confidence meaning in hindi | confidence level

आत्मविश्वास एक ऐसी ऊर्जा है जो व्यक्ति को कभी लक्ष्य से पीछे नहीं हटने देती। आत्मविश्वास मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति का एक रूप है। आत्मविश्वास से ही विचारों की स्वतंत्रता प्राप्त होती है और इसके परिणाम स्वरूप महान कार्यों का संपादन सरल एवं सफल होता है। इसी के द्वारा आत्म रक्षा होती है। जो व्यक्ति आत्मविश्वास से भरा हुआ है वो कभी अपने भविष्य के प्रति चिंतित नहीं होता है। एक बार मन में जो ठान लिया उसे पूरा करने तक बेचैन रहना, ऐसी लगन जिसमें जिद और जुनून हो, कुछ कर गुजरने का जज्बा हो।

आत्मविश्वास क्या है?

आत्मविश्वास एक ऐसी ऊर्जा है जो व्यक्ति को कभी लक्ष्य से पीछे नहीं हटने देती। आत्मविश्वास मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति का एक रूप है। आत्मविश्वास से ही विचारों की स्वतंत्रता प्राप्त होती है और इसके परिणाम स्वरूप महान कार्यों का संपादन सरल एवं सफल होता है। इसी के द्वारा आत्म रक्षा होती है। जो व्यक्ति आत्मविश्वास से भरा हुआ है वो कभी अपने भविष्य के प्रति चिंतित नहीं होता है। एक बार मन में जो ठान लिया उसे पूरा करने तक बेचैन रहना, ऐसी लगन जिसमें जिद और जुनून हो, कुछ कर गुजरने का जज्बा हो। अपने पर पूरा विश्वास हो कि यह काम में करके ही रहूंगा। लोग क्या कह रहे हैं, लोग क्या कहेंगे वाला किस्सा हमेशा के लिए अपने दिमाग की डिक्शनरी से निकाल देना, यही है आत्मविश्वास।  

आत्मविश्वास आता कैसे हैं?

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आत्मविश्वास कोई बाजार में बिकने वाली वस्तु नहीं है। ना ही कोई व्यक्ति इसे हमारे अंदर डाल सकता है। यह तो हमारे अंदर से आता है। जब हम अपने आप को धीरे-धीरे समझने लगते हैं। अपनी क्षमताओं का हमें ज्ञान होने लगता है। बिना किसी के दबाव के कुछ करने का मन बना लेते हैं, वहीं से हमारा आत्मविश्वास बढ़ना शुरू हो जाता है। दरअसल आत्मविश्वास और कुछ नहीं है बल्कि हमारी इच्छा शक्ति का ही परिणाम है।

जब हमारे मन में कोई इच्छा जागी और हम तन्मयता के साथ उसे करने में लग गए। धीरे-धीरे हमें अपनी क्षमताओं का भान होने लगा और हम उस कार्य में निपुण होने लगे, वहीं से हमारी इच्छा-शक्ति मजबूत होने लगी। अब हमें लगने लगा कि मैं इस कार्य को सरलता से कर सकता हूं। वहीं से मन के अंदर एक ऐसी भूख पैदा हो गई कि उसे किए बिना हम रह नहीं सकते। यही है आत्मविश्वास की पराकाष्ठा।

सफल व्यक्तियों की जीवनी का अध्ययन

  हमारे अंदर आत्मविश्वास की भावना जगाने के लिए हमें कुछ सफल व्यक्तियों की जीवनी का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। महापुरुषों की जीवनी से हमें पता चलता है कि उनके जीवन में कितने कष्ट आए, कितनी परेशानियां का उन्होंने सामना किया। उनके प्रति लोगों का दृष्टिकोण कैसा था? लोग उनके बारे में क्या कहते थे?  ये प्रश्न हर उस राहगीर के मस्तिष्क में उठते हैं जो सफलता के लिए पथ पर अग्रसर है। महापुरुषों की जीवनी पढ़ने से हमें समझ में आता है कि उन्होंने किस प्रकार इन समस्याओं का समाधान किया। वो किस प्रकार अपने पथ पर अडिग रहे।

क्योंकि हम जब किसी नए रास्ते पर कदम रखते हैं तो हमें उस रास्ते के बारे में कुछ पता नहीं होता।  जब तक हमें उस रास्ते के बारे में पता नहीं  है तो हमारे मन में कई सारे प्रश्न उठते हैं। सफल व्यक्तियों की जीवनी पढ़ने से हमें इन प्रश्नों का उत्तर मिल जाता है क्योंकि वो इन समस्याओं को पार कर चुके होते हैं।

निष्कर्ष

निष्कर्ष रूप में हम यही कह सकते हैं कि जब तक हमारे अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा ना हो, तब तक हम किसी भी सफल व्यक्ति की जीवनी पढ़ते रहें कोई फायदा नहीं हो सकता। क्योंकि जीवनी पढ़ने से हमें केवल रास्ते का पता चलता है, लेकिन जब तक हम उस रास्ते पर चलेंगे नहीं और हमारा उन समस्याओं से सामना नहीं होगा, तो हम उस रास्ते को नहीं समझ सकते। पहले भी कहा गया कि आत्मविश्वास हमारे अंदर है, इसलिए जब तक हम अपने अंदर की शक्ति को नहीं जागृत करेंगे तब तक केवल यह हमारे लिए एक कहानी जैसा है।

आइए अब हम आगे समझते हैं कि वास्तव में सफल व्यक्ति कौन है?

