dates khane ke fayde | khali pet khajur khane ke fayde
खजूर का फल मीठा और शीतल होता है। यह पौष्टिक, मोटापा बढ़ाने वाला, कामोद्दीपक और बिष दूर करता है। यह कुष्ठ रोग, प्यास, श्वास, थकान, क्षय रोग, उदर रोग, ज्वर, वमन, मस्तिष्क के विकार और चेतना नष्ट होने पर लाभकारी होता है। इसके वृक्ष से तैयार हुई मदिरा कामोद्दीपक और रक्त बढ़ाने वाली होती है। खजूर का वृक्ष ऊंचा होता है। इसके शीर्ष पर पत्रवृन्त के डण्ठल लगे हुए रहते हैं। इसके पत्ते भूरे भूरे होते हैं। इसका फल 2.5 से 7.5 सेंटीमीटर तक लंबा होता है। यह पकने पर कुछ लाल या हल्का बादामी रंग का होता है।
खजूर (Dates)
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खजूर का वृक्ष ऊंचा होता है। इसके शीर्ष पर पत्रवृन्त के डण्ठल लगे हुए रहते हैं। इसके पत्ते भूरे भूरे होते हैं। इसका फल 2.5 से 7.5 सेंटीमीटर तक लंबा होता है। यह पकने पर कुछ लाल या हल्का बादामी रंग का होता है। इसका स्वाद मीठा और बीज लंबे गोल होते हैं। यह पंजाब, सिंध, अफ्रिका, स्पेन, इटली, सिसली, ग्रीक आदि में अधिक होता है।
अन्य भाषाओं में खजूर का नाम
हिंदी में खजूर, खारक; संस्कृत में दीप्य, मुदारिका, स्वादुपिंडा, पिण्डखर्जुरिका; अरबी में नखलेह; मराठी में खजूर; बंगाली में खजूर; कन्नड़ में कजुरा, कारिका, खर्जुरा; गुजराती में खरेक, खजूर; सिंध में कुरमा, काजि, तार,पिण्डचरी; तमिल में इचु, इन्जु कर्चुर,पेरेण्डु, तिति; तेलुगु में खर्जुरम, मंजीइता, पेरिड, पेरिता; उर्दू में खुरमा; मैथिली में पिन खजूरा आदि नामों से जाना जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार खजूर के गुण
खजूर का फल मीठा और शीतल होता है।यह पौष्टिक, मोटापा बढ़ाने वाला, कामोद्दीपक और बिष दूर करता है। यह कुष्ठ रोग, प्यास, श्वास, थकान, क्षय रोग, उदर रोग, ज्वर, वमन, मस्तिष्क के विकार और चेतना नष्ट होने पर लाभकारी होता है।इसके वृक्ष से तैयार हुई मदिरा कामोद्दीपक और रक्त बढ़ाने वाली होती है। यह वायु नलियों के प्रदाह में लाभदायक है।
खजूर के उपयोग
- खजूर कफ निकालता है।
- खजूर विरेचक और कामोद्दीपक है।
- यह खांसी, श्वांस व छाती की तकलीफों में लाभदायक है।
- ज्वर, सुजाक इत्यादि में खजूर लाभकारी है।
- खजूर का गोंद अतिसार की उत्तम औषधि मानी जाती है।
- खजूर मूत्राशय और गर्भाशय के विकारों को दूर करता है।
खजूरी
यह एक बहुत सुंदर वृक्ष है। इसका तना खुरदरा होता है । क्योंकि इस पर पत्तों के सूखे डंठल होते हैं। इसका ऊपरी हिस्सा गोल और घना होता है। इसके पत्ते हरे रंग के होते हैं। इसके पत्तों के सिर पर कांटे होते हैं। इसके नर और मादा पुष्प समान होते हैं। इसके फल लंबे बुन्तों पर लगे हुए रहते हैं। इसका फल लंबा और गोल होता है। इसका रंग नारंगी की तरह पीला होता है। इसकी गुठली पर एक सफेद झिल्ली होती है। यह झिल्ली गूदे और गिरी की प्रथक प्रथक होती है। यह पूरे भारतवर्ष के जंगलों, खेतों और सड़कों के किनारे उत्पन्न होता है।
अन्य भाषाओं में खजूरी के नाम
हिंदी में केजूरखजि, खजूरी,थलमा; संस्कृत में भूमि खजूरिका, हरिप्रिया, स्कन्धफला; बंगाली में काजर, केजूर; मराठी में खजूरा; कन्नड़ में इचेला; पंजाबी में खजि; तमिल में इन्जु, करवम आदि नामों से जाना जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार खजूरी के गुण
आयुर्वेद के अनुसार खजूरी का फल मीठा, स्निग्ध, पौष्टिक, चर्बी बढ़ाने वाला, कब्ज दूर करने वाला और कामोद्दीपक होता है। यह हृदय रोग, ज्वर वमन और चेतना नष्ट होने पर लाभ पहुंचाता है।
खजूरी के उपयोग
- इसकी जड़ दांतो के दर्द में उपयोगी होती है।
- इसके फल की लुगदी अपामार्ग के साथ मिलाकर पान में खाने से जुड़ी बुखार उतर जाता है।
- इसका फल सुखाकर उसके चूर्ण को 25 ग्राम दूध के साथ देने से धातु और बल में वृद्धि होती है।
- इसके फल के शीर्ष के कोमल भाग को पीसकर पीने और लगाने से सुजाक में लाभ होता है।
- इसके तने के ऊपरी भाग से रस निकाला जाता है जिसे नीरा कहते हैं।
- यह बहुत पौष्टिक और रोगों को दूर करने वाला माना जाता है।
- नीरा से एक उत्तेजक पदार्थ बनाया जाता है जो उत्तर भारत में मदिरा की तरह सेवन किया जाता है।
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