नष्ट हो जाते हैं। गन्ने के स्वरस की 10 बूंद से 1 माशे तक की मात्रा देने से पेट के रोगों में लाभ मिलता है। बच्चों के लिए गन्ना विशेष लाभकारी है।
सूजन और फोड़े का घाव दूर करता है गन्ना
गन्ने के पत्तों के स्वरस को चूने में मिलाकर लेप करने से हाथ और पैरों के गठिया के सूजन में लाभ होता है। गन्ने के ताजे पत्तों की लुगदी पुल्टिस की तरह बांधने से फोड़े का घाव जल्दी भरता है।
Read more:-