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वास्तव में सफल व्यक्ति कौन है?

अक्सर लोग चर्चा करते हैं कि अमुक व्यक्ति बहुत धनी है, अमुक व्यक्ति  दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार है । क्या सफल व्यक्ति की यही परिभाषा है? कि उसके पास बहुत सारी भौतिक संपदा हो, हॉट हवेली हो। इन प्रश्नों के उत्तर हमें तभी मिलेंगे जब हम अपने अंदर इनको खोजना शुरू करेंगे।

अगर धन अधिक है तो चिंता, चोर लुटेरे लूट के ना ले जाएं। नहीं है तो खाने के लिए भी दुनिया के मोहताज हुए पड़े हैं। यह सब देखकर व्यक्ति दुविधा में पड़ जाता है कि आखिर वो सफल व्यक्ति कौन है? न धनवान सुखी है न निर्धन सुखी है। जब  ये दोनों सुखी नहीं है तो फिर सुखी कौन है?

इन सभी प्रश्नों का एक ही उत्तर है की सफल व्यक्ति वही है जिसको आत्मिक संतुष्टि मिल गई है। जो अंतर्मन से संतुष्ट हो गया है। भले ही उसके पास करोड़ों हो या उसके पास जीविका चलाने लायक हो। ऐसी अवस्था बाहर की भौतिक चकाचौंध से नहीं आ सकती। जब व्यक्ति अपने अंतर्मन में खोज करता है तब उसको ऐसी शांति मिलती है जिसका बयान शब्दों में नहीं हो सकता। ऐसे व्यक्ति पर भौतिकवाद का कोई असर नहीं पड़ता क्योंकि उसे जो आनंद प्राप्त हुआ है, वो बाहर से नहीं हुआ। यही सफल व्यक्ति की पहचान है।

आध्यात्मिक रूप से अगर हम इसको गहराई से समझें तो कई महात्माओं ने अलग-अलग तरीके से उसको समझाया है। किसी महात्मा ने कहा है-

 ना सुख विद्या के पढ़े,ना सुख वेद विचार।

ना सुख पांगी पंडिती,ना सुख भूप पयां।

सुख है विच बीचार दे,संतां सरण पयां।।

 

महात्माओं ने समझाया कि न विद्या को पढ़ लेने से सुख है, न  वेदों का विचार कर लेने से है ।किसी भी प्रकार का कर्मकांड करने से सुख प्राप्त नहीं होता है। इन सब को छोड़कर अगर हम अपने मन में विचार करें कि हमारा दुनिया में आने का उद्देश्य क्या है तो हम उस परम सफलता की ओर अग्रसर होंगे।

कैसे बढ़ाएं अपना आत्मविश्वास

आत्मविश्वास हमारी मन की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है। हमारा मन अलग-अलग विचारों में लगा हुआ है। कभी हम सोचते हैं कि मैं डॉक्टर बनूंगा, कभी सोचते हैं इंजीनियर  बनूंगा, कभी कुछ बनूंगा कभी कुछ। फिर घर के लोगों का दबाव होता है। उनका कुछ अलग ही चलता है। वो अपने आसपास देखकर कहते हैं कि अमुक का लड़का इंजीनियर है, अमुक का लड़का डॉक्टर है। हम भी अपने लड़के को डॉक्टर इंजीनियर बनाएंगे। यह जो दुविधा हमारे मन में चलती रहती है यही हमारा लक्ष्य से ध्यान भटकाती है। हम जीवन में कभी निर्णय ही नहीं कर पाते हैं कि असल में मुझे करना क्या है। इसीलिए जरूरी है कि हम वही करें जिसमें हम दक्ष हैं, मतलब जिसे करने में हमें मजा आता है। जो हमारा शौक है, तभी हमारा आत्मविश्वास उसे करने के लिए दृढ़ होता जाएगा। 

निर्णय ही नहीं कर पाना 

अक्सर ऐसे व्यक्तियों का आत्मविश्वास कमजोर होता है जो कभी निर्णय ही नहीं कर पाते हैं कि असल में उनको करना क्या है। भले ही व्यक्ति बुद्धिमत्ता में बहुत अच्छा हो लेकिन निर्णय न करने की क्षमता उसे हमेशा लक्ष्य से पीछे धकेलती है। हमें हमेशा द्वैत प्रकृति से दूर रहना चाहिए। हमेशा एकमत होकर कार्य को करना चाहिए तभी हमारा आत्मविश्वास बढ़ेगा।

