Saturday, December 2, 2023
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aloe vera uses in hindi | एलोवेरा क्‍या है? | What is Aloe Vera?

एलोवेरा का पौधा छोटा होता है जिसके पत्‍ते मोटे, छोटे कांटेदार होते हैं। एलोवेरा (Aloe Vera) के पत्‍ते के आगे का भाग नुकीला होता है और इसके किनारों पर हल्‍के कांटे होते हैं। पत्‍तों के बीच से फूल का दंड निकलता है जिस पर पीले रंग के फूल लगे होते हैं। एलोवेरा सबसे ज्यादा भारत में होता है।

 

ग्वारपाठा या घृतकुमारी  एलोवेरा का परिचय 

Table of Contents

 Introduction of Aloe Vera

 

aloe vera uses

एलोवेरा क्‍या है? (What is Aloe Vera?)

एलोवेरा का पौधा छोटा होता है जिसके पत्‍ते मोटे, छोटे कांटेदार होते हैं। एलोवेरा (Aloe Vera) के पत्‍ते के आगे का भाग नुकीला होता है और इसके किनारों पर हल्‍के कांटे होते हैं। पत्‍तों के बीच से फूल का दंड निकलता है जिस पर पीले रंग के फूल लगे होते हैं। एलोवेरा सबसे ज्यादा भारत में होता है। खेत के चारों तरफ इसे लगाने से खेत में कोई भी जंतु नहीं आते। इसका रस निकालने के लिए छोटी सी मशीन भी आती है। इसके रस की कोई समाप्ति तिथि या एक्सपायरी डेट नहीं होती है। इसे कांच की बोतल में भरकर रखना चाहिए।

भारत के कई ग्रंथों जैसे कि अमरकोष, भावप्रकाश आदि में घृतकुमारी की चर्चा मिलती है। स्थान एवं अलग अलग देशों में एलो वेरा की कई प्रजातियां पाई जाती हैं जिनका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है। मुख्यतया इसकी दो प्रजातियों का चिकित्सा में विशेष तौर पर प्रयोग किया जाता है।

 दुनिया भर के विभिन्‍न हिस्‍सों में पाए जाने वाले एलोवेरा को देश-विदेश के अलग-अलग हिस्‍सों में कई नामों से जाना जाता है। इसका वानस्‍पतिक नाम Aloe vera (Linn.) Burm.f. (एलोवेरा)? Syn-Aloe barbadensis Mill. है।

 

एलोवेरा का अन्य भाषा में नाम (Aloe Vera in other languages) 

  • हिंदी  – घीकुआँर, ग्वारपाठा, घीग्वार
  • इंग्लिश  – एलो वेरा (Aloe vera), कॉमन एलो (Common aloe), बारबडोस एलो (Barbados aloe), मुसब्बार (Musabbar), कॉमन इण्डियन एलो (Common Indian aloe)
  • संस्कृत  – कुमारी, गृहकन्या, कन्या, घृतकुमारी
  • कन्नड़  – लोलिसर (Lolisar)
  • गुजराती  – कुंवार (Kunwar), कड़वी कुंवर (Kadvi kunvar)
  • तमिल   – कत्तालै (Kattale), अंगनी (Angani), अंगिनी (Angini)
  • तेलुगु  – कलबन्द (Kalband), एट्टाकलाबन्द (Ettakalaband)
  • बंगाली  – घृतकुमारी (Ghritkumari)
  • नेपाली  – घ्यूकुमारी (Giukumari)
  • पंजाबी  – कोगर (Kogar), कोरवा (Korwa)
  • मलयालम  – छोट्ठ कथलाइ (Chotthu kathalai)
  • मराठी  – कोरफड (Korphad), कोराफण्टा (Koraphanta)
  • अरेबिक  – तसाबार अलसी (Tasabrar alsi), मुसब्बर (Musabbar)
  • पर्शियन  – दरखते सिब्र (Darkhate sibre), दरख्तेसिन (arkhteesinn)

 

एलोवेरा के फायदे (Aloe Vera Benefits and Uses)

