alsi ka tel | alsi ke tel ke fayde in hindi
अलसी का सेवन विभिन्न रोगों में किया जाता है। अलसी की छाल, अलसी के पत्ते और अलसी का तेल सभी उपयोगी हैं। अलसी की फसल पूरे भारतवर्ष में होती है। इसका तेल सभी जगह उपयोग में आता है। अलसी से हल्की गंध आती है। अलसी मधुर, बल देने वाली और पित्त नाशक है। अलसी नेत्र की ज्योति को हानि पहुंचाती है। इसके अतिरिक्त अलसी मूत्र की बीमारी और कुष्ठ रोग को नष्ट करती है।
अलसी | Alsi
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अलसी की फसल पूरे भारतवर्ष में होती है। इसका तेल सभी जगह उपयोग में आता है। अलसी से हल्की गंध आती है। अलसी मधुर, बल देने वाली और पित्त नाशक है। अलसी नेत्र की ज्योति को हानि पहुंचाती है। इसके अतिरिक्त अलसी मूत्र की बीमारी और कुष्ठ रोग को नष्ट करती है।
अन्य भाषा में अलसी के नाम | Names of flaxseed in other languages
हिंदी में अलसी, तीसी, मसीना; संस्कृत में अलसी, पिच्छिला,उमा, क्षुमा; बंगाली में मसीना,तीसी; मराठी में जवस,अलशी; गुजराती में अलशी; कन्नड़ में असगे; तेलुगु में नल्लपगसिचेट्टू; फारसी में तुख्मेकतान; अरबी में वजरूलकताना आदि नामों से जाना जाता है।
आयुर्वेद में अलसी का वर्णन | Description of flaxseed in ayurveda
आयुर्वेद में इसको वीर्य को नष्ट करने वाली और वात रक्त विनाशक कहा है। अलसी गरम, पौष्टिक, पचने में भारी, पीठ दर्द और सूजन को मिटाने वाली है। दृष्टि नाशक है।
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यूनानी चिकित्सा में अलसी का वर्णन | Description of flaxseed in Unani medicine
यह दूसरे दर्जे में गर्म और तीसरे दर्जे में रुक्ष है। किसी-किसी मत में इसको दूसरे दर्जे में शीतल और रुक्ष कहा है। इसके बीज चिकने होते हैं। जिनको मूत्र रुक रुक कर आता है, उनके लिए लाभकारी है। यह दूध बढ़ाता है और पीरियड्स को नियमित करता है। अलसी खांसी और गुर्दे की बीमारियों में बहुत लाभकारी है। अलसी की छाल और पत्ते सुजाक रोग में बहुत उपयोगी हैं। अलसी का तेल गठिया रोग में लाभदायक है।
रोगानुसार अलसी का सेवन | consumption of flaxseed according to disease
अलसी का सेवन विभिन्न रोगों में किया जाता है। अलसी की छाल, अलसी के पत्ते और अलसी का तेल सभी उपयोगी हैं। आइए अब हम विभिन्न रोगों में किस प्रकार अलसी का सेवन किया जाता है, उस पर विचार करते हैं-
क्षय रोग में अलसी का सेवन | flaxseed in tuberculosis
एक औंश अलसी के बीज को पीसकर रात भर ठंडे पानी में भिगोकर रखें। इसे मल कर, छानकर थोड़ा गर्म करें। इसमें नींबू का रस निचोड़ कर पिलाएं। यह क्षय रोग में लाभकारी है।
एसटीडी या सुजाक में अलसी का सेवन | Consuming flaxseed in STD or gonorrhea
अलसी के बीजों के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर फंकी देने से सुजाक में लाभ होता है। इसकी मात्रा 10 ग्राम ही एक बार में सेवन करें। पांच बूंद नियमित जननेंद्रिय के छेद में डालने से सुजाक में लाभ होता है।
शरीर के सभी दर्द में अलसी का सेवन | Consuming flaxseed in all body pains
अलसी के तेल में सोंठ का चूर्ण डालकर गर्म करके मालिश करने से सभी प्रकार का दर्द दूर होता है। इसका नियमित सेवन करने से जोड़ों के दर्द में भी लाभ होता है।
खांसी में अलसी का सेवन | flaxseed in cough
अलसी के बीज को गर्म करके चूर्ण बनाएं। इसमें शहद मिलाकर चाटने से सभी प्रकार की खांसी दूर होती है। खांसी के लिए रामबाण है अलसी का सेवन।
लेख- हेम जोशी
(आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पर आधारित संपूर्ण लेख)
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