arshkuthar ras uses in hindi | अर्शकुठार रस
बवासीर में इसके सेवन से काफी लाभ मिलता है। यदि बवासीर ज्यादा पुराना ना हो तो मस्से सूख जाते हैं। बाबासीर प्रायः कब्ज की शिकायत के कारण होता है। अर्श कुठार रस कब्ज नहीं होने देता, इसलिए शुरुआती बवासीर जड़ से खत्म हो जाता है।
contents :- 1- अर्श कुठार रस | arshkuthar ras 2- अर्शकुठार रस को बनाने की विधि एवं आवश्यक औषधि 3- अर्शकुठार रस के गुण और उपयोग | arshkuthar ras ke fayde 4- बवासीर में अर्शकुठार रस का सेवन | piles meaning in hindi 5- खूनी बवासीर में अर्शकुठार रस का सेवन 6- बादी बवासीर में अर्शकुठार रस का सेवन
अर्श कुठार रस | arshkuthar ras
Table of Contents
अर्श यानी बबासीर में इसका सेवन लाभकारी होता है। यदि बवासीर ज्यादा दिन का ना हो तो मस्से सूख जाते हैं। बवासीर में कब्ज की शिकायत रहने से साफ दस्त होने में बहुत तकलीफ होती है। अर्शकुठार रस के सेवन से कब्ज की समस्या समाप्त हो जाती है। साफ दस्त होने लगता है।
1- अर्शकुठार रस को बनाने की विधि एवं आवश्यक औषधि
शुद्ध पारा 4 तोला, शुद्ध गंधक 8 तोला, लौह भस्म 8 तोला, ताम्र भस्म 8 तोला लें। दंतीमूल, सोंठ, काली मिर्च, पीपल,सूरणकंद, वंशलोचन, शुद्ध टंकण, यवक्षार, सेंधा नमक आदि प्रत्येक 20-20 तोला लें। सेहुंड का दूध 32 तोला, गोमूत्र 138 तोला, लेकर पहले पारा और गंधक की कज्जली बनाएं। इसके पश्चात अन्य चूर्ण करने योग्य द्रव्यों का कपड़े में छानकर चूर्ण लें। बाद में गोमूत्र और सेहुंड का दूध को अग्नि में चढ़ाकर मंद मंद आंच में पकाएं। जब दूध पकते -पकते गाढ़ा हो जाए, तो कज्जली और उपरोक्त द्रव्यों का चूर्ण मिलाकर मर्दन करें। इसके बाद 2-2 रत्ती की गोली बनाकर सुखाकर रख लें।
2- अर्शकुठार रस के गुण और उपयोग | arshkuthar ras ke fayde
बवासीर में इसके सेवन से काफी लाभ मिलता है। यदि बवासीर ज्यादा पुराना ना हो तो मस्से सूख जाते हैं। बाबासीर प्रायः कब्ज की शिकायत के कारण होता है। अर्श कुठार रस कब्ज नहीं होने देता, इसलिए शुरुआती बवासीर जड़ से खत्म हो जाता है।
3- बवासीर में अर्शकुठार रस का सेवन | piles meaning in hindi
बवासीर दो प्रकार का होता है- खूनी और बादी।
4- खूनी बवासीर में अर्शकुठार रस का सेवन
खूनी बवासीर में मस्सों से खून निकलने लगता है। मस्सों में हवा भर जाने के कारण मस्से फूल जाते हैं। सुई चुभने जैसी पीड़ा होती है। इसमें रोगी को परेशानी बहुत होती है। दस्त और कब्ज दोनों बवासीर में हो जाता है। जब दस्त साफ होता है, तो तकलीफ कम होती है। किंतु कब्ज होते ही तकलीफ बढ़ जाती है। इस कब्जियत को दूर करने के लिए अर्शकुठार रस रामबाण है। इसके सेवन से कोष्ठ शुद्ध होकर मल संचय दूर हो जाता है। अनावश्यक गैस भी शांत हो जाती है। रक्तातिसार में इसको कुटज की छाल के क्वाथ के साथ देने से लाभ होता है।
5- बादी बवासीर में अर्शकुठार रस का सेवन
इसमें अर्शकुठार रस का सेवन गर्म जल के साथ या गुलकंद के साथ देने से लाभ होता है। धीरे-धीरे दस्त साफ होते हैं। मल संचय दूर हो जाता है। गैस का प्रकोप भी कम हो जाता है। मस्से में दर्द नहीं होता है।
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