  • एलोवेरा का सेवन मुंह के छाले, कब्‍ज, त्‍वचा के पकने सहित बहुत से रोगों के उपचार के लिए अत्‍यंत गुणकारी औषधि है।
  • यह पचने में भारी, चिकना, ठंडा और स्‍वाद में कड़वा होता है।
  • एलोवेरा का उपयोग महिलाओं की माहवारी संबंधी दिक्‍कतों के लिए फायदेमंद है। इसका रस नपुंसकता में बहुत अच्छा काम करता है।
  • तीन से चार चम्मच रोज सुबह खाली पेट इसको देना चाहिए।
  • जिनके शरीर में बहुत से फोड़े हैं , फुंसियां बहुत होती हैं, उनके लिए एलोवेरा बहुत रामबाण है।
  • यदि बालों में रूसी है तो इसका रस बालों में लगाएं बहुत अद्भुत काम करता है।
  • बाल झड़ने की स्थिति में इसका रस बहुत उपयोगी है।

 

सिर  दर्द में एलोवेरा का प्रयोग फायदेमंद (Benefits of Aloe Vera in Relief

from Headache in Hindi)

एलोवेरा घृतकुमारी के गूदे में थोड़ी मात्रा में दारु हल्‍दी (दारुहरिद्रा) का चूर्ण मिला लें। इसे गर्म करके दर्द वाले स्‍थान पर बांधें। इससे वात और कफ से होने वाले सिरदर्द में लाभ होता है। समय से पहले बाल सफेद हो रहे हैं तो इसके रस का प्रयोग करें। घने बाल करने के लिए बहुत उपयोगी है।

नेत्र रोग (आंखों की बीमारी) में एलोवेरा से लाभ (Uses of Aloe Vera in

Cure Eye problem in Hindi)

घृतकुमारी का गूदा आंखों में लगाने से आंखों की लाली मिटती है, गर्मी दूर होती है। यह विषाणु से होने वाले आखों के सूजन (वायरल कंजक्टीवाइटिस) में लाभप्रद होता है। बरसात के मौसम में अक्सर आंखें लाल हो जाती हैं। इसे आंख आना भी कहते हैं। इस स्थिति में है आंखों में इसका रस डालें। घृतकुमारी के गूदे पर हल्दी डालकर थोड़ा गर्म कर लें। इसे आंखों पर बांधने से आंखों की पीड़ा का इलाज होता है।

कान दर्द में आराम पाने के लिए करें एलोवरा का इस्तेमाल (Aloe Vera

Benefits in Treating Ear pain in Hindi)

कान में कैसा भी दर्द हो बच्चे या बड़े, एक से दो बूंद एलोवेरा का रस कान में डाल दीजिए तुरंत आराम मिलेगा। कान से पस या कान बहने की बीमारी पर 3 से 4 दिन तक लगातार एक से दो बूंद कान में डालिए। घृतकुमारी के रस को हल्का गर्म कर लें। अब जिस कान में दर्द हो रहा हो, उसके दूसरी तरफ के कान में दो-दो बूंद टपकाने से कानों के दर्द में आराम मिलता है।

एलोवेरा के प्रयोग से करें खांसी-जुकाम का इलाज (Aloe Vera Uses in

Cures Cough and Cold problem in Hindi)

घृतकुमारी का गूदा और सेंधा-नमक लेकर दोनों का भस्म तैयार करें। इस भस्‍म का 5 ग्राम की मात्रा में मुनक्का के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पुरानी खांसी तथा जुकाम में लाभ होता है।

पेट की बीमारी में करें एलोवेरा का इस्‍तेमाल (Uses of Aloe Vera in

Abdominal Disease Treatment in Hindi)

