afim ka podha | अफीम कैसे प्राप्त होता है | अफीम की दवा
अफीम में १२% तक मार्फीन (morphine) पायी जाती है, जिसको प्रसंस्कृत (प्रॉसेस) करके हैरोइन (heroin) नामक मादक द्रब्य (ड्रग) तैयार किया जाता है। अफीम का दूध निकालने के लिये उसके कच्चे, अपक्व ‘फल’ में एक चीरा लगाया जाता है; इसका दूध निकलने लगता है, जो निकल कर सूख जाता है। यही दूध सूख कर गाढ़ा होने पर अफ़ीम कहलाता है। अफीम दर्द को कम करता है। अफीम वीर्य बढ़ाता है और बल प्रदान करता है। कृमि का नाश करता है। अफीम एक नशीला पदार्थ है ।
अफीम | opium
Table of Contents
- 1 अफीम | opium
- 1.1 अफीम की पहचान और प्राप्ति स्थान | Identification and location of opium
- 1.2
- 1.3 अन्य भाषाओं में अफीम के नाम | Names of opium in other languages
- 1.4
- 1.5 आयुर्वेद के अनुसार अफीम के गुण | properties of opium according to ayurveda
- 1.6
- 1.7 अफीम के उपयोगी गुण | Useful properties of opium
- 1.8 इसे भी पढ़ें – अनार के फायदे
- 1.9
- 1.10 हृदय रोग में अफीम का सेवन | opium consumption in heart disease
- 1.11
- 1.12 रक्तस्राव को रोकने में अफीम का सेवन | Opium intake to stop bleeding
- 1.13 आमाशयी विकार में अफीम का सेवन | Consumption of opium in gastric disorder
- 1.14 जोड़ों के दर्द और सूजन में अफीम का सेवन | Use of opium in joint pain and swelling
- 1.15
- 1.16 अतिसार में अफीम का सेवन | opium consumption in diarrhea
- 1.17
- 1.18 नासूर में अफीम का सेवन | opium consumption in canker
- 1.19
- 1.20 इसे भी पढ़ें – कल्याण सुन्दर रस के फायदे
- 1.21
- 1.22 स्नायु संबंधी वात रोग | सिर दर्द और दांत दर्द में अफीम का सेवन | Nervous gout Consumption of opium in headache and toothache
- 1.23
- 1.24 कान दर्द और गले के लिए रामबाण है अफीम | Opium for earache and throat
- 1.25 अफीम का विष उतारने के उपाय | अफीम का नशा उतारने के उपाय | Remedies to remove opium poison
अफीम में १२% तक मार्फीन (morphine) पायी जाती है, जिसको प्रसंस्कृत (प्रॉसेस) करके हैरोइन (heroin) नामक मादक द्रब्य (ड्रग) तैयार किया जाता है। अफीम का दूध निकालने के लिये उसके कच्चे, अपक्व ‘फल’ में एक चीरा लगाया जाता है; इसका दूध निकलने लगता है, जो निकल कर सूख जाता है। यही दूध सूख कर गाढ़ा होने पर अफ़ीम कहलाता है। अफीम दर्द को कम करता है। अफीम वीर्य बढ़ाता है और बल प्रदान करता है। कृमि का नाश करता है। अफीम एक नशीला पदार्थ है। जोड़ों की सूजन, कमर का दर्द अफीम के सेवन से दूर हो जाता है
अफीम की पहचान और प्राप्ति स्थान | Identification and location of opium
अफीम पोस्तदाने के वृक्ष से पैदा होता है। पौष के महीने में इस वृक्ष पर अनेक रंग बिरंगे फूल लगते हैं। उन पर घोड़ियां लगती हैं। दो-तीन सप्ताह बाद यह डोड़े अफीम निकालने लायक हो जाते हैं। तब उनके लोहे के तेज औजार से तीन चार चीरे लगा देते हैं। इन चीरों से दूध के रूप में अफीम निकलती है और डोड़ों में जम जाती है। दूसरे दिन सुबह तक यह दूध अफीम की शक्ल में जम जाता है। इसको खुरच कर निकाल लिया जाता है। इकट्ठा होने के बाद इसे तेल के हाथ देकर साफ कर लेते हैं। जिससे जल की मात्रा निकल जाती है। अफीम की खेती भारतवर्ष में विशेषकर मालवा और मेवाड़ प्रांतों में की जाती है।
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अन्य भाषाओं में अफीम के नाम | Names of opium in other languages
हिंदी में अफीम, संस्कृत में अहिफेन, बंगाली में आफिंग, मराठी में अफू, कड़वी, गुजराती में अर्फण, तेलुगु में नाल्लामन्दु, फारसी में अफ्यूनतिर्य्याक, अरबी में लवनुल, खसखस आदि नामों से पुकारा जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार अफीम के गुण | properties of opium according to ayurveda
- अफीम वीर्य वर्धक है और बल प्रदान करता है।
- सतधातु शोधक, वात पित्त बढ़ाने वाला, आनंद देने वाला नशीला पदार्थ है।
- अफीम स्वाद में कड़वा मधुर है।
- अफीम कृमि रोग, कफ के रोग, पीलिया रोग, क्षय रोग, नींद ना आना, सांस रोग, खांसी, तिल्ली बढ़ जाने पर और धातुक्षय में लाभकारी है।
अफीम के उपयोगी गुण | Useful properties of opium
