anand bhairav ras uses in hindi | anand bhairav ras ke fayde

जब शरीर में कफ बढ़ जाता है, तो शरीर भारी  लगता है। बहुत पसीना आना, हल्का हल्का बुखार होना, हमेशा आलस्य बना रहना, किसी भी काम में मन नहीं लगता है। बार बार जम्हाई आना, भूख कम लगना, उपवास करने के बाद भी भूख न लगना। पाचक अग्नि का मंद पड़ जाना, जी मिचलाना आदि लक्षणों में आनंद भैरव रस रामबाण औषधि है। आनंदभैरव रस कफ का शोषण करके कफ विकार को शांत कर देता है। 

 

contents :-

1- आनंद भैरव रस (कास) | anand bhairav ras kaas

2-आनंद भैरव रस को बनाने में प्रयुक्त होने  वाली आवश्यक औषधियां और बनाने की विधि |anand  bhairav ras ingredients

3- आनंद भैरव रस सेवन विधि | anand bhairav ras uses 

4- कफ विकार में आनंद भैरव रस का सेवन | anand bhairav ras side effects

5- प्रतिश्याय जनित कास (खांसी) में आनंद भैरव रस का सेवन | anand bhairav ras in cough

6- कफ- प्रधान श्वास रोग में आनंद भैरव रस का सेवन | anand bhairav ras uses in cough

7- कफ जन्य अतिसार में आनंद भैरव रस का सेवन 

8-  साधारण कोष्ठशूल

9- आनंद भैरव रस (ज्वर) बनाने की विधि एवं आवश्यक औषधियां | anand bhairav ras jwar

10- गुण और उपयोग


आनंद भैरव रस (कास) | anand bhairav ras kaas

anand bhairav ras

इसके सेवन से सभी प्रकार की खांसी, श्वास रोग, अतिसार ग्रहणी, सन्निपात, अपस्मार, वात रोग, प्रमेह, अजीर्ण और अग्निमांद्य रोग नष्ट होते हैं। anand bhairav ras.

आइए अब हम जानते हैं कि इस रस को किस प्रकार बनाया जाता है। इसको बनाने में प्रयुक्त होने वाली औषधियों का विस्तार से वर्णन करते हैं। 

 

1- आनंद भैरव रस को बनाने में प्रयुक्त होने वाली आवश्यक औषधियां और बनाने की विधि |

anand  bhairav ras ingredients

शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, शुद्ध हिंगुल,  शुद्ध विष,  सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, शुद्ध टंकण – प्रत्येक का 1-1 तोला लेते हैं।

सर्वप्रथम पारा और गंधक की कज्जली बनाते हैं। इसके पश्चात उस  कज्जली को भांगरे के स्वरस की भावना देकर दृढ़ मर्दन करते हैं। अब अन्य चूर्ण करने योग्य द्रव्यों का सूक्ष्म कपड़छान चूर्ण इसमें मिलाते हैं। बिजौरा नींबू के रस की भावना देकर दृढ़ मर्दन करें। गोली बनाने योग्य होने पर एक एक रत्ती की गोली बनाकर   रख लें।

2- आनंद भैरव रस सेवन विधि | anand bhairav ras uses 

एक से दो गोली अदरक के रस के साथ ले सकते हैं। पान का रस और शहद के साथ भी इसे लिया जा सकता है। कुटज की छाल के क्वाथ या अनार के शरबत के साथ इसे ले सकते हैं। साधारण पानी के साथ भी इसका सेवन किया जा सकता है।

3- कफ विकार में आनंद भैरव रस का सेवन | anand bhairav ras side effects

जब शरीर में कफ बढ़ जाता है, तो शरीर भारी  लगता है। बहुत पसीना आना, हल्का हल्का बुखार होना, हमेशा आलस्य बना रहना, किसी भी काम में मन नहीं लगता है। बार बार जम्हाई आना, भूख कम लगना, उपवास करने के बाद भी भूख न लगना। पाचक अग्नि का मंद पड़ जाना, जी मिचलाना आदि लक्षणों में आनंद भैरव रस रामबाण औषधि है। आनंदभैरव रस कफ का शोषण करके कफ विकार को शांत कर देता है।

पित्त जन्य विकार या ज्वर में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। यह पित्त को उत्तेजित करता है। यदि इसका प्रयोग करें, तो किसी कफवर्धक दवा के साथ इसको दें।