  • घृतकुमारी (Aloe Vera) के गूदे को पेट के ऊपर बांधने से पेट की गांठ बैठ जाती है। इस उपचार से आंतों में जमा हुआ मल भी सरलता से बाहर निकल जाता है।
  • घृतकुमारी की 10-20 ग्राम जड़ को उबाल ले, इसे छानकर इसमें भुनी हुई हींग मिलाकर पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
  • एलोवेरा जूस फायदेमंदघृतकुमारी के 6  ग्राम गूदा को 6 ग्राम गाय के घी, 1 ग्राम हरड़ चूर्ण और 1 ग्राम सेंधा नमक में मिला लें। इसे सुबह-शाम खाने से वात विकार से होने वाले वायु के गोले ठीक होते हैं।
  • गाय के घी में 5-6 ग्राम घृतकुमारी के गूदे में त्रिकटु सोंठ, मरिच पिप्‍प्‍ली, हरड़ तथा सेंधा नमक का चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से वायु की गांठ में लाभ होता है।
  • 60 ग्राम घृतकुमारी के गूदे में 60 ग्राम घी, 10 ग्राम हरड़ चूर्ण तथा 10 ग्राम सेंधा नमक  मिला लें। इसे अच्छी तरह मिलाना है। इसको 10-15 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से वात से होने वाले गुल्म से निजात मिलता है। इस पेस्‍ट का सेवन पेट से जुड़ी बीमारियां व वात से होने दूसरे रोगों के लिए भी फायदेमंद हैं।

 

एलोवेरा के प्रयोग से खूनी बवासीर का इलाज (Aloe Vera Benefits in Cure

Piles in Hindi)

एलोवेरा (Aloe Vera) के 50 ग्राम गूदे में 2 ग्राम पिसा हुआ गेरू मिलाएं। अब इसकी टिकिया बना लें। इसे रूई के फाहे पर फैलाकर गुदा स्‍थान पर लंगोट की तरह पट्टी बांधें। इससे मस्‍सों में होने वाली जलन और दर्द में आराम मिलता है। मस्‍से सिकुड़ कर दब जाते हैं। यह प्रयोग खूनी बवासीर में भी लाभदायक है।

एलोवेरा के सेवन से पीलिया में लाभ (Aloe Vera Uses in Fighting with

Jaundice in Hindi)

  • 10-20 मिलीग्राम धृतकुमारी के रस को दिन में दो तीन बार पिलाने से पित्‍तनलिक में लाभ होता है।
  • इस प्रयोग से आंखों का पीलापन यानी पीलिया दूर होता है।
  • इससे कब्‍ज से मुक्ति पाने में भी मदद मिलती है।
  • इसके रस की 1-2 बूंद नाक में डालने से भी लाभ होता है।
  • कुमारी लवण को 3-6 ग्राम तक की मात्रा में छाछ के साथ सेवन करने से लीवर, तिल्‍ली का बढ़ाना, पेट की गैस, पेट में दर्द तथा अन्‍य पाचन से जुड़ी समस्‍याओं में लाभ होता है।

लीवर विकार में एलोवेरा से फायदा (Aloe Vera Uses in Liver Disorder in

Hindi)

  • एलोवेरा (Aloe Vera) के पत्तों का रस दो भाग तथा 1 भाग शहद लेकर उसे चीनी मिट्टी के बर्तन में रखें।
  • इस बर्तन का मुंह बन्द कर 1 सप्ताह तक धूप में रखें।
  • उसके बाद इसको छान लें।
  • इस औषधि को 10-20 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लीवर से संबंधित बीमारियों में लाभ मिलता है।
  • इसकी अधिक मात्रा पेट को साफ करने वाला है।
  • उचित मात्रा में सेवन करने से मल एवं वात की समस्‍याएं ठीक होने लगती हैं।
  • इससे लीवर मजबूत हो जाता है और सही तरह से काम करता है।

मूत्र रोग में एलोवेरा से लाभ (Aloe Vera Cures Urinary Problems in

Hindi)

एलोवेरा के 5-10 ग्राम ताजे गूदे में चीनी मिलाकर खाने से पेशाब करने में हो रही तकलीफ और पेशाब के समय होने वाली जलन में आराम मिलता है।

मासिक धर्म विकार में एलोवेरा से लाभ (Aloe Vera Helps to get Relief from Menstrual  Disorders in Hindi)

एलोवेरा के 10 ग्राम गूदे पर 500 मिलीग्राम पलाश का क्षार बुरक कर दिन में दो बार सेवन करने से मासिक धर्म की परेशानियां दूर होती हैं।

 

घाव, चोट और गांठ ठीक करने में लाभप्रद एलोवेरा का प्रयोग (Aloe Vera

Helps in Curing Wound, Injury, Knuckle-bone in Hindi)

