ashok ka ped | अशोक के पेड़ का महत्व
अशोक वृक्ष पूरे भारत में पाए जाने वाले सबसे प्राचीन और पवित्र पेड़ों में से एक है। अशोक में विभिन्न औषधीय गुण हैं, विशेष रूप से इसकी छाल और पत्ते। अशोक वृक्ष, महिलाओं में विभिन्न स्त्री रोग और मासिक धर्म की समस्याओं जैसे- भारी, अनियमित और दर्द को कम करने में मदद करता है। अशोक को बंगला में अस्पाल, मराठी में अशोक, गुजराती में आसोपालव तथा देशी पीला फूलनों, सिंहली में होगाश तथा लैटिन में जोनेशिया अशोका (Jonasia Ashoka) अथवा सराका-इंडिका (Saraca Indica) कहते हैं।
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अशोक | Ashoka
अशोक मधुर, शीतल, हड्डी को जोड़ने वाला, सुगंधित, कृमि नाशक, कसैला, गरम, कड़वा और शरीर की कांति बढ़ाने वाला है। यह पूरे भारतवर्ष में पाया जाता है। इसके पत्ते रामफल के समान और फूल नारंगी रंग के होते हैं। इसका पेड़ आम के पेड़ के बराबर बड़ा होता है। अशोक वृक्ष पूरे भारत में पाए जाने वाले सबसे प्राचीन और पवित्र पेड़ों में से एक है। अशोक में विभिन्न औषधीय गुण हैं, विशेष रूप से इसकी छाल और पत्ते। अशोक वृक्ष, महिलाओं में विभिन्न स्त्री रोग और मासिक धर्म की समस्याओं जैसे- भारी, अनियमित और दर्द को कम करने में मदद करता है।
अन्य भाषाओं में अशोक के नाम | Names of Ashok in other languages
हिंदी में अशोक; संस्कृत में मधु पुष्पक; मारवाड़ी में अशापालो; गुजराती में आशोपालम; मराठी में अशोक आदि नामों से जाना जाता है।अशोक के पेड़ का वैज्ञानिक नाम: सराका इंडिका (Saraca Indica) है।
आयुर्वेद के अनुसार अशोक के गुण | Properties of Ashoka according to Ayurveda
अशोक मधुर, शीतल, हड्डी को जोड़ने वाला है। अशोक सुगंधित, कृमि नाशक, कसैला और गर्म होता है। यह शरीर की कांति बढ़ाता है। स्त्री रोग में विशेष लाभकारी है। अशोक मलरोधक, जलन, पेट के रोग, विष आदि में लाभकारी है। अशोक बवासीर, सूजन, अपच और रक्त विकार को दूर करता है।
अशोक के उपयोगी गुण | Useful properties of Ashoka
अशोक विभिन्न रोगों में लाभकारी है। आगे कुछ उपयोगी गुण बता रहे हैं-
रक्त प्रदर में अशोक का सेवन कैसे करें? | How to use Ashoka in hemorrhage?
अशोक की छाल 8 तोला 64 तोला पानी में उबालें। जब पानी तीन चौथाई रह जाए, तो उसमें 8 तोला गाय का दूध डालकर फिर उबालें। जब पानी सब सूख जाए केवल दूध रह जाए, तब उतारकर छान लें। इसे रोगी को पिलाने से रक्त प्रदर में बहुत लाभ होता है।
श्वेत प्रदर, हरा, पीला, काला योनि स्राव में अशोक का सेवन कैसे करें? | How to take Ashoka in white leucorrhoea, green, yellow, black vaginal discharge?
- अशोक की अंतरछाल दो सेर, इ्से जौकुट कर सोलह सेर पानी में उबालें।
- जब पानी चार सेर रह जाए, तो उसे छान लें।
- इसके बाद चावलों का धोवन चार सेर, बकरी का दूध चार सेर, गाय का घी और जलमागरे का रस चार सेर लेकर लोहे की कढ़ाई में डालें।
- इसके बाद विदारीकंद 8 तोला, शतावरी 8 तोला, अश्वगंधा 8 तोला, मुलेठी 8 तोला, फालसा 8 तोला, अंजीर 8 तोला, रसौत 4 तोला, अशोक की अंतरछाल 4 तोला, मुनक्का 4 तोला, चोलाई की जड़ 4 तोला, इन सब औषधियों को पानी में पीसकर लुगदी बनाएं।
- फिर इसे लोहे की कढ़ाई में रखकर धीमी आंच में पकाएं।
- जब काढ़ा, दूध तथा सब अंश जलकर केवल घी की मात्रा रह जाए, तब इसे उतारकर छान लें।
- अब रोगी को प्रकृति के अनुसार बर्मदूध के साथ इसे दें।
- इससे श्वेत प्रदर, हरा, काला, पीला योनि स्राव सभी दूर होते हैं।
ल्यूकोरिया | leucorrhea
ल्यूकोरिया (leucorrhea) जिसे आम बोलचाल की भाषा में वाइट डिस्चार्ज बोलते हैं और ये समस्या महिलाओं के साथ अक्सर होती है। आयुर्वेद के अनुसार, ल्यूकोरिया कफ दोष के असंतुलन के कारण होता है। अशोक की छाल को पानी में उबालकर पीने से आप वाइट डिस्चार्ज की समस्या से राहत पा सकते हैं। ध्यान रहे कि पानी को तब तक उबालें जब तक कि वो एक चौथाई मात्रा में न हो जाए।
बवासीर में लाभकारी है अशोक | Ashoka is beneficial in piles
पाइल्स को आयुर्वेद में अर्श के रूप में जाना जाता है जो एक अस्वास्थ्यकर आहार और एक गतिहीन जीवन शैली के कारण होता है। इससे तीनों दोषों, मुख्यतः वात का ह्रास होता है। बढ़ा हुआ वात कम पाचन अग्नि का कारण बनता है, जिससे कब्ज होती है। इन सभी परेशानियों से राहत पाने के लिए आप एक चम्मच अशोक पाउडर लें और इसमें शहद या पानी मिलाएं।
रितु स्राव या पीरियड्स में लाभकारी है अशोक | Ashoka is beneficial in Ritu secretion or periods.
अशोक की छाल पीरियड में होने वाले भयानक दर्द और पेट में होने वाली ऐंठन को कम कर देती है। चूंकि ये बढ़े हुए वात को नियंत्रित करती है, इसलिए ये मासिक धर्म के दौरान पेट में दर्द और ऐंठन को भी कंट्रोल करने में मददगार है।
खूबसूरत त्वचा के लिए लाभकारी है अशोक | Ashoka is beneficial for beautiful skin
पेट दर्द और ऐंठन से राहत पाने के लिए आप इसे भोजन के बाद दिन में दो बार चूर्ण या कैप्सूल के रूप में ले सकते हैं। अशोक की छाल खून साफ करती है और इस तरह से महिलाओं की स्किन में निखार लाती है। अशोक की छाल को स्किन पर लगाने से तैलीय और बेजान त्वचा से छुटकारा मिलता है।
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