जब हम निर्णय करने में समय बर्बाद नहीं करते तो समझ लीजिए कि हमारा आत्मविश्वास मजबूत हो रहा है, क्योंकि कोई भी निर्णय अच्छा या बुरा नहीं होता है। बुरा तो तब होता है जब हम निर्णय ही नहीं कर पाते हैं कि हमें करना क्या है? एक बार हमने जो निर्णय कर लिया और हम कर्तव्य पथ पर समर्पित होकर चल पड़े तो समझ लीजिए कि हमारा निर्णय अच्छा ही होने वाला है, क्योंकि निर्णय को अच्छा या बुरा बनाने वाले हम ही हैं। अगर कार्य के प्रति हमारा समर्पण है तो हमारा कोई भी निर्णय बुरा नहीं हो सकता है।

निष्कर्ष रूप में हम यही कहेंगे कि आत्मविश्वास हमारे समर्पण, हमारे जनून और जज्बे का ही परिणाम होता है, जो हमारे अंदर ऐसी बेचैनी उत्पन्न कर देता है की जब तक हम लक्ष्य तक ना पहुंच सकें तब तक हमें सोने नहीं देता।

 बार-बार असफल होने पर जो पीछे नहीं हटता समझ लीजिए उसका आत्मविश्वास चरम पर है। और वह छोटी मोटी सफलता के लिए नहीं लगा है बल्कि उस परम लक्ष्य की ओर अग्रसर है जिसे वह स्वयं जानता है और कोई नहीं।

आत्मविश्वास पर आधारित एक प्रेरक कहानी

 एक गांव में रमेश नाम का लड़का रहता था। रमेश के पिताजी छोटे किसान थे। घर में आठ भाई बहन थे। खेतीबाड़ी से गुजारा करना मुश्किल होता था। सभी भाई-बहन गांव के सरकारी विद्यालय में पढ़ते थे। रमेश परिवार में सबसे बड़ा बेटा था इसलिए उस पर जिम्मेदारी ज्यादा थी। पिताजी आप बूढ़े हो चुके थे। रमेश पढ़ाई में अच्छा था लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद रमेश ने कुछ नया करने का मन बनाया। रमेश के मन में क्या चल रहा है यह किसी को पता नहीं था।

रमेश का  आत्मविश्वास

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अक्सर रमेश के दोस्त उसका उपहास उड़ाया करते थे, उसको यह कहकर चिढ़ाते थे कि रमेश तो किसान बनेगा। रमेश भी हंसकर कह देता था कि किसान का बेटा जो हूं किसान ही बनूंगा। रमेश बार-बार सेना की भर्ती में जाता था और किसी न किसी परीक्षा में असफल हो जाता था। कभी दौड़ में, कभी हार में, कभी किसी में तो कभी किसी में। लगभग 15 से 20 बार असफल होने के बाद अब रमेश की आयु भी अधिक होने वाली थी। इधर दोस्त उसकी रोज बेज्जती करते थे कि तू क्या फौजी बनेगा, मत जा खेती-बाड़ी कर। लेकिन रमेश के आत्मविश्वास को रमेश ही जानता था।

खुशी के आंसू

इस बार अंतिम भर्ती थी इसके बाद उसकी आयु पूरी हो चुकी थी, अगर इसमें भर्ती नहीं हुआ तो रमेश फिर फौजी नहीं बन सकता था। रमेश ने जी तोड़ मेहनत की दिन रात लगा रहा आखिर भर्ती वाला दिन आ ही गया। आज भी सभी दोस्तों ने रमेश का मनोबल गिराने का प्रयास किया लेकिन रमेश के आत्मविश्वास को रमेश ही जानता था। पूरी ताकत झोंक दी रमेश ने और दौड़ निकालने के बाद अंदर चला गया। देखते ही देखते दोस्त मुख लटकाए बैठे थे। शाम को जब चिकित्सा जांच होने के बाद रमेश का रिजल्ट आया पूरे मोहल्ले  में कि रमेश फौज में भर्ती हो गया। सारे लोग मोतीलाल जी को बधाई देने लगे कि मोतीलाल तेरा बेटा भर्ती हो गया। मोतीलाल जी के आंखों में खुशी के आंसू बह निकले ।पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई।

रमेश के इस जज्बे ने उन दोस्तों को भी सबक सिखा दिया जो रमेश को केवल किसान का बेटा समझते थे।

कहानी से  सीख

कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें अपने पथ से कभी विचलित नहीं होना चाहिए भले ही लोग लाखों ताने मारे क्योंकि यही लोग कल को आपके सफल होने पर खुशी मनाने से भी बाज नहीं आएंगे। अगर हम सकारात्मक रूप से कहें तो यह जो ताने मारने वाले लोग होते हैं ना ,ये किसी बूस्टर से कम नहीं होते जो हमें सफल होना देखना चाहते हैं।

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