  • फोड़ा ठीक से पक न रहा हो तो एलोवरेा के गूदे में थोड़ा सज्जीक्षार तथा हरड़ चूर्ण मिलाकर घाव पर बांधने से फोड़ा जल्दी पक कर फूट जाता है।
  • घृतकुमारी के पत्ते को एक ओर से छील लें। उस पर थोड़ा हरड़ का चूर्ण बुरक कर इसे हल्‍क गर्म कर लें। अब इसे गांठों पर बांधें, इससे गांठों की सूजन दूर होगी।
  • चोट, मोच, सूजन तथा दर्द आदि लक्षणों से वाले विकारों पर एलोवेरा (Aloe Vera) के गूदे में अफीम तथा हल्दी चूर्ण मिलाकर बांधने से आराम मिलता है।
  • स्त्रियों के स्तन में चोट आदि के कारण या अन्य किसी कारण से गांठ या सूजन होने पर एलोवरे के जड़ का पेस्‍ट बना लें। इसमें थोड़ा हरड़ चूर्ण मिलाकर गर्म करके बांधने से लाभ होता है। इसे दिन में 2-3 बार बदलना चाहिए।
  • घृतकुमारी का गूदा घावों को भरने के लिए सबसे उपयुक्त औषधि है। रेडियेशन के कारण हुए असाध्य घावों पर इसके प्रयोग से बहुत ही अच्छा फायदा मिलता है।
  • एलोवेरा के के गूदे को आग से जले स्थान पर लगाने से जलन शांत हो जाती है तथा फफोले नहीं उठते।
  • एलोवेरा और कत्‍था को समान मात्रा में पीसकर लेप करने से नासूर में फायदा होता है।
  • एलोवेरा के रस को तिल तथा कांजी के साथ पकाकर या केवल एलोवेरा के रस में पकाकर घाव पर लेप करने से लाभ होता है

विशेष जानकारी :

  • एलोवेरा के पत्तों के दोनों ओर के कांटे अच्छी प्रकार साफ कर इसके छोटे-छोटे टुकड़े काटकर एक मिट्टी के बर्तन में रखें।
  • 5 किलो टुकड़े में आधा किलो नमक डालकर बर्तन का मुंह बंद कर दें। इसे 2-3 दिन धूप में रखें।
  • बीच-बीच में हिलाते रहें।
  • तीन दिन बाद इसमें 100 ग्राम हल्दी, 100 ग्राम धनिया, 100 ग्राम सफेद जीरा, 50 ग्राम लाल मिर्च, 6 ग्राम भुनी हुई हींग, 30 ग्राम अजवायन, 100 ग्राम सोंठ, 6 ग्राम काली मिर्च, 6 ग्राम पीपल, 5 ग्राम लौंग, 5 ग्राम दाल चीनी, 50 ग्राम सुहागा, 50 ग्राम अकरकरा, 100 ग्राम कालाजीरा, 50 ग्राम बड़ी इलायची तथा 300 ग्राम राई को महीन पीस कर डालें।
  • रोगी के बल के अनुसार 3-6 ग्राम तक की मात्रा में सुबह शाम देने से पेट के वात कफ संबंधी सभी विकार मिटते हैं।
  • सूखने पर अचार, दाल, सब्जी आदि में डालकर प्रयोग करें।

घृतकुमारी लवण की विधि

घृतकुमारी के पत्तों का गूदा निकालकर बाकी छिलकों को मटकी में भरकर, उसमें उतनी ही मात्रा में नमक मिलाकर मुंह बंद कर गोबर के कंडों की आग पर रख दें। जब उसके भीतर का पानी जलकर काला हो जाए तो तो उसे महीन पीसकर शीशी में भरकर रखें। इसी को कुमारी लवण कहते हैं।

एलोवेरा कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Aloe Vera Found or Grown?)

एलोवेरा सबसे ज्यादा भारत में पाया जाता है।  भारत के सभी हिस्‍सों में एलेवेरा (Aloe Vera) की खेती की जाती है। मुंबई, गुजरात और दक्षिण भारत में मुख्‍य तौर पर इसकी खेती की जाती है। इसकी खेती बलुई और अच्‍छी तरह से सूखी जमीन पर की जाती है। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में इसे व्‍यापक तौर पर उगाया जाता है।

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