bhang ganja charas plant | bhang ka paudha
यह गर्म और खुश्क है। यह नशा पैदा करता है। दिमाग और शरीर में खुश्की लाता है। गांजे को चिलम में रखकर पीने से नशा जल्दी हो जाता है। गांजे को अरंडी के तेल में पीसकर मूत्र इंद्रिय पर लेप करने से ताकत बढ़ती है।यह एक प्रकार का पौधा है। जिसके पत्ते नीम के पत्तों के समान लंबे और कंगूरे दार होते हैं। यह पौधा सभी जगह पाया जाता है और इसकी खेती भी होती है। इसके डंठल पर पांच, छह से सात पत्ते होते हैं।
गांजा और भांग
Table of Contents
यह एक प्रकार का पौधा है। जिसके पत्ते नीम के पत्तों के समान लंबे और कंगूरे दार होते हैं। यह पौधा सभी जगह पाया जाता है और इसकी खेती भी होती है। इसके डंठल पर पांच, छह से सात पत्ते होते हैं। इसके नर पौधे के पत्तों से भांग तैयार की जाती है और मादा पत्तों से गांजे की उत्पत्ति होती है। चरस भी नर और मादा से दो प्रकार की प्राप्त होती है। नर पौधे से प्राप्त होने वाली राल काले रंग की होती है। यह अत्यंत नशीला होता है। इसको हाथों से मलकर और पेड़ से खुरचकर इकट्ठा किया जाता है। इसके बीजों से तेल निकाला जाता है।
अन्य भाषाओं में भांग का नाम
हिंदी में गांजा, भांग, चरस; संस्कृत में अजया, जथा, गांजा, गंजिका, मोहिनी, शिवप्रिया, शिवा; बंगाली में सिद्धि, भांग, गांजा; मराठी में भांग, गांजा; गुजराती में भांग, गांजा; अरबी में कन्नाव, कनाव; फारसी में भांग; तमिल में भांगी, गांजा; तेलुगु में बांगेयाकू, गंजकेट्टू आदि नामों से जाना जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार भांग के गुण
गांजा पाचक, प्यास लगाने वाला, बल देने वाला, कामोद्दीपक और पित्त को चंचल करने वाला है। भांग निंद्रा जनक, गर्व को गिराने वाला, पीड़ा नाशक और नशा करने वाला है। भांग कफ नाशक, पाचक अग्नि को दीपन करने वाला, रुचि बढ़ाने वाला, मल को रोकने वाला और वात को दूर करने वाला है।
यूनानी चिकित्सा के अनुसार भांग के गुण
यह गर्म और खुश्क है। यह नशा पैदा करता है। दिमाग और शरीर में खुश्की लाता है। गांजे को चिलम में रखकर पीने से नशा जल्दी हो जाता है। गांजे को अरंडी के तेल में पीसकर मूत्र इंद्रिय पर लेप करने से ताकत बढ़ती है। लिंग का टेढ़ापन दूर होता है। गांजे का सत्व खांसी के जोर को रोकने के लिए बहुत उत्तम है। धनुस्तंभ की बीमारी में और पागल कुत्ते के जहर में गांजा लाभकारी है। इसके सेवन से नींद आती है। दर्द दूर होता है। दमें की बीमारी में गांजा लाभकारी है। गांजा प्रदाह और बवासीर में लाभकारी है।
गांजे का विभिन्न रोगों में उपयोग
गांजा नशीला पदार्थ होने के साथ-साथ औषधीय गुण भी रखता है। आयुर्वेद में गांजे के सेवन से विभिन्न रोगों का उपचार किया जाता रहा है। आइए कुछ पर चर्चा करते हैं।
आमाशय का दर्द दूर करता है गांजा
शुद्ध गांजा अथवा भांग आमाशय की पीड़ा में लाभ पहुंचाता है। अजीर्ण, संग्रहणी और आमातिसार में भी गांजा लाभकारी है। गर्भाशय की अस्थाई रूप से शक्ति बढ़ाता है।
बार बार सर्दी होने पर लाभकारी है गांजा
बार बार होने वाले सर्दी जुकाम को दूर करता है गांजा। जीर्ण ज्वर में लाभकारी है गांजा। रोगी की भूख बढ़ती है और ताप में कमी आती है। ज्वर उतरने पर थकावट नहीं होती है।
सूखी खांसी में लाभकारी है गांजा
सूखी खांसी और दमे में गांजा लाभ पहुंचाता है। इसको चिलम के साथ पीने से या पानी में घोलकर पीने से लाभ होता है।
चर्म रोग में लाभकारी है गांजा
चर्म रोग जैसे खाज, खुजली आदि में गांजे का लेप करने से लाभ होता है। कान के दर्द में भी इसका रस डालने से फायदा होता है।
मेदे की खराबी दूर करता है गांजा