4- प्रतिश्याय जनित कास (खांसी) में आनंद भैरव रस का सेवन | anand bhairav ras in cough

जब जुकाम होकर पक जाने पर खांसी  होती है। इसमें खांसी आने के बाद कफ अधिक मात्रा में निकलता है। कफ का रंग पीला सफेद रहता है। सांस लेने में दिक्कत होती है। इस स्थिति में आनंद भैरव रस को पान के रस के साथ लेना लाभकारी होता है। जुकाम शुरू होते ही इसे नहीं देना चाहिए। क्योंकि यह तेजी से कफ को सुखा देता है। जिससे जुकाम रुक जाता है और सिर में दर्द होने लगता है। कभी-कभी इससे सूखी खांसी भी उत्पन्न हो जाती है। अतः फायदे के बदले रोगी को हानि उठानी पड़ती है। इसलिए जब जुकाम होकर पक जाए तो इसका प्रयोग करें।

5- कफ- प्रधान श्वास रोग में आनंद भैरव रस का सेवन | anand bhairav ras uses in cough

सांस के दौरे के साथ-साथ कफ का भी प्रकोप विशेष रहता है। इसमें खांसी के साथ ज्यादा मात्रा में कफ निकलता है। नया कफ बनते रहता है। श्वास नाभि तक न पहुंच कर हृदय तक ही रह जाता है, जिससे रोगी बेचैन हो जाता है। ऐसी स्थिति में आनंद भैरव रस का प्रयोग सबसे अच्छा होता है। आनंद भैरव रस कफ को निकालता है, जिससे श्वास नली साफ हो जाती है। सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं आती है । नया कफ बनना बंद हो जाता है।

6- कफ जन्य अतिसार में आनंद भैरव रस का सेवन 

कफ की वृद्धि होने के कारण भोजन के प्रति अरुचि हो जाती है। कुछ भी खाने की इच्छा नहीहोती है। पाचक अग्नि मंद पड़ जाती है। अपच होने से ज्वर उत्पन्न होता है। पेट में भारीपन और पतले दस्त होने लगते हैं। कभी-कभी अपचित और झागदार दस्त होते हैं। इस स्थिति में आनंद भैरव रस का प्रयोग कुटज क्वाथ के साथ करने से लाभ होता है। यह पित्त वर्धक होने के कारण पित्त को उत्तेजित करके जठराग्नि को प्रदीप्त करता है। जिससे पाचन प्रक्रिया अच्छी हो जाती है। अतिसार भी बंद हो जाता है।

7- साधारण कोष्ठशूल

कफ बढ़ने से पेट में हवा भर जाती है। पेट भारी और कड़ा मालूम पड़ने लगता है। पेट में हल्का दर्द बना रहता है। पतले दस्त बार-बार होते हैं। पेट में भारीपन बना रहता है। इस स्थिति में आनंद भैरव रस का सेवन शीघ्र लाभ करता है।

8- आनंद भैरव रस (ज्वर) बनाने की विधि एवं आवश्यक औषधियां | anand bhairav ras jwar

शुद्ध हिंगुल, शुद्ध विष, फूला हुआ सुहागा और जायफल प्रत्येक एक एक तोला लें। काली मिर्च और छोटी पीपल दो तोला लेकर अलग-अलग महीन करके पीस लें। पहले शुद्ध हिंगुल को खरल में डालकर पीसने के बाद सभी चीजों को मिलाकर जंबीरी नींबू के रस में घोंटना चाहिए। अच्छी तरह से घोंटने के बाद एक एक रत्ती की गोलियां बना लें।

9- गुण और उपयोग

आनंद भैरव रस का यह योग बहुत प्रचलित योग है। ज्वर, अतिसार, जुकाम, खांसी आदि में उत्तम गुणकारी है। एक एक गोली प्रातः और सायंकाल अदरक और शहद के साथ सेवन करें।

यह आनंद भैरव रस सब तरह के बुखार में दिया जा सकता है। साधारण बुखार में इसकी एक गोली सुबह और एक शाम शहद के साथ देने से लाभ होता है। यदि बुखार जोर का है। कम नहीं हो रहा हो, तो अदरक के रस के साथ एक तोला शहद मिलाकर दिन रात में तीन बार दें। धीरे-धीरे बुखार उतर जाएगा। अतिसार में जायफल को घिस कर पानी के साथ या सोंठ के पानी के साथ या बेलगिरी के काढे के साथ देने से लाभ होता है। 

 

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