cough kuthar ras in hindi | kafkuthar ras uses
यह एक अद्भुत रस है, जो तुरंत लाभकारी है। जब छाती में कफ जमा हो जाता है। खांसी के साथ कफ बहुत कम आता है। छाती पर बोझ जैसा मालूम पड़ता है। खासने पर छाती में दर्द होता है। सांस लेने में दिक्कत होती है। इन सभी में कफ कुठार रस रामबाण है। यह रस अत्यंत तीक्ष्ण है। इसलिए कफ प्रधान रोगों में रामबाण है। एक से दो गोली पान के रस और शहद के साथ सेवन करें।
contents :- 1- कफ कुठार रस | kafkuthar ras uses 2- कफ कुठार रस बनाने की विधि एवं आवश्यक औषधियां | cough kuthar ras ingredients 3- कफ विकार में कपूर रस का सेवन | cough kuthar ras ke fayde 4- जब कफ ज्यादा बिगड़ जाता है 5- कफ ज्वर में कफ कुठार रस का सेवन 6- सावधानियाँ
कफ कुठार रस | kafkuthar ras uses
Table of Contents
रस रसायन प्रकरण में कफ कुठार रस का वर्णन कर रहे हैं। यह एक अद्भुत रस है, जो तुरंत लाभकारी है। जब छाती में कफ जमा हो जाता है। खांसी के साथ कफ बहुत कम आता है। छाती पर बोझ जैसा मालूम पड़ता है। खासने पर छाती में दर्द होता है। सांस लेने में दिक्कत होती है। इन सभी में कफ कुठार रस रामबाण है। यह रस अत्यंत तीक्ष्ण है। इसलिए कफ प्रधान रोगों में रामबाण है। एक से दो गोली पान के रस और शहद के साथ सेवन करें।
1- कफ कुठार रस बनाने की विधि एवं आवश्यक औषधियां | cough kuthar ras ingredients
शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, सोंठ, पीपल, काली मिर्च, लौह भस्म, ताम्र भस्म प्रत्येक को बराबर मात्रा में लेते हैं। प्रथम पारा और गंधक की कज्जली बनाते हैं। फिर लौह भस्म और ताम्र भस्म को मिलाते हैं। अन्य औषधियों को कूटकर चूर्ण बनाते हैं। इस चूर्ण को कपड़े द्वारा छानकर मिला देते हैं। इसके बाद छोटी छोटी कटेली के फलों का रस, कूटकी और धतूरे के पत्तों का स्वरस की भावना देकर घोंटते हैं। एक एक रत्ती की गोलियां बनाकर रख लें।
2- कफ विकार में कपूर रस का सेवन | cough kuthar ras ke fayde
कभी-कभी छाती में कफ जमा हो जाता है। जिस कारण खांसी आती है । छाती पर बोझ जैसा लगता है । खांसने पर छाती में दर्द होता है । सांस लेने में दिक्कत होती है। इस स्थिति में कफ को पिघला कर बाहर निकालने के लिए कफ कुठार रस अत्यंत लाभकारी है। इसमें लौह भस्म और अभ्रक भस्म होने के कारण कफ पिघल कर बाहर निकलने लगता है। श्वास नली साफ हो जाने से सांस लेने में दिक्कत नहीं होती है।
3- जब कफ ज्यादा बिगड़ जाता है
इसी प्रकार जब कफ ज्यादा बिगड़ जाता है, तो खांसी उत्पन्न होती है। ज्वर और खांसी के साथ कफ भी निकलता है। नया कफ भी बनता रहता है। जिस कारण ज्वर और खांसी नहीं रुकती है। इस प्रकार बढ़ी हुई खांसी को दबाने के लिए कुछ वैद्य अफीम का प्रयोग करते हैं, किंतु यह लाभ की जगह नुकसान करता है।
अफीम का सेवन बिल्कुल ना करें। क्योंकि अफीम से खांसी तो बंद हो जाती है, लेकिन कफ अंदर ही जमा रह जाता है। जो बाद में बहुत ही भयानक खांसी और ज्वर उत्पन्न करता है। ऐसी अवस्था में कफ कुठार रस का सेवन बहुत ही लाभदायक होता है। क्योंकि इसमें धतूरे के अतिरिक्त कुटकी और कटेली के फलों के रस की भावना देने से यह बढ़े हुए कफ को खत्म करता है।
4- कफ ज्वर में कफ कुठार रस का सेवन
कफ विकार के कारण हल्का हल्का बुखार आ जाता है। नाड़ी की गति धीमी हो जाती है। शरीर गीला सा बना रहता है। भूख कम हो जाती है। नींद बहुत आती है। पसीना बहुत आता है। मुंह भारी लगता है। आवाज में भारीपन आ जाता है। पेशाब साफ नहीं आता है। आलस्य बना रहता है। खांसने पर छाती में दर्द होता है। इस स्थिति में कफ कुठार रस का सेवन लाभकारी होता है।
5- सावधानियाँ
- अफीम का सेवन बिल्कुल ना करें।
- क्योंकि अफीम से खांसी तो बंद हो जाती है, लेकिन कफ अंदर ही जमा रह जाता है। जो बाद में बहुत ही भयानक खांसी और ज्वर उत्पन्न करता है।
- ऐसी अवस्था में कफ कुठार रस का सेवन बहुत ही लाभदायक होता है।
- क्योंकि इसमें धतूरे के अतिरिक्त कुटकी और कटेली के फलों के रस की भावना देने से यह बढ़े हुए कफ को खत्म करता है।
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