अफीम एक नशीला पदार्थ है। इसे शुद्ध करके इससे अनेक औषधियां बनाई जाती हैं। अब हम उन उपयोगी गुणों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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हृदय रोग में अफीम का सेवन | opium consumption in heart disease
- हृदयपीड़ा, हृदयश्वास और उससे होने वाली अनिद्रा में अफीम देने से रोगी की वेदना शांत हो जाती है और उसे नींद आ जाती है।
- हृदय रोग में हृदय की धड़कन तेज हो जाती है।
- चिंता और घबराहट होती है।
- अफीम के सेवन से हृदय की धड़कन सामान्य हो जाती है।
- तीव्र संधिवात में अफीम हृदय की रक्षा करता है, मगर अफीम का सेवन बहुत सावधानी से करना चाहिए।
- वेद्य की सलाह से ही करना चाहिए।
रक्तस्राव को रोकने में अफीम का सेवन | Opium intake to stop bleeding
अफीम रक्तस्राव रोधक है। शरीर के किसी भी अंग में बहने वाला खून यदि न रुक रहा हो, तो अफीम देने से यह स्राव रुक जाता है। गर्भाशय, आंतों, आमाशय, फुफूस इत्यादि में होने वाला रक्त स्राव अफीम के सेवन से रुक जाता है। इस स्थिति में अफीम की मध्यम मात्रा ही सेवन करनी चाहिए। इसमें दूसरी रक्त अवरोधक औषधियों का सेवन भी करना चाहिए।
आमाशयी विकार में अफीम का सेवन | Consumption of opium in gastric disorder
आमाशय कुपचन विकार आने के कारण दर्द होने लगता है। यह दर्द असहनीय होता है। कभी-कभी उल्टी होने लगती है। ऐसी स्थिति में बड़ी मात्रा में अफीम लेने से तुरंत लाभ मिलता है। आमाशय की झिल्ली की सूजन में अफीम का लेप करने से बहुत लाभ होता है। एक बात हमेशा याद रखें कि बिना वेद्य की सलाह के अफीम का सेवन कभी न करें।
जोड़ों के दर्द और सूजन में अफीम का सेवन | Use of opium in joint pain and swelling
- अफीम का लेप लगाने से जोड़ों में होने वाला दर्द कम हो जाता है।
- जोड़ों में होने वाली सूजन कम हो जाती है।
- अफीम के लेपन से कमर का दर्द, फुफ्फुस के परदे की सूजन कम हो जाती है।
- बच्चों के शरीर पर इसका लेप नहीं करना चाहिए।
- बच्चों के शरीर में अफीम का लेप करने से नुकसान हो सकता है।
अतिसार में अफीम का सेवन | opium consumption in diarrhea
अफीम और केसर को समान मात्रा में लेकर पीसकर गोली बना लें। एक रत्ती की गोली शहद के साथ देने से अतिसार में लाभ होता है। जब भयंकर अपच अजीर्ण हो जाता है, तो नारियल में छेद करके दो रत्ती अफीम उस में रखकर आग में पकाकर खिलाने से लाभ होता है।
आमातिसार और विसूचिका में अफीम, जायफल, केशर और कपूर समान मात्रा में लेकर खरल करें। दो रत्ती की गोलियां बनाकर दूध के साथ इसका सेवन करें। जब तक इस औषधि का सेवन करें, तब तक खाने पीने में दूध का ही सेवन करें। जल का सेवन त्याग दें।
नासूर में अफीम का सेवन | opium consumption in canker
मनुष्य के नाखून की राख में दो रत्ती अफीम मिलाकर गोलियां बना लें। इसका सेवन करने से नासूर में लाभ होता है। अफीम और हुक्के की कीट की बत्ती बनाकर भरने से नासूर में लाभ होता है। गठिया, आक्षेप वायु, प्रलाप आदि रोगों में अफीम का सेवन लाभकारी है।
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स्नायु संबंधी वात रोग | सिर दर्द और दांत दर्द में अफीम का सेवन | Nervous gout Consumption of opium in headache and toothache
- स्नायु संबंधी वात रोग में दर्द होने पर अफीम का लेप करने से लाभ होता है।
- अफीम और नौसादर को पीसकर दांत के छेद में रखने से दांत दर्द ठीक होता है।
- 4 रत्ती अफीम और 2 लोंग पीसकर गर्म करके लेप करने से सर्दी और बादी का सिर दर्द दूर होता है।
कान दर्द और गले के लिए रामबाण है अफीम | Opium for earache and throat
अफीम की आधी रत्ती भस्म गुलाब के तेल में मिलाकर कान में डालने से कान दर्द ठीक होता है। अफीम के डोडे और अजवाइन को पानी में औटाकर उस पानी से कुल्ला करने से गला ठीक होता है। इससे गले में जमी कफ निकल जाती है।
अफीम का विष उतारने के उपाय | अफीम का नशा उतारने के उपाय | Remedies to remove opium poison
- यदि अफीम खाने से नशा हो गया हो, तो हींग का पानी पिलाना चाहिए।
- हींग के पानी से अफीम का बिष तुरंत उतर जाता है।
- मैनफल, नीम का काढ़ा या तंबाकू का काढ़ा इनमें से किसी एक औषधि से उल्टी कराने पर अफीम का नशा उतर जाता है।
- अरीठा का पानी पिलाने से अफीम का बिष उतर जाता है।
- करमू के शाक के रस को निचोड़ कर पिलाने से अफीम से मरणासन्न हुआ व्यक्ति भी बच जाता है।
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