मेदे की खराबी से उत्पन्न होने वाले रोगों में गांजा लाभकारी है। पारे के साथ गांजे का सेवन करने से लाभ मिलता है। मज्जातंत्र की वेदना में इसका सेवन संखिया और लोहे के साथ करना चाहिए। आधासीसी और कपाल के दर्द में इसका सेवन चमत्कारिक लाभ देता है। धनुर्वात में भी इसका सेवन उत्तम है।
पीड़ानाशक का कार्य करता है गांजा
गांजा दर्द निवारक का काम करता है। इसके सेवन से बहता हुआ खून बंद होता है। भूख बढ़ती है। गांजा हैजे की उत्तम औषधि है। गांजे के सेवन से उल्टी रूकती है। जुलाब की चीजों के साथ भांग मिलाकर देने से पेट में काट और मरोड़ नहीं होती है।
खूनी बवासीर में लाभकारी है गांजा
सूजे हुए और दुखदायक खूनी बवासीर में गांजे को खिलाने से, हल्दी, प्याज और तिल के साथ पीसकर लेप करने से लाभ होता है। भांग की धूनी देने से भी अच्छा लाभ होता है।
सुजाक में गांजे का सेवन
सुजाक में गांजा देने से दो प्रकार से लाभ होता है। एक तो पेशाब साफ होकर घाव खुल जाता है और दूसरी ओर पीड़ा दूर हो जाती है।
गर्भाशय और मासिक धर्म में लाभकारी है गांजा
गर्भाशय के संकोचन के लिए गांजा एक उत्तम औषधि है। संकोचन से होने वाला दर्द गांजे के सेवन से कम होता है। गर्भाशय को ताकत मिलकर जल्दी प्रसव हो जाता है। गर्भपात के लिए भी अच्छा काम करता है। मासिक धर्म की अधिकता को नियमित करता है। मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द को भी दूर करता है।
बाजीकरण में प्रभावशाली है गांजा
गांजा एक प्रभावशाली वाजीकरण वस्तु है। इसके सेवन से पुरुषों की कामेन्द्रि में बहुत ताकत आती है। यह रक्ताभिसरण क्रिया को उत्तेजना देकर कामवासना पूर्ण उत्तेजना पैदा करती है, जिससे काम इंद्री में जोर से अधिक रक्त प्रवाह होता है। इसी प्रकार ज्ञान ग्राहक शक्ति की कमी हो जाने से अधिक समय तक संभोग करने पर भी शुक्राणु बाहर नहीं निकलते। इसलिए इसकी गणना स्तंभक औषधियों में प्रथम श्रेणी में की जाती है। इसके सेवन से अंडकोष की सूजन मिटती है।
स्त्रियों के आदेश रोग में लाभकारी है भांग
स्त्रियों के आदेश रोग में भांग की आधी रत्ती सुखाकर हींग के साथ देने से बहुत लाभ होता है। यदि सुखाकर ना मिले तो दो रत्ती भांग ही हींग के साथ देनी चाहिए।
कान के रोगों में लाभकारी है भांग का रस
भांग के रस को कान में डालने से कान की कीड़े मरते हैं और कान दर्द ठीक होता है। इस औषधि की मात्रा 2 से 8 रत्ती तक है। पीने वाले इसको 1 तोले से अधिक मात्रा तक पीते हैं। जो बहुत हानिकारक है और जहरीला असर उत्पन्न करता है।
भूख बढ़ाता है गांजा
काली मिर्च और भांग का चूर्ण शहद के साथ चाटने से भूख बढ़ती है। भांग और काली मिर्च के चूर्ण को गुड़ के साथ देने से पेट दर्द ठीक होता है।
चेतावनी
गांजा और भांग दोनों नशीली वस्तुएं हैं। थोड़ी मात्रा में सेवन करने से बहुत लाभ होता है और अधिक मात्रा में सेवन करने से भयंकर नुकसान हो सकते हैं। अधिक सेवन करने से हृदय पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। कमजोर हृदय वालों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। अधिक सेवन करने से मस्तिष्क खराब हो जाता है। कम मात्रा में सेवन करने से विचार शक्ति पैनी हो जाती है। अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी, घबराहट, चक्कर आना इत्यादि उपद्रव पैदा हो जाते हैं। इसलिए अधिक मात्रा में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
दर्पनाशक या भांग के नशे को कैसे शांत करें
इसके विषैले लक्षणों के प्रकट होने पर मलाई, दही, नारंगी का रस, अनार का रस, अमरूद के पत्तों का रस देने से लाभ होता है।
Read more:-