adrak kya hai || Ginger Benefits in Hindi
अदरक वात और कफ नाशक है। पाचक, ज्वर, खांसी, जुकाम , सिर दर्द में रामबाण है। रक्त की अशुद्धि को दूर करता है। पाचक अग्नि प्रदीप्त करता है। गरम प्रकृति वालों के लिए हानिकारक है। अदरक (वानस्पतिक नाम: जिंजिबर ऑफ़िसिनेल / Zingiber officinale), एक भूमिगत रूपान्तरित तना है। यह मिट्टी के अन्दर क्षैतिज बढ़ता है। इसमें काफी मात्रा में भोज्य पदार्थ संचित रहता है जिसके कारण यह फूलकर मोटा हो जाता है। अदरक जिंजीबरेसी कुल का पौधा है।
अदरख || आदी || Ginger
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अदरक वात और कफ नाशक है। पाचक, ज्वर, खांसी, जुकाम , सिर दर्द में रामबाण है। रक्त की अशुद्धि को दूर करता है। पाचक अग्नि प्रदीप्त करता है। गरम प्रकृति वालों के लिए हानिकारक है।
अदरक कहां कहां पाया जाता है || अदरक की पहचान
- अदरक भारत में सभी जगह पाया जाता है।
- भारत में अदरक की खेती की जाती है।
- इसका पौधा एक हाथ ऊंचा होता है।
- इसके पत्ते बांस के पत्ते जैसे होते हैं।
- इसकी जड़ में एक प्रकार का कंद होता है जिसे अदरक कहते हैं।
- अदरक दो प्रकार का होता है।
- एक चूंसेदार और बिना चूंसेदार।
- अदरक चैत्र और वैशाख महीने में बोया जाता है।
अदरक के अन्य भाषाओं में नाम
हिंदी में अदरख, आदी; संस्कृत में आद्रिका, आर्द्रतं,श्रृंगवेरंग; गुजराती में आदु; मराठी में आलेग; बंगाली में आदा; पंजाबी में अदरक; तेलुगु में अल्लम; फारसी में जंजबिल रतब आदि नामों से पुकारा जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार अदरक के गुण
- आयुर्वेद के अनुसार अदरक वात और कफ नाशक है।
- अदरक भारी, तीक्ष्ण, उष्ण, चरपरा,दीपन, पाक में मधुर है।
- नमक के साथ अदरक देने से पाचक अग्नि प्रदीप्त होती है।
- भूख बढ़ाने में अदरक बहुत अच्छा है।
- सूजन , वात और कफ में रामबाण है।
- कुष्ठ रोग, पांडु रोग, मूत्र रोग, रक्त पित्त और ज्वर इत्यादि में लाभकारी है।
यूनानी चिकित्सा में अदरक के गुण
- यूनानी में इसे तीसरे दर्जे का गरम और पहले दर्जे का रुक्ष बताया गया है।
- पाचन शक्ति बढ़ाने वाला होता है।
- पाचक अग्नि प्रदीप करता है।
- वायु का नाश करता है
- शीत प्रकृति वाले लोगों के लिए अदरक बहुत ही रामबाण है।
- यह शरीर की अग्नि को बढ़ाता है।
- पेट में अफारा होने पर उसे दूर करता है।
- आंखों की ज्योति बढ़ाता है।
- दिमाग के कृमियों को नष्ट करता है।
- गठिया सिर दर्द और अन्य तकलीफों में बहुत रामबाण है।
अदरक खाने के 10 फायदे
- 5 तोला अदरक का रस निकालकर , बराबर मिश्री में मिलाकर प्रातः काल सेवन करने से पेट के रोगियों के लिए लाभकारी है। रोज ढाई तोला मात्रा बढ़ाकर 25 तोले तक बढ़ानी चाहिए। फिर ढाई तोले के हिसाब से घटानी चाहिए।
- एक तोले अदरक के रस में 1 तोला प्याज का रस मिलाने से उल्टी और मिचलाहट बंद होती है।
- अदरक का रस एक तोला, आक की जड़ एक तोला, इन दोनों को खरल करके गोली बना लें। इसमें काली मिर्च मिलाएं। गुनगुने पानी के साथ देने से हैजे में लाभ पहुंचता है। तुलसी का रस, अदरक, शहद और मोर के पंख का भस्म मिलाकर देने से हैजा ठीक होता है।
- अदरक के रस में शहद मिलाकर चाटने से खांसी, जुकाम, कफ और सांस के रोग ठीक होते हैं।
- अदरक के रस में पुराना गुड़ मिलाकर पिलाने से सारे शरीर की सूजन नष्ट होती है। इस प्रयोग में केवल बकरी का दूध ही पिलाना चाहिए।
- अदरक के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
- अदरक के एक सेर रस में तिल्ली का आधा सेर रस डालकर गर्म करें। जब तेल शेष रह जाए उसे छान लें। इस तेल का शरीर पर मालिश करने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।
- अदरक, त्रिफला चूर्ण और गुण तीनों को मिलाकर पीने से कामला मिटता है।
- अदरक के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से पाचक अग्नि तीव्र होती हैं।
- सर्दियों के मौसम में दांत दर्द होने पर इसके टुकड़े को दांतो के बीच दबाने से लाभ होता है।
सावधानी
गरम प्रकृति के लोगों को अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए या बहुत कम मात्रा में करना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु और शरद ऋतु में अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए।
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